Mains Marathon

दिवस-21. निम्नलिखित उद्धरण का आपके लिये क्या निहितार्थ है?

"बुराई के अनियंत्रित होने से यह बढ़ती है और इसे सहन करने से यह संपूर्ण प्रणाली में जहर घोल देती है।" (150 शब्द)

09 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • उपर्युक्त उद्धरण का अर्थ प्रस्तुत करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • चर्चा कीजिये कि बुराई के अनियंत्रित होने तथा सहन करने से क्या होगा?
  • समाज के साथ-साथ सिविल सेवाओं में बुराई को किस प्रकार रोका जाए?
  • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

इस उद्धरण से इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि जब अनैतिक या हानिकारक कार्यों पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो वे बढ़ सकते हैं और व्यक्तियों, समुदायों तथा समाजों को व्यापक नुकसान पहुंचा सकते हैं।

बुराई पर नियंत्रण न रखने और उसे सहन करने के परिणाम:

  • नुकसान का बढ़ना: जब बुरे कार्य अनियंत्रित हो जाते हैं, तो समय के साथ नुकसान बढ़ता जाता है।
    • उदाहरण के लिये यदि कार्यस्थल पर गलत आचरण को सहन किया जाता है, तो इससे कार्य वातावरण विषाक्त हो सकता है, जिससे कई कर्मचारियों की भलाई प्रभावित हो सकती है।
  • नैतिक दिशा-निर्देश का क्षरण: बुरे व्यवहार को सहन करना समाज के नैतिक ताने-बाने को कमज़ोर करता है, जिससे दूसरों के लिये इस प्रकार के कृत्यों में शामिल होना आसान हो जाता है।
    • उदाहरण के लिये यदि किसी सरकार के भीतर भ्रष्टाचार को नज़रअंदाज कर दिया जाता है, तो यह अधिकारियों के बीच और अधिक भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा दे सकता है।
  • विश्वास की हानि: जब बुरे कार्यों को सहन किया जाता है तो संस्थाओं और व्यक्तियों पर विश्वास कम हो जाता है। इससे सामाजिक एकता टूट सकती है तथा संघर्ष बढ़ सकता है।
    • एक उदाहरण यह है कि जब पुलिस की बर्बरता की घटनाओं को नज़रअंदाज किया जाता है, तो इससे कानून प्रवर्तन में विश्वास खत्म हो जाता है।
  • बुराई का सामान्यीकरण: जिसे कभी बुराई माना जाता था, उसे चुनौती न देने से सामान्य बनाया जा सकता है।
    • इसका एक उदाहरण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच है; यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह ऑनलाइन प्लेटफार्म का एक नियमित हिस्सा बन सकता है।
  • कमज़ोर समूहों पर नकारात्मक प्रभाव: बुरी कार्रवाइयाँ अक्सर कमज़ोर आबादी को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं।
    • उदाहरण के लिये अगर इसका सामना नहीं किया जाए तो प्रणालीगत भेदभाव जारी रह सकता है, जिससे हाशिए पर रहने वाले समुदायों को लगातार नुकसान हो सकता है।
  • छुआ-छूत की तरह फैलना: छुआ-छूत की बीमारी की तरह बुराई भी अनियंत्रित होने पर फैल सकती है।
    • यदि चरमपंथी विचारधाराओं को बिना विरोध के सहन किया जाता है, तो इसकी तरफऔर अधिक लोग आकर्षित हो सकते हैं तथा इससे सामाजिक विभाजन पैदा हो सकता है।
  • नवाचार और प्रगति का नुकसान: जब बुराई को सहन किया जाता है, तो जो लोग समाज में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं, वे हतोत्साहित हो सकते हैं।
    • उदाहरण के लिये विषाक्त कार्य वातावरण प्रतिभाशाली कर्मचारियों को नवीन विचारों को साझा करने से हतोत्साहित कर सकता है।

समाज में बुराइयों को रोकने हेतु उपाय:

  • नैतिक शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देना: इससे जागरूकता के साथ ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ावा मिल सकता है।
    • उदाहरण: व्यक्तियों को नैतिक मूल्यों, सहानुभूति और हानिकारक कार्यों के परिणामों के बारे में सिखाने के लिये स्कूलों तथा सामुदायिक केंद्रों में व्यापक नैतिक शिक्षा लागू करना आवश्यक है।
  • लोगों के सक्रिय हस्तक्षेप को प्रोत्साहित करना: लोगों को कार्रवाई करने के लिये सशक्त बनाकर, बुराई को अनियंत्रित होने से रोक सकते हैं।
    • उदाहरण: अन्याय, भेदभाव या हिंसा के कृत्यों को देखते समय व्यक्तियों को बोलने और हस्तक्षेप करने के लिये प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
  • खुले संवाद की संस्कृति को बढ़ावा देना: खुली बातचीत हानिकारक विचारधाराओं को चुनौती देने और आपसी समझ को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकती है।
    • उदाहरण: संवेदनशील विषयों पर चर्चा के लिये सुरक्षित स्थान बनाना, विविध दृष्टिकोण वाले लोगों को रचनात्मक संवाद में शामिल होने की अनुमति देना आवश्यक है।
  • सकारात्मक भूमिका मॉडल का समर्थन और विस्तार करना: सकारात्मक भूमिका मॉडल को अपनाकर, समाज दूसरों को उनके उदाहरण का अनुसरण करने और अच्छे कार्यों के साथ बुराई का प्रतिकार करने के लिये प्रेरित कर सकता है।
    • उदाहरण: दया, करुणा और परोपकारिता को बढ़ावा देने वाले व्यक्तियों और समूहों को पहचानना तथा उनको प्रेरित करना आवश्यक है।

सिविल सेवा में बुराइयों को रोकने हेतु उपाय:

भारत में द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) ने सिविल सेवकों की दक्षता, सत्यनिष्ठा तथा समग्र प्रदर्शन को बढ़ाने के लिये कई सिफारिशें की हैं जैसे:

  • प्रदर्शन मूल्यांकन और योग्यता-आधारित पदोन्नति:
    • ARC ने सिविल सेवकों के लिये एक पारदर्शी और योग्यता-आधारित प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली शुरू करने की सिफारिश की है।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण को सुदृढ़ बनाना:
    • ARC ने सिविल सेवकों को आधुनिक प्रशासनिक प्रथाओं, प्रौद्योगिकी और सार्वजनिक सेवा वितरण विधियों से अद्यतन रखने के लिये निरंतर प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया है।
  • नागरिक-केन्द्रित दृष्टिकोण:
    • ARC ने सार्वजनिक सेवा वितरण में नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ने की सिफारिश की है।
  • सत्यनिष्ठा और नैतिकता को बढ़ावा देना:
    • ARC ने सिविल सेवकों के बीच सत्यनिष्ठा और नैतिक आचरण को बढ़ावा देने के महत्त्व पर बल दिया है। इसमें आचार संहिता का सख्ती से पालन तथा भ्रष्टाचार रोकने के उपाय शामिल हैं।
  • शासन में लचीलापन और नवीनता:
    • ARC ने तेजी से बदलती दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिये शासन में लचीलेपन और नवाचार को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है।

अतः बुराई को सक्रिय रूप से हल करने और उसका मुकाबला करने के क्रम में एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है जो इसके घातक विकास को रोकने तथा सभी की भलाई की रक्षा करने के लिये करुणा, जवाबदेही एवं सहानुभूति के मूल्यों को कायम रखती है।