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03 Aug 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 3
विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दिवस- 16: क्या आपको लगता है कि नेशनल रिसर्च फाउंडेशन, भारत की वैज्ञानिक साक्षरता के साथ प्रामाणिक वैज्ञानिक प्रकाशन को अच्छे स्तर पर ले जाएगा? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) और इसके उद्देश्य का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- वैज्ञानिक अनुसंधान के अंतर को पाटने में NRF की आवश्यकता और महत्त्व को स्पष्ट कीजिये।
- NRF के सामने आने वाली संभावित चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- NRF के उचित कार्यान्वयन के लिये आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (National Research Foundation- NRF) विधेयक को मंज़ूरी देकर देश में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। NRF अनुसंधान एवं विकास निवेश क्षेत्र में भारत के लगातार बने रहने वाले अंतराल को दूर करने और उच्च शिक्षा संस्थानों के अंदर एक प्रबल अनुसंधान वातावरण को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है। NRF भारतीय विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) की जगह लेगा तथा इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होगा। NRF का लक्ष्य अंतःविषय अनुसंधान को बढ़ावा देना, अनुसंधान प्रयासों के दोहराव को कम करना और अनुसंधान नीति एवं अभ्यास हेतु अनुवाद की सुविधा प्रदान करना है।
वैज्ञानिक अनुसंधान के अंतर को पाटने में NRF की आवश्यकता और महत्त्व:
- अनुसंधान निवेश अंतर: NRF का लक्ष्य 2030 तक भारत के अनुसंधान एवं विकास निवेश को सकल घरेलू उत्पाद के 2% तक बढ़ाना है क्योंकि भारत का वर्तमान अनुसंधान एवं विकास व्यय-जीडीपी अनुपात 0.7% है जो कि एक अनुकूल अनुसंधान वातावरण को बढ़ावा देने हेतु अपर्याप्त है तथा अन्य देशों से काफी नीचे है। अन्य देशों में यह औसत 1.8%, जबकि अमेरिका (2.8%), चीन (2.1%), इज़रायल (4.3%) और दक्षिण अफ्रीका (4.2%) जैसे देशों में यह बहुत अधिक था।
- अनुसंधान को बढ़ावा: भारत (अंतर्राष्ट्रीय IP सूचकांक 2023 में 42वें स्थान पर) पेटेंट और प्रकाशनों की संख्या में पीछे है।
- अंतःविषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने पर NRF का ध्यान भारत की विकासात्मक चुनौतियों के लिये नवीन समाधानों को जन्म दे सकता है और 2030 तक वैश्विक वैज्ञानिक प्रकाशनों की हिस्सेदारी लगभग 5% से बढ़ाकर 7% कर सकता है।
- अनुसंधान के अवसरों में समावेशिता: वर्तमान अनुसंधान निधि अक्सर हाशिये के क्षेत्रों और शोधकर्ताओं को छोड़कर विशिष्ट संस्थानों तक ही सीमित है। उदाहरण के लिये DST अधिकारियों ने कहा कि SERB से लगभग 65% फंड IIT को जाता था और केवल 11% राज्य के विश्वविद्यालयों को जाता था।
- NRF की स्थापना का उद्देश्य अनुसंधान के अवसरों में समावेशिता को बढ़ावा देते हुए संस्थानों और क्षेत्रों में धन का समान वितरण सुनिश्चित करना है।
- सहयोग को प्रोत्साहित करना और साइलो को समाप्त करना: भारत में अनुसंधान अक्सर विभिन्न संस्थानों द्वारा साइलो में किया जाता है, जिससे संसाधनों की बर्बादी होती है। सभी विषयों और क्षेत्रों में सहयोगात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देने का NRF का अधिदेश इन बाधाओं को तोड़ सकता है तथा जटिल चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान कर सकता है।
- सामाजिक विज्ञान और मानविकी पर ध्यान केंद्रित करना: अधिकांश शोध निधि सामाजिक विज्ञान और मानविकी की उपेक्षा करते हुए प्राकृतिक विज्ञान एवं इंजीनियरिंग की ओर झुकी हुई है।
- अंतःविषयक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये NRF का दृष्टिकोण इस असंतुलन को संबोधित कर सकता है और उपेक्षित क्षेत्रों में अधिक निवेश को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
NRF के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ:
- परामर्श और कॅरियर विकास सहायता का अभाव:
- संस्थानों में औपचारिक या अनौपचारिक परामर्श और कॅरियर विकास सहायता का अभाव।
- इससे शोधकर्ताओं के लिये अपना कौशल विकसित करना और अपने कॅरियर को आगे बढ़ाना कठिन हो सकता है।
- संस्थानों में औपचारिक या अनौपचारिक परामर्श और कॅरियर विकास सहायता का अभाव।
- अनुसंधान प्रबंधन के लिये अपर्याप्त समर्थन:
- शैक्षणिक नेतृत्व, प्रयोगशाला प्रबंधन, डेटा प्रबंधन, अनुसंधान कदाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये अपर्याप्त समर्थन।
- इससे खराब शोध गुणवत्ता, डेटा उल्लंघन और नैतिक उल्लंघन जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- शैक्षणिक नेतृत्व, प्रयोगशाला प्रबंधन, डेटा प्रबंधन, अनुसंधान कदाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिये अपर्याप्त समर्थन।
- आवधिक मूल्यांकन की परिवर्तनीय गुणवत्ता:
- आवधिक मूल्यांकन की गुणवत्ता परिवर्तनशील होती है, जो प्रायः पुरस्कार या आलोचना की प्रदर्शन-प्रेरित प्रणाली से रहित होती है।
- इससे आत्म-संतुष्टि पैदा हो सकती है और शोधकर्ता जोखिम लेने के प्रति हतोत्साहित हो सकते हैं।
- आवधिक मूल्यांकन की गुणवत्ता परिवर्तनशील होती है, जो प्रायः पुरस्कार या आलोचना की प्रदर्शन-प्रेरित प्रणाली से रहित होती है।
- विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व:
- भारत में कुल नामांकन में महिला नामांकन का प्रतिशत वर्ष 2014-15 के 45% से बढ़कर वर्ष 2020-21 में लगभग 49% हो गया, लेकिन विज्ञान विभागों में संकाय पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी कम है।
- यह प्रतिभाशाली शोधकर्ताओं के समूह को सीमित कर सकता है और विज्ञान में महिलाओं के लिये प्रतिकूल वातावरण का निर्माण कर सकता है।
- न्यायसंगत धन वितरण:
- NRF के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित संस्थानों को समान रूप से वित्तपोषण प्राप्त हो।
- NRF को पैटर्न को तोड़ने के तरीके खोजने होंगे और यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के सभी हिस्सों में संस्थानों को फंडिंग उपलब्ध हो।
- अंतःविषयक सहयोग को प्रोत्साहित करना:
- NRF के सामने एक और चुनौती अंतःविषयक सहयोग को प्रोत्साहित करने की है।
- पूर्व में भारत में अनुसंधान अलग-अलग किये जाते थे जहाँ विभिन्न विषय एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से कार्य करते थे।
निष्कर्षतः राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना का उद्देश्य भारत में वैज्ञानिक साक्षरता को बढ़ाना, अनुसंधान निवेश अंतर को पाटने के साथ प्रामाणिक वैज्ञानिक प्रकाशनों को बढ़ावा देना है। हालाँकि सफल कार्यान्वयन के लिये चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संबोधित कर सहयोगात्मक अनुसंधान वातावरण को बढ़ावा देने और NRF के उद्देश्यों को देश की विकासात्मक आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने की आवश्यकता है।
चूँकि भारत का अनुसंधान एवं विकास व्यय कम है, NRF का लक्ष्य अनुसंधान और नवाचार में सार्वजनिक एवं निजी निवेश बढ़ाने का प्रयास होना चाहिये ताकि मौजूदा संसाधनों एवं अवसंरचना का कुशलतापूर्वक लाभ उठाया जा सके।