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  • 14 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    दिवस-25. भारत में हाल के विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की बढ़ती और सक्रिय भागीदारी ने इन आंदोलनों की गतिशीलता एवं परिणामों को किस सीमा तक प्रभावित किया है? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • हाल के विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की भूमिका का परिचय दीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी किस प्रकार बढ़ी है।
    • चर्चा कीजिये कि इस बढ़ी हुई भागीदारी ने इन आंदोलनों की गतिशीलता को कैसे प्रभावित किया है।
    • यथोचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    हाल के वर्षों में भारत में महिलाओं ने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों से संबंधित विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाओं ने सड़क पर विरोध प्रदर्शन और ऑनलाइन आंदोलनों, दोनों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है तथा न्याय की मांग की है। जैसे किसान विरोध प्रदर्शन, 2020, CAA विरोधी प्रदर्शन, 2020 आदि।

    महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि:

    भारत में विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी में विभिन्न कारकों से वृद्धि हुई है जैसे:

    • प्रतिनिधित्व और नेतृत्व: महिलाओं ने इन विरोध आंदोलनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे उनकी आवाज़ और चिंताएँ अधिक स्पष्ट हो गई हैं।
      • उदाहरण के लिये भारत में किसानों के विरोध प्रदर्शन में, महिला किसानों ने सक्रिय रूप से नेतृत्व किया तथा प्रदर्शनों में भाग लिया, अपने अधिकारों की मांग की और कृषि में अपने समक्ष आने वाली चुनौतियों को सबके सामने साझा किया।
    • डिजिटल सक्रियता: महिलाएँ अपने अनुभव साझा करने, समर्थन जुटाने और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आंदोलन का विस्तार करने के लिये ट्विटर, इंस्टाग्राम तथा फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों का उपयोग करती हैं।
      • भारत में #MeToo आंदोलन इस बात का प्रमुख उदाहरण है कि कैसे डिजिटल सक्रियता ने महिलाओं को यौन उत्पीड़न तथा दुर्व्यवहार के खिलाफ बोलने में सशक्त बनाया है।
    • सुरक्षित स्थान और सहायक नेटवर्क: सुरक्षित स्थान और सहायक नेटवर्क के निर्माण ने अधिक महिलाओं को विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित किया है।
      • "शाहीन बाग" विरोध प्रदर्शन जैसी घटनाओं ने (जहाँ महिलाओं ने CAA के विरोध में महीनों तक सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा आंदोलन किया था) एक ऐसा माहौल प्रदान किया जहाँ महिलाओं को अपनी असहमति व्यक्त करने में सहज महसूस हुआ।
    • अंतर्विभागीयता: विरोध प्रदर्शनों में विभिन्न पृष्ठभूमियों और समुदायों की महिलाओं की भागीदारी (जैसे कि दलित एवं स्थानीय महिलाएँ) के कारण संघर्षों की अंतर्विरोधात्मकता स्पष्ट होती है।
      • इसका एक उदाहरण वर्ष 2020-2021 के किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान देखा गया, जहाँ हाशिये पर रहने वाले समुदायों की महिलाओं ने किसानों और उत्पीड़ित समूहों दोनों के रूप में अपने अधिकारों की मांग की।
    • मीडिया कवरेज और मान्यता: विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की भागीदारी का मीडिया कवरेज बढ़ा है, जिससे उन्हें अधिक महत्त्व और मान्यता प्राप्त हुई है।
      • पत्रकार और मीडिया आउटलेट विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की भूमिकाओं और योगदान पर सक्रिय रूप से रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

    इन आंदोलनों की बदली हुई गतिशीलता:

    • एजेंडे को व्यापक बनाना: भारत में हाल के विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने इनके एजेंडे को व्यापक बनाने के साथ व्यापक मुद्दों पर इनका ध्यान आकर्षित किया है।
      • उदाहरण के लिये किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान, महिला किसानों ने न केवल कृषि संबंधी चिंताओं पर प्रकाश डाला, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के समक्ष आने वाली लिंग-विशिष्ट चुनौतियों (जैसे भूमि और संसाधनों तक पहुंच) पर भी प्रकाश डाला।
    • सुरक्षित स्थान का निर्माण: महिलाओं की भागीदारी से विरोध स्थलों और आंदोलनों के अंदर सुरक्षित स्थान का निर्माण हुआ है, जिससे अधिक महिलाएँ इसमें शामिल हो सकी हैं।
      • इस समावेशिता ने विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोणों को प्रोत्साहित किया है, जिससे विरोध प्रदर्शन पीड़ित लोगों की मुख्य आवाज़ के रूप में सामने आता है।
    • विरोध की रणनीति में बदलाव: महिलाओं ने विरोध की नवीन रणनीतियों को अपनाया है, जो प्रतिरोध के अहिंसक और रचनात्मक आयामों पर केंद्रित है।
      • उदाहरण के लिये CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान "शाहीन बाग" में महिलाओं के नेतृत्व वाली सभाओं ने असहमति व्यक्त करने का शांतिपूर्ण और लचीला तरीका प्रदर्शित किया।
    • पितृसत्तात्मक मानदंडों को चुनौती देना: विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से पारंपरिक पितृसत्तात्मक मानदंडों को चुनौती मिली है।
    • मीडिया की भागीदारी को आकार मिलना: महिलाओं की भागीदारी से मीडिया की भागीदारी को आकार मिलने के साथ इनका प्रतिनिधित्व भी प्रभावित होता है।
      • महिलाओं के दृष्टिकोण और अनुभवों को महत्त्व देने से मीडिया कवरेज अधिक विविध एवं व्यापक हुआ है।

    भारत में वर्ष 2020 में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान, पंजाब की महिला किसान जगतार कौर ने ज़ोर देकर कहा कि महिलाएँ न केवल पुरुषों का समर्थन कर रही हैं बल्कि अपने अधिकारों की मांग के क्रम में उनके साथ खड़ी हैं। हाल के विरोध प्रदर्शनों में महिलाओं की बढ़ती सक्रिय भागीदारी ने भारत में इन आंदोलनों की धारणा, संगठन और स्थिरता में एक आदर्श बदलाव ला दिया है।

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