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दिवस-19: विचारों और विश्वासों के बीच समन्वय होने से व्यक्ति और समाज दोनों सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं और समन्वय न होने से इसके विपरीत स्थिति भी देखी जाती है। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

07 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • विचारों और विश्वासों की परिभाषा देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • चर्चा कीजिये कि कैसे विचारों और विश्वासों के बीच परस्पर क्रिया व्यक्तियों तथा समाज दोनों को सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों रूप से प्रभावित करती है।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

विचार और विश्वास दो परस्पर संबंधित मानसिक घटनाएँ हैं जो हमारे तथा हमारे आस-पास की दुनिया के बारे में हमारी धारणा को आकार देती हैं।

  • विचार मानसिक संज्ञान हैं जो वास्तविकता के विभिन्न पहलुओं के बारे में हमारे भावों, राय और निर्णयों को दर्शाते हैं।
  • विश्वास उन विचारों का संग्रह है जिन्हें हम सत्य या वैध (जो सत्य नहीं भी हो सकता है) के रूप में स्वीकार करते हैं जो अक्सर साक्ष्य, अनुभव या अधिकार पर आधारित होते हैं।

विचारों और विश्वासों के बीच परस्पर क्रिया व्यक्ति एवं समाज दोनों को सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों रूप से प्रभावित करती है।

व्यक्तिगत स्तर पर विचार और विश्वास हमारी भावनाओं, व्यवहार तथा कल्याण को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिये यदि किसी व्यक्ति के मन में अपने आत्म-मूल्य या क्षमताओं के बारे में नकारात्मक विचार हैं तो उसमें कम आत्म-सम्मान या अवसाद की भावना विकसित हो सकती है। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति अपनी क्षमता या उपलब्धियों के बारे में सकारात्मक विचार रखता है, तो वह आत्मविश्वास या खुशी महसूस कर सकता है।

  • विश्वास हमारे कार्यों और निर्णयों का भी मार्गदर्शन करते हैं क्योंकि वे हमारे मूल्यों, लक्ष्यों तथा अपेक्षाओं को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिये यदि कोई व्यक्ति मानता है कि शिक्षा उसके भविष्य के लिये महत्त्वपूर्ण है तो वह अकादमिक उत्कृष्टता हासिल करने के लिये कड़ी मेहनत कर सकता है। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति मानता है कि शिक्षा उसके लिये अप्रासंगिक या दुर्गम है तो वह पढ़ाई छोड़ सकता है या उसकी उपेक्षा कर सकता है।

सामाजिक स्तर पर विचार और विश्वास हमारी संस्कृति, मानदंडों तथा संस्थानों को आकार देते हैं। उदाहरण के लिये विभिन्न समाजों में नैतिकता, धर्म, राजनीति, विज्ञान, कला आदि के बारे में अलग-अलग विचार एवं मान्यताएँ हैं। ये विचार तथा विश्वास लोगों के एक-दूसरे के साथ समन्वय, उनकी सामाजिक संरचनाओं एवं उनकी सामूहिक पहचान को प्रभावित करते हैं।

  • उदाहरण के लिये कुछ समाजों में लोकतंत्र सरकार का सर्वोत्तम रूप है जबकि, अन्य में राजशाही या तानाशाही बेहतर है। ये विचार और विश्वास ही प्रभावित करते हैं कि लोग नागरिक जीवन में कैसे भाग लेते हैं, वे अपने अधिकारों एवं ज़िम्मेदारियों का उपयोग कैसे करते हैं तथा संघर्षों या चुनौतियों से कैसे निपटते हैं।

विचारों और विश्वासों के बीच परस्पर क्रिया गतिशील एवं पारस्परिक है। व्यक्ति और समाज संचार, शिक्षा, अनुनय के विभिन्न माध्यमों से एक-दूसरे के विचारों तथा विश्वास को प्रभावित कर सकते हैं।

  • उदाहरण के लिये व्यक्ति अपने परिवार, दोस्तों, शिक्षकों और मीडिया से नए विचार तथा विश्वास सीख सकते हैं। मनुष्यों में दयालुता, बड़ों को सम्मान देना जैसे मूल्य समाज से विकसित होते हैं क्योंकि व्यक्ति पहले समाज का निरीक्षण करता है एवं फिर इन प्रथाओं का अनुकरण करता है।

व्यक्तियों और समाज का विचारों एवं विश्वास पर प्रभाव:

  • व्यक्तिगत आधार पर कुछ व्यक्ति जैसे शिक्षक तथा कुछ आदर्श व्यक्ति, विभिन्न व्यक्तियों के विचारों को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिये डॉ. कलाम के शिक्षक ने उनमें पायलट बनने का सपना जगाया तथा गांधीजी ने कई लोगों को (यहाँ तक कि कुछ क्रांतिकारियों को भी) अहिंसक आंदोलन में शामिल होने के लिये प्रभावित किया।
  • सामाजिक स्तर पर साथियों का दबाव, सामाजिक पूर्वाग्रह, बाज़ार और श्रम अर्थव्यवस्था के रुझान, पुरस्कार एवं दंड की प्रथाएँ समाज द्वारा व्यक्तियों के विचारों एवं मान्यताओं में बदलाव लाती हैं। उदाहरण के लिये केरल के समाज में लड़कियों के लिये नर्सिंग शिक्षा सुविधाएँ तथा नौकरियाँ अन्य समाजों की तुलना में अधिक लड़कियों को नर्सिंग क्षेत्र में जाने के लिये प्रेरित करती हैं। इसके साथ ही साथियों का दबाव आमतौर पर छात्रों को कॉलेज के दिनों में शराब पीने की आदत अपनाने के लिये प्रेरित करता है।

विचार और विश्वास ऐसी शक्तिशाली मानसिक घटनाएँ हैं जिनका व्यक्तियों एवं समाज दोनों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ये हमारी वास्तविकता तथा हमारे कार्यों को जटिल और गतिशील तरीकों से आकार देते हैं। इसलिये अपने विचारों तथा विश्वासों के प्रति जागरूक रहना आवश्यक है। नए या भिन्न विचारों एवं विश्वासों का सामना करते समय आलोचनात्मक होना भी महत्त्वपूर्ण है, ऐसा करके हम अपने और दूसरों के विचारों तथा विश्वासों के बीच अधिक सामंजस्यपूर्ण तथा परस्पर रचनात्मक क्रिया को बढ़ावा दे सकते हैं।