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  • 09 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस-21. निम्नलिखित उद्धरण का आपके लिये क्या निहितार्थ है?

    "मन की स्वतंत्रता ही वास्तविक स्वतंत्रता है।" - डॉ. बी. आर. अंबेडकर (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उपर्युक्त उद्धरण का अर्थ बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • स्पष्ट विचारों और उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये कि मन की स्वतंत्रता ही वास्तविक स्वतंत्रता कैसे है?
    • बताइये कि सिविल सेवकों के लिये मन की स्वतंत्रता क्यों आवश्यक है?
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    उपर्युक्त कथन मानसिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता के महत्त्व पर बल देता है। यह सुझाव देता है कि स्वतंत्रता से स्वतंत्र रूप से सोचने, अपनी मान्यताओं को बनाए रखने एवं व्यक्तिगत तर्क के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है।

    मन की स्वतंत्रता, वास्तविक स्वतंत्रता की ओर कैसे ले जाती है?

    • स्वतंत्र सोच: मन की स्वतंत्रता व्यक्तियों को बाहरी दबावों या हठधर्मिता से प्रभावित हुए बिना गहन रूप से सोचने तथा अपनी राय पर टिके रहने की शक्ति देती है।
      • उदाहरण के लिये मन की स्वतंत्रता वाला व्यक्ति वैकल्पिक दृष्टिकोण तलाशने के लिये सामाजिक मानदंडों एवं पारंपरिक मान्यताओं पर सवाल उठा सकता है।
        • इसी से प्रेरित होकर 1820 के दशक में राजा राम मोहन राय ने सती प्रथा के खिलाफ आंदोलन किया था।
    • विविधता के प्रति खुलापन: स्वतंत्र मन वाले लोग विविध दृष्टिकोण और संस्कृतियों को अधिक स्वीकार करते हैं। वे मतभेदों को स्वीकार करते हैं तथा दूसरों के साथ रचनात्मक संवाद में संलग्न होते हैं।
      • उदाहरण के लिये भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान संविधान सभा विविध सांस्कृतिक विचारधाराओं का एक जीवंत और सामंजस्यपूर्ण मिश्रण थी, जिसके सदस्य एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण एवं समावेशी तरीके से जुड़े थे।
    • रचनात्मक अभिव्यक्ति: मन की स्वतंत्रता व्यक्तियों को अपनी रचनात्मकता तथा कल्पना को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने में सक्षम बनाती है।
      • उदाहरण के लिये कलाकार, लेखक और नवप्रवर्तक अक्सर पारंपरिक सीमाएँ तोड़ते हुए नवीन विचारों को अपनाते हैं।
    • प्रतिकूल परिस्थितियों में लचीलापन: मन की स्वतंत्रता व्यक्तियों को मानसिक लचीलापन बनाने में मदद करती है, जिससे उन्हें कठिन परिस्थितियों से निपटने के साथ बदलाव के लिये अनुकूल होने की अनुमति मिलती है।
      • उदाहरण के लिये वर्ष 2019 के बालाकोट हमले के दौरान, वीर चक्र प्राप्तकर्ता अभिनंदन वर्धमान ने उल्लेखनीय संयम प्रदर्शित किया तथा कठिन ऑपरेशन के दौरान शांति बनाए रखी।
    • यथास्थिति की चुनौती: मन की स्वतंत्रता यथास्थिति को चुनौती देती है, जिससे समाज को विकसित होने और बदलते समय के अनुसार अनुकूलन करने के लिये प्रेरित किया जाता है।
      • उदाहरण के लिये ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह और बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया, जिसके परिणामस्वरूप 1856 में हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम एवं 1891 में सम्मति आयु अधिनियम पारित हुआ।

    सिविल सेवकों के लिये मन की स्वतंत्रता के निहितार्थ:

    • वस्तुनिष्ठ निर्णय लेना: यह सिविल सेवकों को बाहरी दबावों या व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों के अनुचित प्रभाव के बिना, योग्यता के आधार पर निष्पक्ष एवं तर्कसंगत निर्णय लेने की अनुमति देता है।
      • उदाहरण के लिये किसी अनुबंध को देने के लिये निष्पक्षता के आधार पर निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।
    • नवाचार और रचनात्मकता: स्वतंत्र मन से रचनात्मक सोच एवं समस्या-समाधान के लिये नवीन दृष्टिकोण को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे अधिक प्रभावी तथा कुशल प्रशासन प्राप्त होता है।
      • उदाहरण के लिये भारत में जहाँ संसाधन सीमित हैं, नौकरशाहों को रचनात्मक रूप से सोचने और गंभीर समस्याओं के निवारण के लिये नवीन समाधान लाने की आवश्यकता होती है।
    • अनुकूलन क्षमता: मन की स्वतंत्रता के साथ सिविल सेवक बदलती परिस्थितियों एवं चुनौतियों को अनुकूलित कर सकते हैं, जिससे जटिल मुद्दों पर उनके दृष्टिकोण में लचीलापन सुनिश्चित होता है।
      • उदाहरण के लिये उसे चुनौतीपूर्ण या प्रतिकूल वातावरण में काम करना पड़ सकता है।
    • लचीलापन: मन की स्वतंत्रता सिविल सेवकों को चुनौतियों और आलोचनाओं के सामने लचीला बने रहने में मदद करती है, जिससे वे सार्वजनिक सेवा के प्रति अपना समर्पण बनाए रख पाते हैं।
      • उदाहरण के लिये किसी ऑपरेशन की विफलता या कार्य पूरा न होने की स्थिति में, उसे आलोचना का सामना करना पड़ सकता है।
    • निरंतर सीखना: यह सिविल सेवकों को निरंतर सीखने और आत्म-सुधार में संलग्न होने, बेहतर प्रशासन के लिये उनकी विशेषज्ञता तथा ज्ञान को बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करता है।
      • उदाहरण के लिये तेजी से बदलते विश्व में उत्पन्न होने वाली नई चुनौतियों से सिविल सेवकों को निरंतर सीखने की आवश्यकता होती है।

    अतः मन की स्वतंत्रता एक शक्तिशाली शक्ति है जो व्यक्तिगत विकास, सामाजिक प्रगति एवं अधिक समावेशी तथा सामंजस्यपूर्ण विश्व की खोज को प्रेरित करती है। यह व्यक्तियों को विविधता अपनाने, मौजूदा मानदंडों को चुनौती देने तथा समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक है।

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