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  • 08 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस-20. "किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति, उसके पालन-पोषण एवं सामाजिक परिवेश का परिणाम है।" जीवन और कार्य के प्रति किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति को आकार देने में बचपन के शुरुआती अनुभवों एवं सामाजिक परिवेश की भूमिका का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अभिवृत्ति और इसके घटकों को बताइये।
    • जीवन और कार्य के प्रति किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति को आकार देने में बचपन के शुरुआती अनुभवों एवं सामाजिक परिवेश की भूमिका का विश्लेषण कीजिये।
    • मुख्य बिंदुओं को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    अभिवृत्ति का आशय पूर्व शिक्षा, प्रभाव और रुचि के आधार पर चीजों, व्यक्ति एवं घटनाओं के संबंध में व्यक्तिपरक प्रतिक्रियाओं से है। अभिवृत्ति अक्सर अनुभव या पालन-पोषण का परिणाम होती है और इसका व्यक्ति के व्यवहार पर शक्तिशाली प्रभाव पड़ता है। अभिवृत्ति के तीन घटक होते हैं: संज्ञानात्मक (विचार और विश्वास), भावनात्मक (भावनाएँ और संवेदनाएँ) और व्यवहारिक (कार्य और प्रवृत्तियाँ)।

    जीवन और कार्य के प्रति किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति को आकार देने में बचपन के शुरुआती अनुभवों एवं सामाजिक परिवेश की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि ये कारक इस बात को प्रभावित कर सकते हैं कि कोई व्यक्ति विभिन्न स्थितियों को किस प्रकार देखता तथा प्रतिक्रिया करता है।

    अभिवृत्ति को प्रभावित करने वाले कारक:

    प्रारंभिक बचपन के अनुभव: प्रारंभिक बचपन के दौरान, व्यक्तियों को विभिन्न अनुभवों से अवगत कराया जाता है जिससे उनकी अभिवृत्ति प्रभावित होती है। इस अवधि के दौरान मानव मस्तिष्क तीव्र विकास की स्थिति में होता है तथा शुरुआती अनुभवों का संज्ञानात्मक विकास पर स्थायी प्रभाव पड़ता है जैसे:

    • माता-पिता का प्रभाव: प्रारंभिक बचपन के दौरान माता-पिता प्राथमिक देखभालकर्ता होते हैं और उनकी अभिवृत्ति, मूल्य तथा व्यवहार का बच्चे के विकास पर प्रभाव पड़ता है। बच्चे अपने माता-पिता की अभिवृत्ति की नकल करने के साथ उसे आत्मसात करते हैं जिससे जीवन एवं कार्य के प्रति उनके दृष्टिकोण को आकार मिलता है।
    • लगाव की शैलियाँ: एक बच्चा अपने प्राथमिक देखभाल करने वालों के साथ जिस प्रकार का लगाव (जैसे कि सुरक्षित, चिंतित या टाल-मटोल करने वाला) महसूस करता है उससे इस बात की जानकारी मिल सकती है कि वे दुनिया को किस प्रकार देखते तथा समन्वय करते हैं। सुरक्षित परिवेश को महसूस करने वाले बच्चे अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मविश्वास से भरे होते हैं, जबकि असुरक्षित परिवेश को महसूस करने वाले बच्चों में अधिक नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हो सकता है।
    • प्रारंभिक शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा की प्रकृति (जिसमें शिक्षण शैली, पाठ्यक्रम और कक्षा का वातावरण भी शामिल है) से अभिवृत्ति पर प्रभाव पड़ सकता है। सीखने के सकारात्मक और सहायक अनुभवों से कार्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिल सकता है।
    • दर्दनाक घटनाएँ: दुर्व्यवहार या उपेक्षा जैसे नकारात्मक अनुभव किसी व्यक्ति की अभिवृत्ति पर दीर्घकालीन प्रभाव डाल सकते हैं। बचपन के दौरान दर्दनाक घटनाओं का सामना करने से नकारात्मक दृष्टिकोण तथा अविश्वास का विकास हो सकता है।

    सामाजिक परिवेश: परिवार, साथियों, समुदाय और सांस्कृतिक मानदंडों सहित सामाजिक वातावरण का अभिवृत्ति के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है जैसे:

    • साथियों का प्रभाव: जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं वे अपने साथियों के साथ अधिक समय बिताते हैं तथा अपने समूह के अनुरूप दृष्टिकोण एवं व्यवहार विकसित करना शुरू कर देते हैं। साथियों के दबाव और अनुरूपता से व्यक्ति विभिन्न दृष्टिकोणों को अपनाने के लिए प्रेरित हो सकता है।
    • सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्य: संस्कृति से किसी समुदाय के मानदंडों, मूल्यों और मान्यताओं को आकार मिलता है। परिवार, कार्य, सफलता एवं जीवन के विभिन्न पहलुओं के प्रति अभिवृत्ति अक्सर सांस्कृतिक अपेक्षाओं एवं सामाजिक मानदंडों से प्रभावित होती है।
    • मीडिया और प्रौद्योगिकी: वर्तमान डिजिटल युग में मीडिया और प्रौद्योगिकी की अभिवृत्ति को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। मास मीडिया, सोशल मीडिया और मनोरंजन मंच जीवन तथा कार्य के विभिन्न पहलुओं के प्रति धारणाओं एवं दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकते हैं।
    • आर्थिक स्थितियाँ: सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ भी अभिवृत्ति को प्रभावित कर सकती हैं। विभिन्न आर्थिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों का सफलता, महत्त्वाकांक्षा और अपने जीवन में कार्य के महत्त्व के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकता है।

    अभिवृत्ति किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक जटिल एवं बहुआयामी पहलू है जिसको व्यक्ति के पालन-पोषण एवं सामाजिक परिवेश से आकार मिलता है। बचपन के शुरुआती अनुभवों एवं सामाजिक परिवेश की जीवन तथा कार्य के प्रति अभिवृत्ति को आकार देने में प्रभावकारी भूमिका होती है। इन कारकों के प्रभाव को समझना सकारात्मक अभिवृत्ति को बढ़ावा देने और एक सहायक वातावरण बनाने के लिए आवश्यक है जिससे व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक स्तर पर विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

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