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दिवस-22. कॉर्पोरेट शासन से आप क्या समझते हैं? कॉर्पोरेट प्रशासन में नैतिक मूल्यों की क्या भूमिका है? व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)

10 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • कॉर्पोरेट प्रशासन और इसकी आवश्यकता को परिभाषित करते हुए उत्तर शुरू कीजिये।
  • कॉर्पोरेट प्रशासन में नैतिक मूल्यों की भूमिका का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिये।
  • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

कैडबरी समिति, 1992 के अनुसार 'कॉर्पोरेट प्रशासन वह प्रणाली है जिसके द्वारा कंपनियों को निर्देशित और नियंत्रित किया जाता है।' कॉर्पोरेट प्रशासन के तहत कंपनी के प्रबंधन, निदेशक मंडल, लेखा परीक्षकों, शेयरधारकों, लेनदारों और अन्य हितधारकों के बीच का संबंध शामिल होता है।

कॉर्पोरेट प्रशासन की आवश्यकता:

व्यवसायों की नैतिक और ज़िम्मेदार कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिये कॉर्पोरेट प्रशासन की आवश्यकता है।

  • हितधारकों के हितों की सुरक्षा: कॉर्पोरेट प्रशासन से यह सुनिश्चित होता है कि शेयरधारकों, कर्मचारियों, ग्राहकों, आपूर्तिकर्ताओं और समुदाय सहित सभी हितधारकों के हितों की रक्षा की जाए।
    • उदाहरण के लिये वर्ष 2010 के राडिया टेप विवाद के बाद, कई कंपनियों में कॉर्पोरेट प्रशासन प्रक्रियाओं की जांच की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अनैतिक प्रथाओं में संलग्न होने के साथ हितधारकों के हितों से समझौता करने में तो शामिल नहीं थे।
  • पारदर्शिता और जवाबदेहिता: प्रभावी कॉर्पोरेट प्रशासन से वित्तीय रिपोर्टिंग के साथ निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलता है।
    • इसका एक उदाहरण 2009 में हुआ सत्यम कंप्यूटर्स घोटाला है, जिसमें कंपनी का नेतृत्वकर्ता वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल था। यह मामला ऐसी अनैतिक प्रथाओं को रोकने के लिये जवाबदेही और पारदर्शिता के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
  • नैतिक व्यावसायिक प्रथाएँ: कॉर्पोरेट प्रशासन व्यवसायों को अपने संचालन में नैतिक प्रथाओं को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करता है, जिसमें निष्पक्ष व्यापार, ज़िम्मेदार सोर्सिंग और पर्यावरण नियमों का पालन शामिल है।
    • उदाहरण के लिये टाटा स्टील का पर्यावरण और सामाजिक प्रदर्शन सहित स्थिरता पहल पर ध्यान केंद्रित करना, नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की रोकथाम: मज़बूत कॉर्पोरेट प्रशासनिक उपाय कंपनियों के अंदर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के खिलाफ निवारक के रूप में कार्य करते हैं।
    • वर्ष 2018 के नीरव मोदी-PNB घोटाले ने पंजाब नेशनल बैंक के प्रभावी कॉर्पोरेट प्रशासन की कमी को उजागर किया, जिससे बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी हुई और इससे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये मज़बूत प्रशासन प्रथाओं की आवश्यकताओं को बल मिला।
  • दीर्घकालिक स्थिरता: अच्छा कॉर्पोरेट प्रशासन यह सुनिश्चित करके दीर्घकालिक स्थिरता का समर्थन करता है कि व्यवसाय अल्पकालिक लाभ के बजाय अपने मूल मूल्यों और रणनीतिक उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करें।
    • इसका एक उदाहरण वर्ष 2017 का एक इंफोसिस का मामला है, जहाँ कंपनी को कॉर्पोरेट प्रशासन से संबंधित मुद्दों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण इसके CEO को इस्तीफा देना पड़ा और बोर्ड को अपनी प्रशासनिक प्रणालियों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ा।

कॉर्पोरेट प्रशासन में नैतिक मूल्यों की भूमिका:

नैतिक मूल्य कॉर्पोरेट प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह निर्णय लेने की प्रक्रियाओं, संगठनात्मक संस्कृति और कंपनी की समग्र स्थिरता को प्रभावित करते हैं।

  • ईमानदारी और पारदर्शिता: नैतिक मूल्य कॉर्पोरेट प्रशासन में सत्यनिष्ठा और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के साथ यह सुनिश्चित करते हैं कि कंपनियां ईमानदारी से कार्य कर रही हैं तथा हितधारकों को प्रासंगिक जानकारियाँ प्रदान कर रही हैं।
    • उदाहरण के लिये वर्ष 2019 में इंफोसिस व्हिसलब्लोअर मामले के बाद, पारदर्शिता और नैतिक आचरण पर कंपनी के फोकस से इस मुद्दे को हल करने के साथ हितधारकों का विश्वास फिर से हासिल करने में मदद मिली।
  • हितधारक विश्वास और प्रतिष्ठा: नैतिक मूल्यों को बनाए रखने से कंपनी के ग्राहकों, निवेशकों, कर्मचारियों और नियामकों सहित हितधारकों के बीच विश्वास बढ़ता है।
    • उदाहरण के लिये टाटा मोटर्स की नैतिक प्रथाओं और CSR पहलों के प्रति प्रतिबद्धता ने एक ज़िम्मेदार एवं भरोसेमंद कंपनी के रूप में इसकी प्रतिष्ठा में योगदान दिया है।
  • अनुपालन और कानूनी जवाबदेही: कॉर्पोरेट प्रशासन में नैतिक मूल्यों से कंपनियों को कानूनों और विनियमों का अनुपालन करने के लिये प्रोत्साहन मिलता है,जिससे एक मज़बूत कानूनी ढांचे को बढ़ावा मिलता है।
    • सत्यम कंप्यूटर्स घोटाले के मामले में नैतिक मूल्यों की कमी के कारण कंपनी के नेतृत्वकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई और इससे अनुपालन एवं जवाबदेही के महत्त्व पर प्रकाश पड़ा।
  • नैतिक निर्णय लेना: नैतिक मूल्य कॉर्पोरेट नेतृत्वकर्ताओं को ऐसे निर्णय लेने में मार्गदर्शन करते हैं जो हितधारकों और समाज के दीर्घकालिक हितों को प्राथमिकता देते हैं।
    • कैडबरी इंडिया का मामला नैतिक निर्णय लेने का उदाहरण है, जिसमें कंपनी ने वर्ष 2003 में संदूषण चिंताओं के कारण उपभोक्ता सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए स्वेच्छा से अपने उत्पादों को वापस ले लिया था।
  • कर्मचारी समन्वय: कॉर्पोरेट प्रशासन में नैतिक मूल्यों से एक सकारात्मक कार्य वातावरण बनता है जिससे कर्मचारी समन्वय को बढ़ावा मिलता है।
    • आदित्य बिड़ला समूह द्वारा नैतिक मूल्यों एवं कर्मचारी कल्याण पर बल देने के कारण भारत में इसकी प्रतिष्ठा में योगदान मिला।
  • सतत् विकास और सामाजिक प्रभाव: नैतिक मूल्यों को अपनाने से स्थायी व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है।
    • स्थिरता और कॉर्पोरेट ज़िम्मेदारी के प्रति महिंद्रा समूह की प्रतिबद्धता दर्शाती है कि कैसे नैतिक मूल्य समाज एवं पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने के उनके प्रयासों को प्रेरणा देते हैं।

कॉर्पोरेट प्रशासन में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देने के उपाय:

वर्ष 2017 में कॉरपोरेट गवर्नेंस पर गठित उदय कोटक समिति के अनुसार, ज़िम्मेदार और टिकाऊ व्यावसायिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिये कॉरपोरेट गवर्नेंस में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना आवश्यक है।

  • आचार संहिता और आचरण संहिता: कंपनियों को एक व्यापक आचार संहिता विकसित और कार्यान्वित करनी चाहिये जो शीर्ष प्रबंधन सहित सभी कर्मचारियों के अपेक्षित व्यवहार एवं मूल्यों को रेखांकित करती हो।
    • उदाहरण के लिये टाटा समूह के पास एक अच्छी तरह से परिभाषित आचार संहिता है जो अपने कर्मचारियों और सहायक कंपनियों के लिये नैतिक मानक निर्धारित करती है।
  • बोर्ड की विविधता और स्वतंत्रता: एक विविध और स्वतंत्र निदेशक मंडल विभिन्न दृष्टिकोण शामिल करने के साथ उद्देश्यपूर्ण निर्णय लेना सुनिश्चित कर सकता है।
    • इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) एक विविध दृष्टिकोण वाली बोर्ड कंपनी का उदाहरण है जिसमें स्वतंत्र निदेशक शासन में नियंत्रण और संतुलन को बढ़ावा दिया जाता है।
  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण: एक मज़बूत व्हिसलब्लोअर तंत्र की स्थापना से कर्मचारियों को प्रतिशोध के डर के बिना किसी भी अनैतिक व्यवहार की रिपोर्ट करने का अधिकार मिलता है।
    • इंफोसिस ने कंपनी में किसी भी गलत कार्य की रिपोर्ट करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा के लिये एक गुमनाम व्हिसलब्लोअर की नीति पेश की है।
  • स्थिरता और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): कंपनियों को स्थिरता और CSR प्रथाओं को अपनी मुख्य व्यावसायिक रणनीतियों में एकीकृत करना चाहिये।
    • पर्यावरणीय स्थिरता पहल और सामुदायिक विकास परियोजनाओं पर WIPRO का ध्यान नैतिक एवं ज़िम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • हितधारक जुड़ाव: कर्मचारियों, ग्राहकों और स्थानीय समुदायों सहित हितधारकों के साथ जुड़ने से उनकी चिंताओं एवं अपेक्षाओं को समझने में मदद मिलती है, जिससे अधिक नैतिक निर्णय लेने में मदद मिलती है।
    • हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) ने टिकाऊ सोर्सिंग और सामुदायिक विकास जैसे क्षेत्रों में व्यापक हितधारक जुड़ाव प्रथाओं को लागू किया है।

कॉर्पोरेट प्रशासन कंपनियों के व्यवहार के साथ निर्णय लेने को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह सुनिश्चित करता है कि ये ज़िम्मेदार, पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से कार्य करें।