दिवस- 16: ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य न केवल भारत के ऊर्जा संकट को हल करना है, बल्कि इस दिशा में वैज्ञानिक प्रयासों को बढ़ावा देने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये एक नए क्षेत्र का सृजन करना है। विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
03 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- परिचय: संक्षेप में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का परिचय दीजिये।
- मुख्य भाग: स्पष्ट कीजिये कि किस प्रकार यह वैज्ञानिक प्रयासों को बढ़ावा देने और भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये एक नए क्षेत्र का सृजन करेगा।
- निष्कर्ष: ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण पहल कैसे है, इस पर संक्षेप में बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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भारत का लक्ष्य वर्ष 2047 तक ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना और वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो स्थिति हासिल करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ाना भारत के ऊर्जा संक्रमण के केंद्र में है। जनवरी 2023 में स्वीकृत राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना और इस उभरते क्षेत्र के अवसरों एवं चुनौतियों के लिये एक प्रणालीगत प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित करने हेतु व्यापक कार्य योजना प्रदान करना है।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन:
- यह हरित हाइड्रोजन के व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने और भारत को ईंधन का शुद्ध निर्यातक बनाने हेतु एक कार्यक्रम है।
- यह मिशन हरित हाइड्रोजन मांग में वृद्धि के साथ-साथ इसके उत्पादन, उपयोग और निर्यात को बढ़ावा देगा।
- ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा उत्पन्न बिजली के साथ पानी के इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग करके किया जाता है। विशेष रूप से ग्रीन हाइड्रोजन लगभग शून्य उत्सर्जन के साथ ऊर्जा के सबसे स्वच्छ स्रोतों में से एक है।
इस मिशन का महत्त्व:
- ऊर्जा संकट को संबोधित करना:
- इस मिशन का लक्ष्य 2030 तक भारत में लगभग 125 गीगावॉट (गीगावाट) की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की प्राप्ति के साथ-साथ प्रति वर्ष कम से कम 5 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) की हरित हाइड्रोजन क्षमता का उत्पादन करना है।
- इससे जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की संचयी कमी आएगी और लगभग 50 मीट्रिक टन वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे औद्योगिक, गतिशीलता और ऊर्जा क्षेत्रों के डीकार्बोनाइजेशन में मदद मिलेगी।
- वैज्ञानिक प्रयास को बढ़ावा:
- इस मिशन का घटक हरित हाइड्रोजन संक्रमण कार्यक्रम हेतु रणनीतिक हस्तक्षेप इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू निर्माण को निधि प्रदान करेगा और हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा।
- बड़े पैमाने पर उत्पादन और/या हाइड्रोजन के उपयोग का समर्थन करने में सक्षम राज्यों एवं क्षेत्रों को हरित हाइड्रोजन हब के रूप में पहचाना तथा विकसित किया जाएगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु नए क्षेत्र के रूप में:
- इसके तहत कुल 8 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश कर 6 लाख नौकरियाँ सृजित करना अपेक्षित है।
- भारत में हरित हाइड्रोजन के उत्पादन हेतु भौगोलिक स्थिति अनुकूल होने के साथ-साथ धूप और हवा की प्रचुर उपलब्धता है।
- हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को उन क्षेत्रों में प्रोत्साहित किया जा रहा है जिन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विद्युतीकरण संभव नहीं है।
- इनमें से कुछ उद्योग लंबी दूरी के परिवहन के साधन, कुछ औद्योगिक तथा विद्युत क्षेत्र में उच्च भंडारण क्षमता वाले उपकरण शामिल हैं।
- उच्च मूल्य वाले हरित उत्पादों और इंजीनियरिंग, क्रय एवं निर्माण सेवाओं के निर्यात के लिये क्षेत्रीय हब का विकास उद्योग के शुरुआती चरणों के कारण संभव है।
संबंधित चुनौतियाँ:
- विश्व स्तर पर नवीन साधन:
- विश्व स्तर पर हरित हाइड्रोजन का विकास अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है, जबकि भारत एक प्रमुख उत्पादक होने का लक्ष्य निर्धारित कर सकता है, हालाँकि इन सभी मध्यस्थ कदमों को निष्पादित करने हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचा नहीं है।
- आर्थिक स्थिरता:
- हाइड्रोजन का व्यावसायिक रूप से उपयोग करने के लिये उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक हरित हाइड्रोजन उत्पादन की आर्थिक स्थिरता है।
- परिवहन ईंधन शृंखला के लिये प्रति मील के आधार पर पारंपरिक ईंधन और प्रौद्योगिकियों के साथ हाइड्रोजन को लागत-प्रतिस्पर्द्धी होना चाहिये।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन में भारत के ऊर्जा परिवर्तन से संबंधित अपार संभावनाएँ निहित हैं। औद्योगिक उपयोगकर्ताओं को हरित हाइड्रोजन अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने और मज़बूत आपूर्ति श्रृंखला तथा कौशल विकास कार्यक्रम विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर भारत खुद को दुनिया में हरित हाइड्रोजन के अग्रणी उत्पादक एवं आपूर्तिकर्त्ता के रूप में स्थापित कर सकता है।