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दिवस- 15: भारतीय सशस्त्र बलों को यह सुनिश्चित करने के लिए कौन-से सुधार लागू करने चाहिए कि वे प्रभावी आक्रामक और रक्षात्मक रणनीति के साथ भविष्य में होने वाले युद्धों के लिये अच्छे से तैयार हो सकें? (250 शब्द)

02 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आंतरिक सुरक्षा

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

  • थल सेना, नौसेना और वायु सेना तथा अन्य केंद्रीय सशस्त्र बलों सहित भारतीय सशस्त्र बलों का संक्षिप्त विवरण दीजिये।
  • उनके सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और यह भी बताइये कि भारतीय सशस्त्र बलों को कौन से सुधार लागू करने चाहिए ताकि वे प्रभावी आक्रामक और रक्षात्मक रणनीति के साथ भविष्य में होने वाले युद्धों के लिये अच्छी तरह तैयार हो सकें।
  • यथोचित निष्कर्ष लिखिये।

भारतीय सशस्त्र बलों में भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और अन्य केंद्रीय सशस्त्र बल जैसे तटरक्षक बल, असम राइफल्स और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स शामिल हैं।

भारतीय सशस्त्र बल भारत की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये ज़िम्मेदार हैं। हालाँकि, बदलते सुरक्षा परिवेश में उन्हें पारंपरिक और गैर-पारंपरिक युद्धों, साइबर और अंतरिक्ष युद्धों, सीमा पार के आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा और आपदा प्रबंधन जैसी कई चुनौतियों तथा खतरों का भी सामना करना पड़ता है।

इसलिये, यह आवश्यक है कि भारतीय सशस्त्र बल यह सुनिश्चित करने के लिये सुधार लागू करें कि वे प्रभावी आक्रामक और रक्षात्मक रणनीति के साथ भविष्य में होने वाले युद्धों के लिये पूरी तरह सक्षम हो सकें।

भारतीय सशस्त्र बलों को निम्नलिखित चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:

  • धन की कमी: भारतीय रक्षा बजट अन्य प्रमुख शक्तियों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा है और इससे सशस्त्र बलों की अपने उपकरणों तथा बुनियादी ढाँचे को आधुनिक बनाने की क्षमता सीमित हो जाती है।
  • पुराने और अप्रचलित उपकरण: भारतीय सशस्त्र बलों के अधिकांश उपकरण पुराने और अप्रचलित हैं, जिससे अन्य देशों की सेनाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है।
  • जनशक्ति की कमी: भारतीय सशस्त्र बल जनशक्ति की कमी का सामना कर रहे हैं, जिससे सभी आवश्यक पदों पर नियुक्ति मुश्किल हो जाती है।
  • उग्रवाद और आतंकवाद: भारत को उग्रवाद और आतंकवाद सहित कई आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसने सशस्त्र बलों पर दबाव डाला है, जिन्हें अक्सर इन खतरों का जवाब देने के लिये कहा जाता है।
  • सीमा सुरक्षा: भारत की सीमा लंबी और छिद्रपूर्ण है, जिससे देश को बाहरी खतरों से सुरक्षित रखना मुश्किल हो जाता है।
  • साइलो में काम करना: भारतीय सशस्त्र बल अभी भी अपेक्षाकृत साइलो में काम करते हैं, जिससे विभिन्न सेवाओं में संचालन का समन्वय करना मुश्किल हो सकता है।
  • अनुसंधान एवं विकास: भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास क्षेत्र उतना मज़बूत नहीं है जितना हो सकता था, जो देश की अपनी सैन्य प्रौद्योगिकियों को विकसित करने की क्षमता को सीमित करता है।
  • चीन का प्रभाव: इस क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव भारत के लिये एक चुनौती है।
  • युद्ध की बदलती प्रकृति: युद्ध लगातार जटिल और तकनीकी रूप से उन्नत होते जा रहे हैं तथा भारतीय सशस्त्र बलों को इन परिवर्तनों के अनुरूप ढलने की ज़रूरत है।

कुछ सुधार जिन्हें भारतीय सशस्त्र बलों को लागू करना चाहिए वे हैं:

  • थिएटर कमांड: यह एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र या कार्यात्मक डोमेन के लिये एक ही कमांडर के तहत विभिन्न सेवाओं की परिचालन संपत्तियों और संसाधनों को एकीकृत करने की एक अवधारणा है।
    • इससे सेवाओं के बीच संयुक्तता, तालमेल और अंतरसंचालनीयता बढ़ेगी और उन्हें भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर जैसे विभिन्न डोमेन में एकीकृत संचालन करने में सक्षम बनाया जा सकेगा।
    • सरकार ने भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की नियुक्ति की और भारत में थिएटर कमांड के निर्माण की सुविधा के लिये सैन्य मामलों का विभाग (DMA) बनाया है।
  • ड्यूटी का दौरा: यह नागरिकों को सैनिकों और अधिकारी रैंक दोनों के स्वयंसेवकों के रूप में कुछ वर्षों की छोटी अवधि के लिये सेना में शामिल होने की अनुमति देने की एक अवधारणा है। इससे सेना की जनशक्ति और पेंशन लागत को कम करने, रक्षा क्षेत्र में युवा और प्रतिभाशाली पेशेवरों को आकर्षित करने, नागरिक-सैन्य संबंधों को बढ़ाने तथा राष्ट्रीय आपात स्थितियों के लिये प्रशिक्षित रिज़र्व का एक बड़ा पूल बनाने में मदद मिलेगी।
  • एकीकृत युद्ध समूह: यह सेना की मौजूदा संरचनाओं को चुस्त, मॉड्यूलर और आत्मनिर्भर इकाइयों में पुनर्गठित करने की एक अवधारणा है जो तेजी से संगठित हो सकती है और आक्रामक या रक्षात्मक अभियान को निर्देशित कर सकती है।
    • प्रत्येक एकीकृत युद्ध समूह में विभिन्न हथियारों और सेवाओं जैसे पैदल सेना, तोपखाने आदि से लगभग 5,000 सैनिक शामिल होंगे। सेना ने पहले ही पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर दो एकीकृत युद्ध समूहों का संचालन किया है।
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया: यह घरेलू या विदेशी स्रोतों से रक्षा उपकरण और प्लेटफार्मों की खरीद के लिये नियमों और दिशानिर्देशों का एक सेट है।
    • सरकार ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 का अनावरण किया है, जिसका उद्देश्य अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और तेज करना, स्वदेशीकरण और नवाचार को बढ़ावा देना, रक्षा निर्यात को बढ़ावा देना तथा रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।
  • रक्षा अनुसंधान और विकास: यह अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों को विकसित करने के लिये रक्षा क्षेत्र की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने का एक क्षेत्र है।
    • सरकार ने रक्षा अनुसंधान और विकास में सुधार के लिये कई उपाय किये हैं, जैसे बजट आवंटन बढ़ाना, निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, नवीन पारिस्थितिकी तंत्र बनाना और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

भारतीय सशस्त्र बलों को प्रभावी आक्रामक और रक्षात्मक रणनीतियों के साथ भविष्य के युद्ध परिदृश्यों के लिये तैयार रहने हेतु स्वयं में सुधार करने की आवश्यकता है। इन सुधारों को लागू करके, भारतीय सशस्त्र बल अपनी परिचालन तत्परता, युद्ध प्रभावशीलता, तकनीकी बढ़त और रणनीतिक स्वायत्तता को बढ़ा सकते हैं।