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दिवस- 15 विश्व की लगभग 40% जनसंख्या तटीय क्षेत्रों में निवास करती है। तटीय शहरों का जलमग्न होना या धँसना एक आधुनिक शहरी आपदा बन गया है। इस घटना हेतु उत्तरदायी कारणों का विश्लेषण करते हुए इसके समाधान हेतु उपाय बताइये। (250 शब्द)

02 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भूमि के धँसाव एवं तटीय क्षेत्रों के जलमग्न होने के बारे में बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • इस घटना हेतु उत्तरदायी कारणों का विश्लेषण करते हुए इसके स्थायी समाधान हेतु उपाय बताइये।
  • उचित निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

धँसाव का आशय विभिन्न प्राकृतिक या मानव-प्रेरित कारकों द्वारा भूमि के धँसने की एक भू-वैज्ञानिक घटना से है। इससे विश्व भर के कई तटीय शहरों को गंभीर खतरा उत्पन्न होता है क्योंकि इससे बाढ़, कटाव, तूफान और समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रति इनकी संवेदनशीलता बढ़ जाती है। भूस्खलन का सामना कर रहे तटीय शहरों के कुछ उदाहरण न्यूयॉर्क, मुंबई आदि हैं।

भूमि धँसाव के कारण अलग-अलग शहरों में अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन इसके कुछ सामान्य कारक भी हैं, जैसे:

  • भू-जल दोहन: यह कई तटीय शहरों (खासकर एशिया) में भूमि धँसाव का मुख्य कारण है जहाँ पर तीव्र शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि से मीठे जल की मांग में वृद्धि हो रही है। भू-जल के अतिदोहन से मृदा संकुचित होने से इसका धँसाव होता है।
  • प्राकृतिक धँसाव: इसका आशय अत्यधिक वज़न (विशाल गगनचुंबी इमारतों) और टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण मृदा की परतों का क्रमिक रूप से संकुचित होना है। इससे तटीय क्षेत्र प्रभावित होते हैं जो डेल्टा एवं दलदल जैसी मुलायम मृदा पर बने होते हैं।
  • तेल और गैस का निष्कर्षण: यह भू-जल निष्कर्षण के समान है, क्योंकि यह ऊपर की चट्टानों के ढहने का कारण बनता है। यह उन तटीय शहरों को प्रभावित करता है जिनमें ह्यूस्टन और न्यू ऑरलियन्स जैसे अपतटीय या तटवर्ती हाइड्रोकार्बन क्षेत्र शामिल हैं।
  • विनिर्माण और शहरीकरण: इसका आशय इमारतों, बुनियादी ढाँचे एवं लैंडफिल के कारण भूमि की सतह पर पड़ने वाले भार से है। इससे अंतर्निहित मृदा पर तनाव बढ़ जाता है और वह धँस जाती है। यह जकार्ता और मनीला जैसे उच्च विकास घनत्व एवं खराब नियोजन वाले तटीय शहरों को प्रभावित करता है।

भूमि धँसाव की समस्या को हल करने के कुछ संभावित समाधान:

  • भू-जल दोहन को कम करना: ऐसा जल संरक्षण उपायों को अपनाने, जल आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोतों को विकसित कर (जैसे कि वर्षा जल संचयन एवं अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग) तथा भू-जल उपयोग को विनियमित करके किया जा सकता है।
  • प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना: ऐसा आर्द्रभूमि एवं मैंग्रोव क्षेत्र का विस्तार कर किया जा सकता है। इससे लहरों एवं तूफानों के प्रभावों को रोकने के साथ जीवों के लिये आवास मिल सकता है।
  • इंजीनियरिंग उपायों को अपनाना: ऐसा इमारतों को मज़बूत और बुनियादी ढाँचे को ऊँचा कर जल निकासी प्रणालियों के बेहतर प्रबंधन, समुद्री तटबंधों का निर्माण तथा मिट्टी को स्थिर करने के उपायों द्वारा किया जा सकता है।
  • निगरानी और प्रशासन में सुधार: ऐसा उपग्रह डेटा के उपयोग से भूस्खलन दर के मापन एवं हॉटस्पॉट की पहचान, जोखिम मूल्यांकन तथा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के विकास, सार्वजनिक जागरूकता एवं भागीदारी बढ़ाकर तथा विभिन्न हितधारकों एवं क्षेत्रों के बीच नीतियों तथा कार्यों का समन्वय कर किया जा सकता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की तीव्रता को कम करना: इससे बर्फ के पिघलने की गति में कमी आने से समुद्र के जल स्तर में कमी आएगी। इससे कई तटीय शहरों में बाढ़, कटाव और खारे पानी के प्रवाह जैसी समस्याओं में भी कमी आएगी।

निष्कर्ष:

वर्तमान में कई तटीय शहरों का जलमग्न होना एक गंभीर चुनौती है जिस पर तत्काल ध्यान देने और कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इसके कारणों को हल करके समुद्र के स्तर में होने वाली वृद्धि के प्रति तटीय शहरों की अनुकूलन क्षमता एवं स्थिरता को बढ़ाया जा सकता है।