17 Jul 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भारतीय समाज
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- यौन एवं प्रजनन अधिकारों (SRR) के बारे में संक्षेप में बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में भारत की स्थिति और लैंगिक स्तर पर इसके पक्षपाती जनसंख्या नियंत्रण उपायों का उल्लेख कीजिये। इनके अधिकारों की प्राप्ति में आने वाली चुनौतियों की व्याख्या करते हुए बताइये कि महिला/महिला संगठन किस प्रकार से अपने लिये SRR सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
|
यौन और जनन अधिकारों (SRR) में कामुकता और जनन संबंधित मामलों पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार शामिल है। इनमें सुरक्षित और कानूनी गर्भपात तक पहुँच, गर्भनिरोधक का उपयोग, मातृ स्वास्थ्य देखभाल, यौन संचारित संक्रमणों की रोकथाम एवं उपचार ( STIs) और एचआईवी एवं लिंग आधारित हिंसा तथा भेदभाव से सुरक्षा प्राप्त करना शामिल है।
- SRR को भारत के संविधान में अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों के रूप में भी शामिल किया गया है।
हालाँकि भारत में SRR को सार्थक बनाने से संबंधित कई चुनौतियाँ विद्यमान हैं (विशेष रूप से विश्व के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में इसकी स्थिति और लैंगिक स्तर पर इसके पक्षपाती जनसंख्या नियंत्रण उपायों के संदर्भ में)। इनमें से कुछ चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
- विशेष रूप से ग्रामीण, गरीब और हाशिये पर रहने वाली महिलाओं के लिये गुणवत्तापूर्ण मातृ स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच की कमी के कारण उच्च मातृ मृत्यु दर की स्थिति बनी हुई है।
- गर्भनिरोधक विधियों और गर्भपात सेवाओं की उपलब्धता की कमी एवं सामर्थ्य तथा स्वीकार्यता के अभाव के कारण असुरक्षित गर्भपात संबंधी घटनाएँ देखने को मिलती हैं।
- जागरूकता और उपचार सुविधाओं की कमी के साथ भेदभाव और लैंगिक असमानता के कारण महिलाओं में STIs और HIV का जोखिम बना रहता है।
- सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों एवं गरीबी के साथ शिक्षा की कमी एवं इनके सशक्तिकरण के अभाव के कारण बाल विवाह, कम उम्र में गर्भावस्था से संबंधित जोखिम बने रहते हैं।
- पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण एवं लैंगिक रूढ़िवादिता के कारण घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या और तस्करी सहित महिलाओं के खिलाफ विभिन्न प्रकार की हिंसा की स्थिति बनी रहती है।
महिला/महिला संगठन अपने लिये SRR सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं जैसे:
- कानूनी और नीतिगत सुधारों पर बल देना: जिससे SRR को मानवाधिकार के रूप में बनाए रखने के साथ इस संदर्भ में राज्य तथा अन्य हितधारकों की जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
- यह महिलाओं, पुरुषों और अन्य सेवा प्रदाताओं के बीच SRR के महत्त्व के बारे में जागरूकता के प्रसार के साथ इसकी संवेदनशीलता को बढ़ावा देने में भूमिका निभा सकते हैं।
- यह महिलाओं और बालिकाओं (विशेष रूप से कमज़ोर या हाशिये पर रहने वाली महिलाओं) को SRR संबंधी मुद्दों और सेवाओं के संदर्भ में जानकारी, शिक्षा और परामर्श प्रदान कर सकते हैं।
- यह गर्भनिरोधक, गर्भपात, मातृ स्वास्थ्य देखभाल, STI/HIV परीक्षण और उपचार आदि जैसी SRR सेवाओं तक सुरक्षित एवं सुलभ पहुँच प्रदान करने में भूमिका निभा सकते हैं।
- यह ऐसे लैंगिक मानदंडों और परंपराओं को चुनौती देने में भूमिका निभा सकते हैं जिनसे SRR की भावना कमज़ोर होने के साथ लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण में बाधा होती है।
- अपनी आवाज़ को संगठित करने तथा निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के क्रम में यह अन्य नागरिक समाज संगठनों, मीडिया, शिक्षा जगत, मानवाधिकार निकायों आदि के साथ समन्वय कर सकते हैं।
भारत में SRR से संबंधित कुछ हालिया घटनाक्रम इस प्रकार हैं:
- गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत कुछ श्रेणियों की महिलाओं जैसे बलात्कार पीड़ित, नाबालिग आदि के लिये गर्भपात की कानूनी सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह किया गया है।
- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मिशन शक्ति की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि से संबंधित विभिन्न योजनाओं तक पहुँच प्रदान कर सशक्त बनाना है।
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संकटग्रस्त महिलाओं के लिये एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर (181) का शुभारंभ किया गया है।