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  • 10 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस-22. अच्छे और नैतिक शासन के बारे में आप क्या समझते हैं? सुशासन में हितों के टकराव की समस्या को हल करने के लिये आप कौन से उपाय/प्रक्रियाएँ सुझाएँगे? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सुशासन एवं नैतिक शासन को उदाहरण सहित परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • हितों के टकराव की व्याख्या करते हुए सुशासन में हितों के टकराव को हल करने के लिये आवश्यक उपाय या प्रक्रियाए सुझाइए।
    • आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    सुशासन का तात्पर्य लोगों की शिकायतों को प्रभावी ढंग से हल करते हुए नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को कुशल एवं समावेशी तरीके से सुव्यवस्थित करना है। उदाहरण के लिये लालफीताशाही,भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद को दूर करने तथा पारदर्शिता एवं दक्षता बढ़ाने के लिये ई-गवर्नेंस का उपयोग।

    नैतिक शासन, शासन का एक ऐसा तरीका है जिसमें शासन प्रक्रिया में नैतिक मूल्यों और व्यवहार के उच्च मानकों को शामिल किया जाता है। उदाहरण के लिये सिविल सेवक अपने कार्यालय में आने वाले लोगों की सेवा करने के लिये बाध्य है लेकिन उसे दंडित नहीं किया जा सकता है। सार्वजनिक सेवा और परोपकारिता जैसे नैतिक मूल्य ही उन्हें ऐसा करने के लिये प्रेरित करेंगे।

    सुशासन, नैतिक शासन का आधार है, जो नागरिकों एवं लोक सेवकों के बीच विश्वास और सहयोग स्थापित करने के लिये आवश्यक है।

    हितों का टकराव ऐसी स्थितियाँ हैं जहाँ किसी लोक अधिकारी के निजी हित उसके आधिकारिक कर्तव्यों और ज़िम्मेदारियों के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं या प्रभावित करते प्रतीत होते हैं। हितों के टकराव से सरकार में लोगों का विश्वास कमज़ोर होने के साथ सार्वजनिक निर्णय लेने की गुणवत्ता एवं सत्यनिष्ठा से समझौता हो सकता है। इसलिये हितों के टकराव को हल करना अच्छे और नैतिक शासन का एक अनिवार्य पहलू है।

    सुशासन में हितों के टकराव को हल करने के लिये कुछ उपाय या प्रक्रियाएँ:

    • संवैधानिक सिद्धांतों, मानवाधिकार मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लोक अधिकारियों के हितों के टकराव को विनियमित करने के लिये एक कानूनी ढांचा स्थापित करना आवश्यक है।
      • उदाहरण के लिये, भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCAC) एक वैश्विक संधि है जो अपने हस्ताक्षरकर्ताओं को हितों के टकराव सहित भ्रष्टाचार को रोकने एवं इसका मुकाबला करने के उपायों को अपनाने के लिये बाध्य करती है।
    • इनके अनुपालन की निगरानी, जांच और कार्यान्वयन के लिये स्वतंत्र निकायों के साथ एक संस्थागत तंत्र होना चाहिये। उदाहरण के लिये, भारत में केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) एक शीर्ष निकाय है जो विभिन्न केंद्रीय सरकारी विभागों और उपक्रमों का पर्यवेक्षण करता है।
    • योग्यता और नैतिकता पर आधारित कुशल प्रबंधन नीतियों के माध्यम से सक्षम कर्मियों का विकास करना चाहिये। भारत में द्वितीय ARC ने जवाबदेही, पारदर्शिता और व्यावसायिकता बढ़ाने के लिये सिविल सेवा प्रबंधन में विभिन्न सुधारों की सिफारिश की है।
    • अधिकारियों को सशक्त बनाने के लिये विकेंद्रीकरण और जवाबदेही से संबंधित नीतियां अपनाना चाहिये। उदाहरण के लिये, भारत में RTI अधिनियम 2005 नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों की जानकारी तक पहुँचने के साथ उन्हें जवाबदेह बनाने में सक्षम बनाता है।
    • नागरिक चार्टर जैसे उपकरणों के माध्यम से प्रशासन में नागरिक भागीदारी को सुविधाजनक बनाना चाहिये। भारत में नागरिक चार्टर ऐसे दस्तावेज़ हैं जो सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा नागरिकों को सेवा वितरण के मानकों, गुणवत्ता, मात्रा और समय सीमा को निर्दिष्ट करते हैं।
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