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10 Aug 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
दिवस-22. कानूनों, नियमों, विनियमों और संविधान के बीच आप किस प्रकार अंतर करेंगे? सिविल सेवक अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के क्षेत्र में अपना मार्गदर्शन किस प्रकार करते हैं? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रत्येक को उदाहरण सहित संक्षेप में बताइये।
- चर्चा कीजिये कि अंतरराष्ट्रीय नैतिकता में सिविल सेवकों के मार्गदर्शन के लिये क्या उपाय हैं?
- संक्षेप में निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
कानून, नियम, विनियम और संविधान कानूनी ढांचे के विभिन्न पहलू हैं जिससे किसी देश या संगठन का संचालन होता है।
संविधान:
- संविधान देश का सर्वोच्च कानून है जो किसी देश या संगठन के मौलिक सिद्धांतों, संरचना और कार्यों को निर्धारित करता है।
- यह सरकार के लिए, नागरिकों के अधिकारों और ज़िम्मेदारियों को परिभाषित करने एवं सरकार की विभिन्न शाखाओं के बीच शक्तियों के वितरण की रूपरेखा तैयार करता है।
- उदाहरण: भारत का संविधान एक लिखित दस्तावेज़ है जो भारतीय नागरिकों के राजनीतिक सिद्धांतों और मौलिक अधिकारों को रेखांकित करता है।
कानून:
- कानून का आशय किसी देश के अंदर व्यक्तियों, संगठनों या संस्थाओं के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिये संसद या कांग्रेस जैसे विधायी निकायों द्वारा स्थापित विशिष्ट नियम या विनियम हैं।
- यह संहिताबद्ध या सामान्य हो सकते हैं, जो न्यायिक निर्णयों और परंपराओं पर आधारित है।
- उदाहरण: भारतीय दंड संहिता (IPC) कानूनों का एक संग्रह है जिसमें अपराधों और संबंधित दंडों को परिभाषित किया गया है। इसमें हत्या, चोरी, धोखाधड़ी और हमले जैसे अपराध शामिल हैं और यह भारत की कानूनी प्रणाली के एक महत्त्वपूर्ण तत्व के रूप में कार्य करता है।
नियम:
- नियम, विशिष्ट गतिविधियों या प्रक्रियाओं को विनियमित करने के लिये किसी प्राधिकरण या संगठन द्वारा स्थापित विशिष्ट दिशानिर्देश या निर्देश हैं।
- कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने और विशिष्ट नीतिगत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये नियम आमतौर पर सरकारी विभागों, एजेंसियों या संगठनों द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।
- उदाहरण: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारत में वाणिज्यिक बैंकों के संचालन को विनियमित करने और बैंकिंग नियमों तथा मौद्रिक नीतियों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये नियम तथा दिशानिर्देश निर्धारित करती है।
विनियम:
- विनियम का आशय कानूनों को लागू करने या विशिष्ट उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये सरकारी एजेंसियों या नियामक निकायों द्वारा स्थापित विस्तृत नियम, प्रक्रियाएँ या आवश्यकताएँ हैं।
- ये प्रत्यायोजित कानून का एक रूप हैं, जिन्हें कानूनों में निहित अंतराल को भरने के लिये अधिकृत निकायों द्वारा बनाया गया है, जिससे कार्यान्वयन के संबंध में अधिक विशिष्ट मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
- उदाहरण: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) भारतीय बाज़ार में उपलब्ध खाद्य उत्पादों की सुरक्षा एवं गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये नियम जारी करता है। ये नियम व्यापक खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अनुरूप खाद्य लेबलिंग, पैकेजिंग, सुरक्षा मानकों आदि को कवर करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता के क्षेत्र में सिविल सेवक स्वयं का मार्गदर्शन कैसे करते हैं?
सिविल सेवक अपने देश के हितों का प्रतिनिधित्व करने और वैश्विक मामलों के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों का पालन: सिविल सेवक यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं एवं दायित्वों का अनुपालन करता है।
- उदाहरण के लिये, जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के प्रति उसके समर्पण को दर्शाती है।
- मानवाधिकारों को बढ़ावा देना: भारतीय सिविल सेवक अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मानवाधिकार सिद्धांतों को बनाए रखने के लिये कार्य करते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के साथ भारत की भागीदारी वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार मुद्दों को हल करने के उसके प्रयासों को दर्शाती है।
- संप्रभुता का सम्मान: सिविल सेवक अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करते हुए भारत के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिये भारत का समर्थन और राजनयिक संबंधों में इसकी भागीदारी इस दृष्टिकोण को दर्शाती है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: सिविल सेवक अंतरराष्ट्रीय मामलों में पारदर्शी और जवाबदेह प्रथाओं में संलग्न होते हैं।
- G20 जैसे विभिन्न बहुपक्षीय मंचों में भारत की भागीदारी, वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर पारदर्शिता और सहयोग के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना: भारतीय सिविल सेवक अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांत का पालन करते हैं।
- राष्ट्रों के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का भारत का रुख उसके राजनयिक दृष्टिकोण में स्पष्ट है।
- नैतिक कूटनीति: सिविल सेवक नैतिक कूटनीति में संलग्न होते हैं जो सत्यनिष्ठा और निष्पक्षता के मूल्यों को कायम रखती है।
- अंतर्राष्ट्रीय संकटों पर भारत की प्रतिक्रिया (जैसे आपदाओं के दौरान मानवीय सहायता प्रदान करना) नैतिक और ज़िम्मेदार वैश्विक समन्वय के प्रति इसकी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी, मानवाधिकारों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता एवं वैश्विक मानवीय प्रयासों में इसका योगदान,अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नैतिक आचरण के प्रति इसके समर्पण का उदाहरण है।