31 Jul 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय: ई-रुपी और इसकी विशेषताओं को बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- मुख्य भाग: ई-रुपी के संभावित लाभों के साथ-साथ इससे जुड़े संभावित जोखिमों पर भी चर्चा कीजिये।
- निष्कर्ष: आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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ई-रुपी/ई-रुपया, रुपए का डिजिटल संस्करण है, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के रूप में जारी किया जाता है। यह एक कानूनी निविदा होने के साथ फिएट मुद्रा के समान और विनिमय योग्य है। RBI ने थोक और खुदरा दोनों क्षेत्रों में ई-रुपी को पायलट स्तर पर शुरू किया है, जिसमें सरकारी प्रतिभूतियों के लेन-देन के निपटान से लेकर व्यक्ति-से-व्यक्ति और व्यक्ति-से-व्यापारी तक भुगतान किया जाना शामिल है।
भारत में ई-रुपया को CBDC के रूप में प्रस्तुत करने के कुछ संभावित लाभ:
- बैंकिंग सुविधाओं से वंचित और कम बैंकिंग सुविधा वाली आबादी को डिजिटल भुगतान तक पहुँच प्रदान करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।
- मुद्रा प्रबंधन की लागत और जोखिम जैसे- मुद्रण, भंडारण, परिवहन से संबंधित लागत में कमी आएगी।
- तीव्र, सुलभ एवं सुरक्षित लेन-देन सुनिश्चित होने से भुगतान प्रणाली की दक्षता एवं पारदर्शिता में सुधार होगा।
- नए उत्पादों और सेवाओं के लिये एक मंच प्रदान किये जाने से डिजिटल अर्थव्यवस्था में नवाचार एवं प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलेगा।
- धन की आपूर्ति हेतु प्रभावी एक प्रत्यक्ष चैनल मिलने से RBI के मौद्रिक नीति उद्देश्यों को समर्थन मिलेगा।
- बैंक खाता रखने की आवश्यकता में कमी आएगी क्योंकि धारकों को ई रुपया रखने के लिये बैंक खाता रखने की आवश्यकता नहीं होगी।
भारत में ई-रुपी को CBDC के रूप में प्रस्तुत करने के कुछ संभावित जोखिम या चुनौतियाँ:
- बैंक जमा और मध्यस्थता सेवाओं की मांग में कमी आने से बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता और लाभप्रदता के लिये जोखिम उत्पन्न होगा।
- इससे हैकिंग, धोखाधड़ी, चोरी, जालसाज़ी और तकनीकी गड़बड़ियों जैसे साइबर जोखिमों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
- ई-रुपी के उपयोगकर्ताओं, जारीकर्ताओं और मध्यस्थों के अधिकारों एवं दायित्वों को परिभाषित करने संबंधी कानूनी और नियामक मुद्दों को बढ़ावा मिलेगा।
- गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के संबंध में भी इसके निहितार्थ हैं जैसे कि ई-रुपया लेन-देन की गुमनामी तथा गोपनीयता सुनिश्चित करना।
- ई-रुपी के संभावित उपयोगकर्ताओं के बीच जागरूकता, विश्वास, बुनियादी ढाँचे और अंतर-संचालनीयता की कमी जैसे मुद्दे उभर सकते हैं।
भारत में ई-रुपी को CBDC के रूप में प्रस्तुत किया जाना, RBI की एक आशाजनक पहल है जिससे अर्थव्यवस्था तथा समाज को विभिन्न लाभ हो सकते हैं। हालाँकि इसमें विभिन्न चुनौतियाँ और जोखिम भी शामिल हैं जिन्हें सावधानीपूर्वक हल करने की आवश्यकता है। ई-रुपी की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसमें दक्षता, सुरक्षा, गोपनीयता तथा समावेशन के बीच कितनी अच्छी तरह से संतुलन सुनिश्चित किया जाता है।