08 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता को परिभाषित कीजिये।
- प्रभावशाली नेतृत्व तथा निर्णय निर्माण प्रक्रिया में भावनात्मक बुद्धिमत्ता की भूमिका को बताते हुए चर्चा कीजिये कि व्यक्तियों में इसे किस प्रकार विकसित और पोषित किया जा सकता है।
- मुख्य बिंदुओं को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
डॉ. डैनियल गोलमैन के अनुसार, भावनात्मक बुद्धिमत्ता का आशय "अपनी और दूसरों की भावनाओं को पहचानने, उनका मूल्यांकन करने, नियंत्रण तथा प्रबंधन करने की क्षमता से है"। जिन लोगों के पास भावनात्मक बुद्धिमत्ता बेहतर होती है वे जटिल सामाजिक परिस्थितियों से निपटने, अपनी टीमों को प्रेरित करने तथा अधिक विचारशील और तार्किक निर्णय लेने हेतु सक्षम होते हैं।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता से प्रभावशाली नेतृत्व तथा निर्णय निर्माण प्रक्रिया पर पड़ने वाला प्रभाव:
- समानुभूति और समझ: भावनात्मक बुद्धिमत्ता से नेतृत्वकर्ताओं को अपनी टीम के सदस्यों की भावनाओं और दृष्टिकोण को समझने, उनके बीच विश्वास एवं सहयोग को बढ़ावा देने में सुलभता होती है। निर्णय निर्माण प्रक्रिया में दूसरों की ज़रूरतों पर विचार करने से संगठन को बेहतर परिणाम मिलते हैं। जैसे चंद्रयान 2 की असफलता पर इसरो के चेयरमैन के भावुक होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने उनके प्रयास की सराहना की।
- संघर्ष समाधान: भावनात्मक रूप से बुद्धिमान लोग संघर्षों से रचनात्मक रूप से निपटने के साथ उत्पादक चर्चाओं एवं समाधानों के क्रम में भावनाओं का प्रबंधन करने में सक्षम होते हैं। ये प्रभावी ढंग से निर्णय लेने के साथ दीर्घकालिक समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- आत्म-जागरूकता और आत्म-नियमन: भावनात्मक रूप से मज़बूत लोग आत्म-जागरूक होने के साथ भावनाओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करते हैं, अपनी ताकत और कमज़ोरियों को समझते हैं तथा भावनाओं या अहंकार से प्रेरित हुए बिना विचारशील निर्णय लेते हैं।
- प्रेरणादायक नेतृत्व: भावनात्मक रूप से बुद्धिमान लोग अपनी टीमों को प्रेरित करने में सक्षम होते हैं। जिससे निर्धारित उद्देश्य की पूर्ति हेतु लोगों के बीच समन्वय को बढ़ावा मिलता है।
- अनुकूलनशीलता: गतिशील समाज में अनुकूलनशीलता महत्त्वपूर्ण है। भावनात्मक रूप से समझदार लोग परिवर्तनों को स्वीकार करने के साथ नए विचारों को अपनाने के प्रति प्रेरित होते हैं।
व्यक्तियों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता को विकसित करने के तरीके:
- आत्म-जागरूकता: व्यक्तियों को अपनी भावनाओं, प्रतिक्रियाओं और संवेदनाओं पर विचार करने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिये। इसमें ध्यान करने के साथ अपने साथियों एवं वरिष्ठों से प्रतिक्रिया प्राप्त करना शामिल हो सकता है।
- समानुभूति हेतु प्रशिक्षण: लोगों को सक्रिय रूप से दूसरों की बात सुनकर, विविध दृष्टिकोणों पर विचार करके और खुद को दूसरों के स्थान पर रखकर समानुभूति को अपनाने का अवसर प्रदान करना चाहिये।
- भावनात्मक विनियमन तकनीक: व्यक्तियों को अपनी भावनाओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ सिखाना (जैसे गहरी साँस लेना, सचेतन अभ्यास और सकारात्मक चर्चा) आवश्यक है।
- नेतृत्व विकास कार्यक्रम: नेतृत्व एवं निर्णय लेने में इसके महत्त्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर प्रशिक्षण और कार्यशालाएँ आयोजित करनी चाहिये।
- स्वतंत्र संचार को प्रोत्साहित करना: ऐसा सुरक्षित एवं सहायक वातावरण बनाना आवश्यक है जिसमें व्यक्ति अपनी भावनाओं तथा चिंताओं को व्यक्त करने में सहजता महसूस करें।
- सामाजिक जागरूकता: दूसरों की भावनाओं एवं दृष्टिकोणों को समझने की क्षमता बढ़ाना आवश्यक है। ऐसा सक्रिय श्रवण, सहानुभूति का प्रदर्शन करने एवं सांस्कृतिक रूप से जागरूक रहने से किया जा सकता है।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता कोई ऐसा निश्चित गुण नहीं है जो व्यक्ति को जन्मजात प्राप्त होता है। यह सीखने योग्य कौशल है जिसमें अभ्यास तथा फीडबैक से सुधार किया जा सकता है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करके व्यक्ति किसी भी स्थिति में अधिक प्रभावी नेतृत्वकर्ता बन सकता है।