दिवस-21. सुंदरलाल बहुगुणा के कथन, "पारिस्थितिकी, स्थायी अर्थव्यवस्था है," से पर्यावरणीय स्थिरता एवं आर्थिक समृद्धि के बीच अंतरनिर्भरता की महत्ता को किस प्रकार बल मिलता है? (250 शब्द)
09 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- सुंदरलाल बहुगुणा के उपर्युक्त कथन के अर्थ पर चर्चा कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि किस प्रकार से पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के बीच अंतरनिर्भरता है।
- तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।
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सुंदरलाल बहुगुणा (1927-2021) एक प्रख्यात भारतीय पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता थे, जिन्होंने अपना जीवन वनों के संरक्षण एवं हाशिये पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों (विशेषकर हिमालयी क्षेत्र में) के लिये समर्पित कर दिया। उन्हें चिपको आंदोलन में उनकी भूमिका के लिये जाना जाता है।
- "पारिस्थितिकी स्थायी अर्थव्यवस्था है" यह कथन सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा दिया गया है। यह कथन इस बात पर बल देता है कि पारिस्थितिकी समाज की स्थिरता के लिये दीर्घकालिक आर्थिक समृद्धि और कल्याण प्राप्त करने के लिये मौलिक है।
पर्यावरणीय स्थिरता एवं आर्थिक समृद्धि के बीच परस्पर निर्भरता:
- पर्यावरणीय क्षरण: आर्थिक विकास की खोज में पर्यावरण की उपेक्षा करने से पर्यावरणीय क्षरण हो सकता है जैसे वनों की कटाई, वायु और जल प्रदूषण तथा निवास स्थान का विनाश।
- उदाहरण के लिये इंडोनेशिया-जंगल की आग और धुंध, बीजिंग का स्मॉग संकट, नई दिल्ली का वायु गुणवत्ता संकट।
- पर्यावरणीय सिद्धांतों का उल्लंघन: पर्यावरण की उपेक्षा भी सामाजिक असमानताओं को कायम रख सकती है, क्योंकि कमज़ोर समुदाय अक्सर पर्यावरणीय क्षरण का खामियाजा भुगतते हैं।
- उदाहरण के लिये कानपुर को चमड़ा उद्योग के लिये जाना जाता है। चर्मशोधन कारखानों से अनुपचारित अपशिष्ट गंगा नदी में प्रवाहित होता है, जिससे इसका जल क्रोमियम एवं अन्य जहरीले रसायनों से प्रदूषित हो जाता है। नदी के किनारे रहने वाले समुदाय (विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समूह) दूषित जल के संपर्क में आने के कारण जलजनित बीमारियों और त्वचा रोगों से पीड़ित हो जाते हैं।
- जैव विविधता का नुकसान: पर्यावरण की उपेक्षा वाला आर्थिक मॉडल जैव विविधता की पर्याप्त रूप से रक्षा नहीं कर सकता है, जिससे पौधों और जानवरों की प्रजातियों का नुकसान हो सकता है।
- डिक्लोफिनेक (Diclofenac) के उपयोग के कारण भारतीय गिद्धों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
- ओलिव रिडले समुद्री कछुओं को निवास स्थान के विनाश और मछली पकड़ने की अस्थिर प्रथाओं के कारण खतरों का सामना करना पड़ता है।
- आर्थिक संतुलन: आर्थिक गतिविधियाँ जल, खनिज और जंगलों जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। पर्यावरणीय स्थिरता निरंतर आर्थिक विकास के लिये इन संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करती है।
- उदाहरण के लिये टिकाऊ वन प्रबंधन से जैव विविधता एवं कार्बन पृथक्करण को बढ़ावा मिलने के साथ उद्योगों के लिये लकड़ी भी प्राप्त होगी।
- प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता: स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र से स्वच्छ हवा, जल शुद्धिकरण और परागण जैसी आवश्यक सेवाएं मिलती हैं। ये सेवाएँ कृषि, पर्यटन और मत्स्य पालन जैसे आर्थिक क्षेत्रों का समर्थन करती हैं।
- उदाहरण के लिये मधुमक्खियों की परागण सेवाएं फसल की पैदावार में योगदान करती हैं, जिससे कृषि अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।
- लोक स्वास्थ्य और नैतिकता: स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण प्रत्यक्ष रूप से लोक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने के साथ स्वास्थ्य देखभाल की लागत को कम करता है तथा उत्पादकता को बढ़ाता है।
- स्थायी शहरी नियोजन और वायु स्वच्छता नियमों को बढ़ावा देकर लोगों के कल्याण के साथ श्रम उत्पादकता में सुधार किया जा सकता है।
- अंतर-पीढ़ीगत न्याय: पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने से नवाचार एवं पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों की उन्नति को उत्प्रेरित किया जा सकता है, जिससे भावी पीढ़ियों के लिये संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण के लिये सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी में प्रगति से एक उभरता हुआ उद्योग तैयार हुआ है जिससे न केवल कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी बल्कि रोज़गार के अवसर भी पैदा होंगे ।
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की नैतिकता: पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने वाली कंपनियां और राष्ट्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने से यह पर्यावरण के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं एवं निवेशकों को आकर्षित करते हैं।
- यूनिलीवर ने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किये हैं, जिसमें अपने उत्पादों के पर्यावरणीय फुटप्रिंट को आधा करना तथा अपनी 100% ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करना शामिल है।
अतः पर्यावरणीय स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि के बीच परस्पर निर्भरता इस बात से स्पष्ट है कि कैसे पर्यावरणीय स्वास्थ्य आर्थिक गतिविधियों, लचीलेपन, नवाचार और दीर्घकालिक कल्याण का समर्थन करता है। भावी पीढ़ियों के लिये ग्रह के पारिस्थितिक संतुलन की सुरक्षा करते हुए एक संपन्न अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये टिकाऊ प्रथाओं और नीतियों को अपनाना आवश्यक है।