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  • 31 Jul 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस-13. भारत में गिग श्रमिकों के समक्ष उत्पन्न मुद्दों तथा उनके समाधान हेतु आवश्यक नीतिगत उपायों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: गिग श्रमिकों के बारे में बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • मुख्य भाग: इनके समक्ष आने वाले मुद्दे तथा इन मुद्दों को हल करने के संभावित उपायों पर चर्चा कीजिये।
    • निष्कर्ष: मुख्य बिंदुओं को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    गिग श्रमिक (जिन्हें फ्रीलांसरों के रूप में भी जाना जाता है) विशिष्ट परियोजनाओं या कार्यों को पूरा करने के लिये अल्पकालिक या अस्थायी आधार पर काम करते हैं। ये पूर्णकालिक कर्मचारी नहीं होते हैं और जिन कंपनियों के लिये ये काम करते हैं, उनके साथ आमतौर पर इनका दीर्घकालिक अनुबंध नहीं होता है।

    बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के गिग कार्यबल में सॉफ्टवेयर, संबंधित सेवाओं और पेशेवर सेवाओं जैसे उद्योगों में लगभग 15 मिलियन कर्मचारी कार्यरत हैं। 

    भारत में गिग श्रमिकों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ:

    • औपचारिक अनुबंधों और मान्यता का अभाव: गिग श्रमिकों के पास अक्सर उन प्लेटफॉर्मों या ग्राहकों के साथ औपचारिक अनुबंध या लिखित समझौते नहीं होते हैं जो उन्हें संलग्न करते हैं। इससे वे शोषण, मनमाने ढंग से नौकरी से निकाले जाने, वेतन का भुगतान न करने या देरी से भुगतान करने के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
    • सामाजिक सुरक्षा का अभाव: गिग श्रमिकों की पहुँच भविष्य निधि, स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, पेंशन आदि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक नहीं होती है जो औपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये उपलब्ध हैं। उन्हें कार्य के दौरान उत्पन्न होने वाले व्यावसायिक खतरों, दुर्घटनाओं, बीमारियों या चोटों से भी सुरक्षा नहीं मिलती है।
      • इन्हें संबंधित उपकरण, इनके रखरखाव, ईंधन, इंटरनेट इत्यादि की लागत स्वयं वहन करनी होती है।
      • इस वर्ष मार्च में एक संसदीय स्थायी समिति ने उल्लिखित किया था कि गिग और प्लेटफॉर्म कर्मचारी भविष्य निधि के दायरे में नहीं आते हैं।
    • सौदेबाज़ी की शक्ति का अभाव: गिग श्रमिकों के पास अपने वेतन, कार्य के घंटे, कार्य के नियम और शर्तों को निर्धारित करने के संबंध में सौदेबाज़ी की शक्ति का अभाव होता है। इससे इनकी आय और अवसर सीमित होते हैं। 
      • उन्हें अपने हितों और शिकायतों का सामूहिक रूप से प्रतिनिधित्व करने के लिये ट्रेड यूनियनों या संघों को बनाने या उनमें शामिल होने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    • कौशल विकास और कॅरियर में प्रगति का अभाव: गिग श्रमिकों को बाज़ार की बदलती मांगों और अपेक्षाओं से निपटने के लिये नए कौशल प्राप्त करने तथा अपने मौजूदा कौशल को उन्नत करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उनके पास गिग इकॉनमी के तहत या उससे परे कॅरियर में उन्नति या गतिशीलता के सीमित अवसर होते हैं। अनौपचारिक स्थिति और साख की कमी के कारण उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है।

    इन मुद्दों के समाधान हेतु आवश्यक उपाय:

    • औपचारिकता और मान्यता: गिग श्रमिकों को औपचारिक अनुबंध या समझौतों में शामिल करना चाहिये जिससे इनके अधिकारों और दायित्वों के साथ-साथ इन्हें संलग्न करने वाले प्लेटफार्मों या ग्राहकों के अधिकारों एवं दायित्वों को निर्दिष्ट किया जा सके। उन्हें प्रासंगिक श्रम कानूनों और विनियमों के तहत श्रमिकों के रूप में भी मान्यता दी जानी चाहिये।
    • सामाजिक सुरक्षा और संरक्षण: गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत शामिल किया जाना चाहिये जिससे उन्हें स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, मातृत्व लाभ, पेंशन आदि जैसे लाभ प्राप्त हो सकें।
      • गिग श्रमिकों को अपने कार्य के दौरान व्यावसायिक खतरों, दुर्घटनाओं, बीमारियों या चोटों से सुरक्षा का भी हक होना चाहिये और इसके अनुसार मुआवज़ा या राहत मिलनी चाहिये।
      • हाल ही में एक संसदीय पैनल ने श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय से ऐसे श्रमिकों के लिये जल्द से जल्द कल्याणकारी योजनाएँ निर्मित करने तथा लागू करने को कहा है।
      • राजस्थान विधानसभा ने हाल ही में गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से एक महत्त्वपूर्ण विधेयक पारित किया है।
    • सौदेबाज़ी की शक्ति और प्रतिनिधित्व: गिग श्रमिकों को ट्रेड यूनियनों या संघों को बनाने या उनमें शामिल होने का अधिकार होना चाहिये जिससे वे सामूहिक रूप से सौदेबाज़ी कर सकें। शिकायत निवारण तंत्र तक भी इनकी पहुँच होनी चाहिये जिससे इनके विवादों या शिकायतों को निष्पक्ष रूप से समय पर हल किया जा सके।
      • नीतियों, एल्गोरिदम, रेटिंग, प्रोत्साहन आदि में किसी भी बदलाव के बारे में गिग श्रमिकों से परामर्श लेने के साथ इन्हें सूचित किया जाना चाहिये।
    • कौशल विकास और कॅरियर में प्रगति: गिग श्रमिकों को कौशल विकास कार्यक्रमों तक पहुँच प्रदान की जानी चाहिये जिससे उन्हें नए कौशल सीखने या रोज़गार क्षमता तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिये मौजूदा कौशल को उन्नत करने में मदद मिल सके।
      • उन्हें पूर्व अधिगम की मान्यता स्कीम (रिकग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग), कौशल के प्रमाणीकरण, सलाह आदि के माध्यम से गिग इकॉनमी के तहत या उससे परे कॅरियर की प्रगति या गतिशीलता के अवसर भी मिलने चाहिये।
      • उद्योगों तथा समाज द्वारा भी उनके साथ गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिये।

    गिग इकॉनमी से श्रमिकों, प्लेटफॉर्मों तथा समाज के लिये विभिन्न अवसरों के साथ चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। ई-श्रम पोर्टल के साथ गिग श्रमिकों एवं प्लेटफॉर्म श्रमिकों जैसे असंगठित श्रमिकों का डेटाबेस जैसी सरकारी पहल से गिग श्रमिकों को महत्त्वपूर्ण लाभ मिल सकता है। नवाचार और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देते हुए इनके लिये सामाजिक सुरक्षा तथा कौशल विकास सुनिश्चित करना चाहिये। संतुलित दृष्टिकोण अपनाकर गिग अर्थव्यवस्था से भारत की आर्थिक वृद्धि के साथ समावेशी रोज़गार की दिशा में लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

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