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  • 18 Jul 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    दिवस-2: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी चरमपंथियों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। उनके कार्यों से किस प्रकार से व्यापक स्वतंत्रता आंदोलन का मार्ग प्रशस्त हुआ था? (150 शब्द) 

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: क्रांतिकारी चरमपंथियों का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • मुख्य भाग: कुछ प्रमुख क्रांतिकारी समूहों, महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों और उनके योगदानों पर चर्चा कीजिये।
    • निष्कर्ष: मुख्य बिंदुओं को सारांशित करते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    क्रांतिकारी चरमपंथियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में (विशेषकर 20वीं सदी की शुरुआत में) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध की वकालत करते हुए, स्वतंत्रता आंदोलन के क्रम में एक अलग विंग का गठन किया। इन चरमपंथियों का लक्ष्य अक्सर राष्ट्रवाद और समाजवाद की विचारधाराओं से प्रेरित होकर विद्रोह को लोकप्रिय बनाना था।

    मुख्य भाग:

    भारत में विकसित कुछ प्रमुख क्रांतिकारी समूह:

    • बंगाल की अनुशीलन समिति और जुगांतर, पंजाब और उत्तर प्रदेश में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA), महाराष्ट्र में अभिनव भारत और विदेशों में भारतीयों द्वारा गठित गदर पार्टी ।
    • इन समूहों ने ब्रिटिश अधिकारियों और संस्थानों से संघर्ष किया जैसे चटगाँव शस्त्रागार डकैती, काकोरी ट्रेन डकैती, लाहौर षड़यंत्र मामला और हिंदू-जर्मन षड़यंत्र।
    • उन्होंने अपने विचारों का प्रसार करने और ब्रिटिश शासन के अत्याचारों को उजागर करने के लिये समाचार पत्र और पुस्तिकाएँ भी प्रकाशित कीं।
    • कुछ प्रमुख क्रांतिकारियों में भगत सिंह, सूर्य सेन, चन्द्रशेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल और वी.डी. सावरकर शामिल थे।

    स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी चरमपंथियों की भूमिका:

    • उन्होंने लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत की और उन्हें उनके अधिकारों और कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक किया।
    • उन्होंने ब्रिटिश शासन की वैधता और प्राधिकार को चुनौती दी और उसकी कमज़ोरियों को उजागर किया।
    • उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के प्रमुख नेताओं जैसे तिलक, गांधी और नेहरू को भी स्व-शासन की प्राप्ति हेतु अधिक कट्टरपंथी दृष्टिकोण अपनाने के लिये प्रेरित किया।
    • उन्होंने विश्व भर में अन्य उपनिवेशवाद-विरोधी आंदोलनों से प्रेरित होकर जर्मनी, जापान और सोवियत संघ जैसी विदेशी शक्तियों से समर्थन मांगा।

    निष्कर्ष:

    इस प्रकार क्रांतिकारी चरमपंथियों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके कार्यों ने यथास्थिति को चुनौती देने और जनता को संगठित करने के साथ स्वतंत्रता प्राप्त करने हेतु एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान किया। स्वतंत्रता संघर्ष में उनका योगदान विशिष्ट एवं पूरक था जिससे यह स्वतंत्रता प्राप्ति की दिशा में भारत की यात्रा का प्रमुख हिस्सा बना गए।

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