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Mains Marathon

  • 20 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    दिवस 41: आप (यशोधरा) एक वरिष्ठ वन अधिकारी हैं जिसे हाल ही में एक वन रेंज में तैनात किया गया है, यह एक पर्यटक स्थल भी है तथा ट्रैकिंग के शौकीन लोगों और स्थानीय पहाड़ी जनजातियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल के बीच स्थित है। इस ट्रेकिंग साइट पर केवल पुरुषों को जाने की ही अनुमति है क्योंकि स्थानीय आदिवासी संस्कृति महिलाओं को पहाड़ी स्थल पर उनके देवता के आवास में प्रवेश की अनुमति नहीं देती है।

    राज्य उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि यह ट्रेकिंग साइट बिना किसी लिंग भेद के सभी के लिये खुली होनी चाहिये। इसके बाद महिला समूहों द्वारा ट्रेकिंग साइट पर महिलाओं के प्रवेश की अनुमति के लिये लगातार दबाव डाला जा रहा है, जबकि स्थानीय आदिवासी समूह इसका विरोध कर रहे हैं। आपको शंका है कि यदि महिलाओं के लिये साइट खोली गई तो इसका आदिवासियों द्वारा विरोध किया जा सकता है तथा कानून व्यवस्था बाधित हो सकती है और साइट पर ट्रेकर्स की सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है।

    (A) इस स्थिति में आपके (यशोधरा) लिये क्या विकल्प उपलब्ध हैं? सकारात्मक और नकारात्मक पक्षों के साथ चर्चा कीजिये।
    (B) इस स्थिति में आप (यशोधरा) कौन सी उचित कार्रवाई करेंगे और क्यों? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय में हितधारकों के मुद्दे और कानून/नियमों में शामिल मूल्यों का उल्लेख करते हुए विभिन्न मुद्दों में शामिल नैतिक दुविधा का वर्णन कीजिये।
    • उपलब्ध विभिन्न विकल्पों को उनके लाभ और हानि के साथ बताइये।
    • उपलब्ध विकल्पों में विशिष्ट प्रतिक्रियाओं को अपनाने हेतु तर्क दीजिये।

    हितधारक: कानून का शासन सुनिश्चित करने और समानता के संवैधानिक अधिकार को लागू करने के लिये सरकार (कार्यकारी और कानून व्यवस्था), जनजातीय समुदाय, महिलाएंँ, गैर-सरकारी संगठन समूह जो लैंगिक समानता के विचार को बढ़ावा देती है।

    शामिल मूल्य: समानता, आदिवासी संस्कृति का संरक्षण, आंदोलन की स्वतंत्रता का अधिकार, सार्वजनिक हित को बढ़ावा देने के लिये सिविल सेवकों में कर्त्तव्य की भावना का होना।

    कानून/नियम/अधिकार: इनमें समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14), सार्वजनिक स्थानों पर पहुंँच की समानता (अनुच्छेद 15), विशिष्ट भाषा या संस्कृति (अनुच्छेद 350: जनजातीय अधिकार), सांस्कृतिक या भाषायी अल्पसंख्यकों के संरक्षण का अधिकार तथा अपनी भाषा या संस्कृति (अनुच्छेद 29) के संरक्षण का अधिकार शामिल है।

    नैतिक दुविधा: जनजातीय अधिकार बनाम लैंगिक समानता का मूल्य।

    एक वरिष्ठ वन अधिकारी और लोक सेवक के रूप में मेरा कर्त्तव्य और दायित्व है कि मैं उच्च न्यायालय के निर्णय को ईमानदारी तथा निष्ठा के साथ लागू करूँ। हालाँकि आदिवासी संस्कृति महिलाओं को तीर्थयात्रा केंद्रों की यात्रा करने की अनुमति नहीं देती है, इसलिये विरोध होने की संभावना है जो जनजातीय हिंसा और संपत्ति को नुकसान पहुँचा सकती है। ऐसे में मेरा कर्त्तव्य होगा कि मैं जीवन और संपत्ति की रक्षा सुनिश्चित करते हुए महिलाओं को बिना विरोध के प्रवेश दिलाने में सफल रहूँ।

    उपलब्ध विकल्पों में निहित लाभ और हानि:

    विकल्प 1: महिलाओं को क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने तथा आदिवासी संस्कृति के प्रति सम्मान बनाए रखने के लिये तीर्थ स्थल के करीब जाने से रोकना।

    लाभ:

    • क्षेत्र में शांति कायम होगी।
    • मैं अपने अधिकार क्षेत्र के तहत जीवन और संपत्ति की रक्षा के प्रति कर्त्तव्य का निर्वहन कर सकूँगा।
    • आदिवासियों को उनकी संस्कृतिक से अलग न करते हुए सांस्कृतिक मान्यताओं का सम्मान और रक्षा की जा सकती है।

    हानि:

    • यह विकल्प लैंगिक समानता के संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध होगा।
    • यह न्यायालय के आदेश के खिलाफ होगा।

    विकल्प 2: संपूर्ण आदिवासी क्षेत्र में किसी भी स्तर पर महिलाओं के प्रवेश का विरोध न करने की सख्त चेतावनी दी जाए।

    लाभ:

    • यह कार्रवाई कानून की भावना और कर्त्तव्य के अनुरूप है।
    • यह लैंगिक समानता के संवैधानिक मूल्य के अनुसार भी है।
    • यह मुझे लैंगिक समानता के मेरे व्यक्तिगत नैतिक मूल्य के खिलाफ जाने की नैतिक दुविधा से भी बचाएगा।
    • इस विकल्प के माध्यम से उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया जाएगा।

    हानि:

    • आदिवासी संस्कृति को नुकसान पहुँच सकता है
    • जनजातीय समुदायों में संघर्ष बढ़ने की संभावना को उनके सांस्कृतिक मूल्यों पर हमले के रूप में देखा जा सकता है।
    • क्षेत्र में जीवन और संसाधनों के नुकसान की आशंका हो सकती है ।
    • क्षेत्र में लंबे समय तक अशांति पर्यटन को प्रभावित और स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।

    विकल्प 3: आदिवासी बुजुर्गों के साथ बैठकें करना और एक ही समय में सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ महिलाओं के प्रवेश की आवश्यकता के बारे में आश्वस्त करना।

    लाभ:

    • शांतिपूर्ण चर्चा और अनुनय के माध्यम से आदिवासी विरोध को हतोत्साहित किया जा सकता है।
    • यह क्षेत्र में शांति बनाए रखने का बेहतर तरीका होगा, जिससे जीवन और संपत्ति की सुरक्षा होगी।
    • यह आदिवासी समुदाय को न्यायालय के फैसले के पीछे के तर्क को समझाते हुए महिला सशक्तीकरण के लक्ष्य को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
    • यह लैंगिक समानता और उच्च न्यायालय के निर्देशों के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप होगा।
    • यह कर्त्तव्यनिष्ठा और संवेदनशील तरीके से कर्त्तव्य निभाने के लक्ष्यों को पूरा करेगा।

    हानि:

    • अल्पकालीन अवधि में जनजातीय असंतोष को प्रबंधित करना समाधान नहीं हो सकता है इसके बावज़ूद विरोध और संघर्ष की संभावना उत्पन्न हो सकती है, जिसके लिये सुरक्षा उपायों को अपनाने की आवश्यकता है। जनजातीय अधिकारों और अल्पसंख्यक अधिकारों (अनुच्छेद 25) के साथ समझौता करने का जोखिम भी है। हालांँकि दीर्घकालिक अवधि के लिये यह सबसे उपयुक्त तरीका हो सकता है।

    विकल्प तीन अपनाने का कारण

    • मैं विकल्प 3 को इस स्थिति से निपटने के लिये सबसे वांछनीय विकल्प के रूप में चुनूंगा जो इन कमियों को दूर करता है।
    • यह विकल्प एक लोक सेवक के रूप में निभाए जाने वाले मेरे कर्त्तव्य को संतुष्ट करता है और संवैधानिक मूल्यों का पालन करता है। यह कानून के शासन को भी बढ़ावा देता है।
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