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  • 22 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस 43: विश्व व्यापार संगठन के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के प्रमुख परिणाम क्या रहे हैं? इस सम्मेलन में भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन पर संक्षेप में चर्चा कीजिये।
    • 12वें विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के परिणामों पर चर्चा कीजिये।
    • सम्मेलन में भारत द्वारा उठाए गए मुद्दों की व्याख्या कीजिये।
    • उपयुक्त रूप से निष्कर्ष निकालिये।

    विश्व व्यापार संगठन का सर्वोच्च निर्णायक निकाय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन होता है जो आमतौर पर द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है। मंत्रालयिक सम्मेलन किसी भी बहुपक्षीय व्यापार समझौते के तहत सभी मामलों पर निर्णय ले सकता है। विश्व व्यापार संगठन में सभी निर्णय सामूहिक रूप से और विभिन्न परिषदों तथा समितियों में सदस्य देशों के बीच आम सहमति के माध्यम से किये जाते हैं। इस साल का सम्मेलन स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में हुआ था।

    12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में चर्चा के प्रमुख क्षेत्रों में महामारी के प्रति विश्व व्यापार संगठन की प्रतिक्रिया, मत्स्य पालन सब्सिडी वार्ताएँ, खाद्य सुरक्षा के लिये सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग सहित कृषि मुद्दे, WTO सुधार और इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क का स्थगन शामिल हैं।

    164 सदस्यीय विश्व व्यापार संगठन द्वारा कोविड-19 के बाद लगभग पांँच वर्षों में अपने पहले मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।

    12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के प्रमुख परिणाम:

    • WTO के सुधार: सदस्य देशों द्वारा विश्व व्यापार संगठन के मूलभूत सिद्धांतों की पुष्टि की गई और विचार-विमर्श से लेकर बातचीत तक अपने सभी कार्यों में सुधार के लिये एक खुली और समावेशी प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की। विशेष रूप से सदस्यों देशों द्वारा वर्ष 2024 तक सभी सदस्यों के लिये एक अच्छी तरह से कार्य कर रहे विवाद निपटान प्रणाली को सुलभ बनाने की दिशा में कार्य करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को सुनिश्चत की।
    • प्रतिकूल मत्स्य पालन सब्सिडी को कम करने पर समझौता: यह समझौता वैश्विक मछली स्टॉक की बेहतर सुरक्षा के लिये अगले चार वर्षों के लिये अवैध, गैर-सूचित और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने पर 'प्रतिकूल' सब्सिडी पर अंकुश लगाएगा। वर्ष 2001 से ही सदस्य देशों द्वारा अत्यधिक मछली पकड़ने को बढ़ावा देने वाली सब्सिडी पर प्रतिबंध लगाने पर बातचीत की जा रही है। भारत और अन्य विकासशील देश इस समझौते में कुछ रियायतें हासिल करने में सफल रहे। उन्होंने प्रस्ताव के एक हिस्से को हटाने के लिये ज़ोरदार ढ़ंग से पैरवी की, जिससे कुछ सब्सिडी के कुछ हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जो कि छोटे पैमाने पर मछली पकड़ने वाले मछुआरों के लिये सहायक होगा तथा पारंपरिक किसानों को इस समझौते के तहत किसी भी प्रतिबंध का सामना नहीं करना पड़ेगा।
    • वैश्विक खाद्य सुरक्षा पर समझौता: सदस्यों ने संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme- WFP) द्वारा मानवीय उद्देश्यों के लिये खरीदे गए भोजन को किसी भी निर्यात प्रतिबंध से छूट देने के बाध्यकारी निर्णय पर सहमति व्यक्त की। वैश्विक खाद्य कमी और यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के कारण बढ़ती कीमतों के आलोक में, समूह के सदस्यों ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा में व्यापार के महत्त्व पर एक घोषणा जारी की और कहा कि वे खाद्य निर्यात पर प्रतिबंध से बचेंगे। हालाँकि घरेलू खाद्य सुरक्षा ज़रूरतों को सुनिश्चित करने के लिये देशों को खाद्य आपूर्ति को प्रतिबंधित करने की अनुमति होगी।
    • ई-कॉमर्स विनिमय पर समझौता: वर्ष 2017-2020 से विकासशील देशों ने केवल 49 डिजिटल उत्पादों से आयात पर लगभग 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संभावित टैरिफ राजस्व खो दिया। विश्व व्यापार संगठन के सदस्य पहली बार वर्ष 1998 में इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर कस्टम ड्यूटी नहीं लगाने पर सहमत हुए, जब इंटरनेट अभी भी अपेक्षाकृत नया था। तब से समय-समय पर स्थगन को बढ़ाया गया है।हालाँकि सभी सदस्य इसके बाद के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन तक या 31 मार्च 2024 तक जो भी पहले आए, उसके आधार पर ई-कॉमर्स प्रसारण पर कस्टम ड्यूटी पर लंबे समय से रोक जारी रखने पर सहमत हुए।
    • 'कोविड-19' वैक्सीन उत्पादन पर समझौता: विश्व व्यापार संगठन के सदस्य 5 वर्ष के लिये पेटेंट धारक की सहमति के बिना कोविड -19 टीकों पर बौद्धिक संपदा पेटेंट को अस्थायी रूप से माफ करने पर सहमत हुए, ताकि वे घरेलू स्तर पर अधिक आसानी से उनका निर्माण कर सकें। वर्तमान समझौता वर्ष 2020 में भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा लाए गए मूल प्रस्ताव का एक ‘वाटर डाउन’ संस्करण है। ये टीके, उपचार और परीक्षणों पर व्यापक बौद्धिक संपदा छूट चाहते थे।
      • अग्रणी दवा कंपनियों ने यह तर्क देते हुए इसका कड़ा विरोध किया था कि बौद्धिक संपदा कोविड के टीकों तक पहुँच को प्रतिबंधित नहीं करता है और पेटेंट सुरक्षा को हटाने से शोधकर्त्ताओं को जीवन बचाने वाले टीके जल्दी से एक नकारात्मक संदेश मिलता है।
      • विश्व व्यापार संगठन द्वारा सहमत छूट की वकालत वाले समूहों द्वारा संकीर्ण होने के कारण आलोचना की गई, क्योंकि इसमें निदान और उपचार जैसे सभी चिकित्सा उपकरण शामिल नहीं थे। “यह समझौता महामारी के दौरान आवश्यक चिकित्सा उपकरणों तक लोगों की पहुँच बढ़ाने में मदद करने के लिये एक प्रभावी और सार्थक समाधान की पेशकश करने में विफल रहता है क्योंकि यह सभी आवश्यक कोविड -19 चिकित्सा उपकरणों पर आईपी को पर्याप्त रूप से माफ नहीं करता है और यह सभी देशों पर लागू नहीं होता है।

    भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे:

    • WTO सुधारों पर: भारत का मानना है कि विश्व व्यापार संगठन के सुधारों पर चर्चा को अपने मूलभूत सिद्धांतों को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। इस समय विशेष और विभेदक उपचार (S&DT) को आरक्षित करना, जिसमें आम सहमति-आधारित निर्णय लेना, गैर-भेदभाव और विशेष एवं विभेदक उपचार शामिल है, के परिणामस्वरुप विरासत में मिली असमानताओं के संरक्षण या असंतुलन को बढ़ाना नहीं चाहिये। भारत विकासशील देशों हेतु सुधारों का सुझाव देने के लिये पहल करता है (विकासशील देश सुधार पत्र "विकास और समावेश को बढ़ावा देने के लिये विश्व व्यापार संगठन को मज़बूत करना")। भारत ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें उसने प्रक्रिया और उसके लक्ष्यों दोनों पर यूरोपीय संघ और ब्राज़ील के सुझावों की आलोचना करने का बीड़ा उठाया। यह विश्व व्यापार संगठन संशोधनों पर एक खुली प्रक्रिया के खिलाफ था।
    • ई-कॉमर्स लेनदेन: भारत ने विश्व व्यापार संगठन से ई-कॉमर्स लेनदेन पर सीमा शुल्क स्थगन के विस्तार की समीक्षा करने के लिये कहा था, जिसमें डिजिटल रूप से कारोबार करने वाली वस्तुएंँ और सेवाएंँ शामिल हैं। इसने तर्क दिया कि विकासशील देशों को इस तरह के स्थगन से वित्तीय परिणामों का खामियाजा भुगतना पड़ा।
    • खाद्य सुरक्षा पर: विश्व व्यापार संगठन को विकासशील और गरीब देशों में गरीब नागरिकों को खिलाने के उद्देश्य से सरकार समर्थित खाद्य खरीद कार्यक्रमों के लिये सब्सिडी नियमों पर फिर से बातचीत करनी चाहिये। भारत आश्वासन चाहता है कि उसका सार्वजनिक स्टॉक-होल्डिंग कार्यक्रम, जो विशेष रूप से देश के किसानों से खरीदता है और अतीत में निर्यात किया गया है, को विश्व व्यापार संगठन में अवैध के रूप में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

    WTO के सदस्यों को चीन की व्यापार नीतियों और प्रथाओं के साथ अधिक प्रभावी ढंग से निपटना होगा, जिसमें राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों तथा औद्योगिक सब्सिडी के मुद्दे को बेहतर तरीके से संभालना भी शामिल है।

    जलवायु परिवर्तन के मुद्दे के संदर्भ में तीव्र प्रतिक्रिया की आवश्यकता को देखते हुए व्यापार और पर्यावरणीय स्थिरता को संरेखित करने के प्रयासों में वृद्धि द्वारा जलवायु परिवर्तन से निपटने तथा विश्व व्यापार संगठन को मज़बूत करने में सहायता प्राप्त हो सकती है। इसके लिये एक संभावित तरीका नियमों के एक नए संग्रह पर समान विचार वाले देशों के समूह के साथ एक बहुपक्षीय समझौता करना हो सकता है जो व्यापक WTO के लिये एक परिशिष्ट (पूरक) के रूप में कार्य करता है।

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