लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Mains Marathon

  • 31 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस 52: भावनाएँ परिस्थितियों को अर्थ देती हैं। भावनाओं के बिना, अनुक्रिया पर बिना किसी नियंत्रण के कोई भी घटनाओं पर अनायास और रोबोटिक रूप से प्रतिक्रिया करेगा। कथन के आलोक में, भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा कीजिये और सिविल सेवकों के लिये इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता (ईआई) को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न घटकों का उल्लेख करें, जैसे- स्व-जागरूकता, स्व-विनियमन आदि।
    • शासन की जटिल प्रकृति को ध्यान में रखते हुए सिविल सेवकों के लिये ईआई की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
    • ईआई के व्यापक उद्देश्यों का हवाला देते हुए निष्कर्ष दीजिये।
    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता शब्द का प्रयोग सबसे पहले मनोवैज्ञानिक मेयर और सलोवी (1990) द्वारा किया गया। उनके अनुसार भावनात्मक बुद्धिमत्ता का अर्थ, स्वयं के भीतर और दूसरों में भावनात्मक सूचनाओं को सही और प्रभावी ढंग से समझना,प्रक्रिया करना और नियंत्रित करने की क्षमता है। साथ ही, किसी की सोच और कार्यों का मार्गदर्शन करने और दूसरों को प्रभावित करने के लिये प्राप्त जानकारी का उपयोग करना है।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विभिन्न स्वरूप निम्नानुसार हैं:

    • स्व-जागरूकता: यह किसी भी समय हमारी भावनाओं का सटीक रूप से विश्लेषण करने और हमारी वरीयताओं के अनुसार निर्णय लेने की क्षमता है। स्व-जागरूकता का एक और अर्थ हमारी क्षमताओं का यथार्थवादी मूल्यांकन करना और अत्यधिक आत्मविश्वास प्राप्त करना है।
    • स्व-विनियमन: इसका तात्पर्य भावनाओं पर नियंत्रण से है ताकि कार्य प्रारंभ करने में बाधा न आए और यह सहायक हो। इसका एक अन्य तात्पर्य उद्देश्य की ईमानदारी और तात्कालिक सुखों में विलंब की इच्छा भी है। समग्रत: इसका आशय है कि व्यत्ति भावनात्मक तनाव से जल्दी उभर सके।
    • सहानुभूति: यह दूसरे क्या महसूस कर रहे हैं, यह समझने की क्षमता है। यह किसी व्यक्ति को दूसरों के दृष्टिकोण से वस्तुओं को देखने में सक्षम बनाता है। इसका तात्पर्य है, लोगों के विविध समूहों के साथ तालमेल और अनुकूलन करने की तत्परता।
    • सामाजिक कौशल: इनमें सामाजिक स्थितियों और तंत्र को सही ढंग से समझकर रिश्तों में भावनाओं को संभालने की क्षमता होती है, जैसे- लोगों के साथ सहज व्यवहार करना, सहयोग और टीम वर्क को बढ़ावा देना।

    सिविल सेवकों के लिये ईआई का महत्त्व:

    आज की बदलती परिस्थितियों में, प्रशासन के व्यापक क्षेत्र और कार्यों की बढ़ती जटिलता के साथ, सिविल सेवाओं को कहीं अधिक जवाबदेह बनाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। संरचनात्मक सुधारों के अलावा, अन्य उपायों को भी देखने की ज़रूरत है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता इनमें से एक है।

    • सिविल सेवकों को भावनात्मक रूप से बुद्धिमान बनाने का काम कठिन है लेकिन असंभव नहीं है। वास्तव में, यह उन क्षेत्रों के समकालीन है, जिन्होंने हाल के वर्षों में शासन में महत्त्व प्राप्त किया है, जैसे- मानव अधिकार, आपदा प्रबंधन, लिंग अध्ययन आदि।
    • ईआई शासन के कार्यों के लिये मानवतावादी गुणों को प्रदान करता है जो अभी तक कुशल विशाल यांत्रिक प्रशासनिक संरचनाओं द्वारा किया जाता है।
    • यह वरिष्ठ और अधीनस्थ अधिकारियों के बीच सहयोग और समझ को बढ़ावा देकर स्वस्थ कार्य-संस्कृति को बढ़ावा देता है।
    • कई अध्ययनों से पता चला है कि कार्यस्थल पर भावनात्मक रूप से सुदृढ़ व्यक्ति अपनी बौद्धिक शक्ति का उपयोग करने में बेहतर होता है। वह बेहतर निर्णय लेने के लिये नेतृत्व कर सकता है और सिविल सेवकों को दिये गए विवेकाधिकार के अधिक उपयुक्त प्रयोग को बढ़ावा दे सकता है।
    • भावनात्मक रूप से बुद्धिमान सिविल सेवकों में एक स्वस्थ लोकतंत्र का नेतृत्व करने की संभावना होती है। वास्तव में, लोकतंत्र की प्रगति में ईआई को ‘शिष्टाचार’ और ‘नागरिकता’ के बाद तीसरे चरण के रूप में माना जाता है। ईआई लोकतंत्र के अनुभव पहलू पर ध्यान केंद्रित करता है। यह लोगों को एक-दूसरे के साथ मनुष्यों के रूप में व्यवहार करने के लिये प्रेरित करता है न कि केवल भूमिका निभाने के लिये।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2