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  • 18 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    दिवस 39: मूर्तियों, स्मारकों और चित्रों को संरक्षित करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • संक्षेप में यह बताते हुए परिचय दीजिये कि समय बीतने के साथ कलाकृति, मूर्तियाँ, स्मारक और पेंटिंग क्षतिग्रस्त हो गई हैं।
    • कुछ उदाहरणों के साथ उन्हें संरक्षित करने के लिये उपयोग की जाने वाली तकनीकों पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त रूप से निष्कर्ष निकालिये।

    जैसे-जैसे समय बीतता है, कला का अक्सर गंदगी या दरारों के कारण क्षरण होने लगता है। दो तकनीकों, लेजर एब्लेशन और बैक्टीरिया का उपयोग करके कलाकृति को उसके इच्छित रूप में बहाल किया जा सकता है। लेजर एब्लेशन में प्रकाश ऊर्जा वाले कणों उत्तेजित कर उनके माध्यम से गंदगी को हटाना शामिल है। बैक्टीरिया का उपयोग प्रदूषणकारी सामग्री को हटाने और मूर्तिकला में दरारें भरने के लिये किया जाता है। हालांकि, कुछ शुद्धतावादियों द्वारा बहाली की प्रवृत्ति को एक सौंदर्य प्रक्रिया के रूप में माना जाता है जो कला संरक्षण के पारंपरिक विचारों के अनुरूप नहीं है।

    कलाकृति समय के साथ प्रकाश, नमी, धूल और प्रकृति के अन्य तत्वों से लंबे समय तक संपर्क में रहती है जिससे कलाकृति गंदी हो जाती है और अक्सर स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है। ताजमहल के चारों ओर कारखानों और तेल रिफाइनरियों के कारण होने वाले प्रदूषण के कारण इसका रंग पीला हो गया है और वर्षों से इसकी चमक खो गई है।

    जिन तकनीकों का उपयोग मूर्तियों, स्मारकों और चित्रों को संरक्षित करने के लिये किया जा सकता है, वे हैं:

    • लेजर एब्लेशन: यह तकनीक गंदगी और वार्निश को हटा देगी, लेकिन कला की सतह से पूरी तरह से नहीं।
    • लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (LIBS): यह तकनीक मानवीय अनुमान लगाने की आवश्यकता को समाप्त करती है और इस प्रकार कलाकृति की सुरक्षा करती है। यह केवल सतही तौर पर काम को बहाल कर सकती है।
    • बैक्टीरिया का उपयोग कलाकृति में पाए जाने वाले कई सामान्य प्रदूषकों को हटाने के लिये किया जा सकता है, इससे कलाकृति को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुँचता है क्योंकि वे गंदगी खाते हैं। उदाहरण के लिये: स्यूडोमोनास एस टुटजेरी। कैल्शियम कार्बोनेट का उत्पादन करने वाले बैसिलस सेरेस टूटी हुई मूर्तियों को बहाल करने में भी मदद करते हैं।
    • वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग किया जा सकता है ताकि अम्लीय वर्षा की संभावना कम हो जो मुख्य रूप से मूर्तियों को नष्ट करने के लिये ज़िम्मेदार है।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: एआई मौजूदा सांस्कृतिक विरासत की बहाली और संरक्षण को पिछले तरीकों की तुलना में कहीं अधिक आसान और बेहतर बना देगा। सूचना को डिजिटल किया जाता है और एआई एल्गोरिदम क्षतिग्रस्त क्षेत्रों के पिक्सल को गणितीय रूप से बिना क्षतिग्रस्त क्षेत्रों के पिक्सल द्वारा क्रॉस-रेफरेंस करके बदल देता है। एआई वायु प्रदूषण की रीयल टाइम मॉनिटरिंग करेगा और जानकारी देगा, जिससे संरक्षण में मदद मिलेगी।
    • नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: तापीय ऊर्जा के बजाय अक्षय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है, जिससे प्रदूषण कम होगा और कला के संरक्षण में मदद मिलेगी।
    • वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये कारखानों में ओज़ोन मुक्त नकारात्मक आयन पीढ़ी प्रौद्योगिकी पर आधारित अवशोषक, फिल्टर, वायु शोधक का उपयोग किया जा सकता है।

    विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति ने कला, मूर्तियों और चित्रों को संरक्षित करने के लिये सुरक्षित और अधिक प्रभावी दृष्टिकोणों को जन्म दिया है। आधुनिक संरक्षण अभ्यास प्रतिवर्तीता के सिद्धांत का पालन करता है, जो यह निर्देश देता है कि किसी भी प्रकार के उपचार से वस्तु में स्थायी परिवर्तन नहीं होना चाहिये।

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