08 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अभिरूचि और अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिये तथा सिविल सेवकों के संदर्भ में इनके अर्थ और महत्त्व की व्याख्या कीजिये।
- प्रासंगिक उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये कि किस प्रकार अभिरूचि और अभिवृत्ति दोनों सिविल सेवकों के लिए आवश्यक गुण हैं।
- इस कथन को दोहराते हुए निष्कर्ष दीजिये कि उत्कृष्टता को प्राप्त करने के क्रम में अभिरूचि बुनियाद है तथा अभिवृत्ति प्रेरक शक्ति है।
|
परिचय:
अभिरूचि का आशय किसी कौशल को सीखने या हासिल करने की प्राकृतिक क्षमता से है जबकि अभिवृत्ति का आशय किसी वस्तु या व्यक्ति को देखने के दृष्टिकोण से है। प्रस्तुत कथन (उत्कृष्टता को प्राप्त करने के क्रम में अभिरूचि बुनियाद है तथा अभिवृत्ति प्रेरक शक्ति है) की सिविल सेवकों के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण प्रासंगिकता है। सिविल सेवक सरकारी संस्थानों के कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा नीतियों को लागू करने एवं सार्वजनिक सेवाओं को प्रभावी ढंग से वितरित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
सिविल सेवकों के लिए अपने कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त करने हेतु अभिरूचि और अभिवृत्ति दोनों ही आवश्यक गुण हैं क्योंकि:
- बुनियाद के रूप में अभिक्षमता: अभिक्षमता का आशय किसी व्यक्ति की कुछ कार्यों को करने या कोई कौशल हासिल करने की अंतर्निहित या अर्जित क्षमता से है। सिविल सेवकों के संदर्भ में अभिरूचि में कार्यों की जटिलताओं को संभालने हेतु आवश्यक शैक्षिक योग्यता, ज्ञान एवं तकनीकी दक्षताएं शामिल होती हैं। सिविल सेवकों को अक्सर कानून, अर्थशास्त्र, सार्वजनिक प्रशासन एवं सामाजिक विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने की आवश्यकता होती है।
- उचित अभिरूचि से यह सुनिश्चित होता है कि सिविल सेवकों के पास अपने संबंधित क्षेत्रों में जटिल मुद्दों को समझने, डेटा का विश्लेषण करने एवं प्रभावी समाधान करने की दक्षता है।
- आवश्यक अभिरूचि के बिना सिविल सेवकों को तार्किक निर्णय लेने या लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ प्रदान करने में कठिनाई हो सकती है।
- उत्कृष्टता प्राप्त करने के क्रम में प्रेरक शक्ति के रूप में अभिवृत्ति: अभिवृत्ति का आशय किसी व्यक्ति की अपने कार्य और संबंधित लोगों के प्रति मानसिकता, दृष्टिकोण एवं व्यवहार से है। सिविल सेवकों के संदर्भ में अपने कार्यों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के क्रम में सकारात्मक और सक्रिय अभिवृत्ति महत्त्वपूर्ण है।
- सकारात्मक अभिवृत्ति वाले सिविल सेवक सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्ध होने के साथ नागरिकों के कल्याण की परवाह करते हैं तथा उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तत्पर रहते हैं। वे सहानुभूति, जवाबदेही और समर्पण प्रदर्शित करने के साथ यह भी सुनिश्चित करते हैं कि उनके कार्य जनता के सर्वोत्तम हित में हों।
- सकारात्मक अभिवृत्ति से टीम वर्क, सहयोग और सीखने तथा नई चुनौतियों से निपटने की प्रेरणा को भी बढ़ावा मिलता है।
- इसके अलावा सिविल सेवकों को अक्सर अपने कार्यों में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सकारात्मक अभिवृत्ति से ये कठिन परिस्थितियों में भी लचीला बने रहने एवं समस्या-समाधान की मानसिकता बनाए रखने में सक्षम हो पाते हैं।
सिविल सेवाओं में अभिरूचि और अभिवृत्ति से संबंधित कुछ उदाहरण:
- प्रशांत नायर: ये एक आई.ए.एस. अधिकारी हैं जो वर्तमान में केरल के कोझिकोड जिले के कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। इन्होंने गरीबी, भुखमरी, स्वच्छता, शिक्षा आदि से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए विभिन्न अभिनव पहलें (जैसे कम्पैशनेट कोझिकोड, ऑपरेशन सुलेमानी, आई. एम. फॉर एलेप्पी आदि) शुरू करने के लिए सोशल मीडिया तथा जनसंपर्क में अपनी अभिरूचि का उपयोग किया। इन्होंने सुलभ, उत्तरदायी और सहानुभूतिपूर्ण बनकर लोगों के प्रति सकारात्मक अभिवृत्ति का भी परिचय दिया।
- टी.एन. शेषन: भारत के 10वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में टी.एन. शेषन ने अपने सक्रिय रवैये से भारतीय चुनावी प्रक्रिया में क्रांति लाने की पहल की। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के उनके प्रयासों ने उन्हें एक ऐसे अधिकारी के रूप में ख्याति दिलाई, जिसने निडर होकर यथास्थिति को चुनौती दी तथा महत्त्वपूर्ण चुनाव सुधारों को लागू किया।
- अजीत कुमार डोभाल: ये एक आई.पी.एस. अधिकारी हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के रूप में कार्यरत हैं। इनके पास खुफिया और सुरक्षा मामलों के संबंध में अभिरूचि है। इन्होंने ऑपरेशन ब्लैक थंडर (1988), ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984), ऑपरेशन मेघदूत (1984) आदि जैसे विभिन्न ऑपरेशनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके साथ ही इन्होंने राष्ट्रीय हित को साधने के क्रम में भारत की विदेश नीति तथा रणनीतिक मामलों को आकार देने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रस्तुत कथन (उत्कृष्टता को प्राप्त करने के क्रम में अभिरूचि बुनियाद है तथा अभिवृत्ति प्रेरक शक्ति है) सिविल सेवकों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है। उचित अभिरूचि वाले सिविल सेवकों में आवश्यक ज्ञान तथा कौशल की उपलब्धता होती है जबकि सकारात्मक अभिवृत्ति से यह अपनी क्षमताओं से परे जाने, लगन से जनता की सेवा करने एवं अपनी कार्यों में उत्कृष्टता लाने हेतु प्रेरित रहते हैं। सिविल सेवाओं को प्रभावी बनाने हेतु सिविल सेवकों में इन मूल्यों को विकसित किया जाना चाहिये।