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दिवस 27: नैतिकता के अनुशासन में सुकरात की सबसे बड़ी उपलब्धियाँ क्या हैं? विचार-विमर्श कीजिये। (150 शब्द)

06 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • सुकरात के बारे में संक्षेप में एक परिचय देकर उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • नैतिकता के क्षेत्र में सुकरात के प्रमुख योगदानों पर चर्चा कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

सुकरात एक प्राचीन ग्रीक दार्शनिक थे, जिन्हें नैतिकता का जनक माना जाता था। उनकी मान्यताओं के अनुसार, परिपक्वता, बुद्धि और प्रेम के माध्यम से नैतिकता का विकास होता है।

उन्होंने 400 ईसा पूर्व में नैतिकता और आचरण के स्वीकार्य मानकों को पढ़ाने की अवधारणा पेश की और तब से पश्चिमी दर्शन और इतिहास के पाठ्यक्रम पर गहरा और स्थायी प्रभाव पड़ा है।

नैतिकता और आचरण के क्षेत्र में सुकरात के प्रमुख योगदान:

  • न्याय परायणता: सुकरात का मानना था कि लोगों को धन जैसे भौतिक हितों के बजाय भलाई के लिये प्रयास करना चाहिये।
  • अन्याय करने के बजाय अन्याय को सहन करना बेहतर है: सुकरात ने कहा है कि यदि आप दूसरे के खिलाफ अपराधकरते हैं, तो इससे बचने के लिये सजा की तलाश कर लेना बेहतर है क्योंकि सज़ा आपके मन को साफ अथवा शुद्ध करेगी।
  • सुकराती संगोष्ठी और बुनियादी तर्क: सुकराती संगोष्ठी/बहस की कला मूलभूत/बुनियादी तर्कों से जुड़ी है क्योंकि किसी भी विषय पर बहस करने के लिये विचार और तर्क की आवश्यकता होती है।
    • किसी विषय पर चर्चा/बहस करने का उनका तरीका लंबी बातचीत पर आधारित था, जिसे "द्वंद्वात्मक" (Dialectic) कहा जाता था।
  • सुकराती नैतिकता: सुकरात द्वारा नैतिकता पर ज़ोर देने का एक निश्चित उद्देश्य था। उन्हें उम्मीद थी कि दर्शन से लोगों की मानसिकता एवं महत्त्वपूर्ण गतिविधियों में बदलाव आएगा, जिसका दुनिया पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
  • सद्गुण: सुकरात ने ज्ञान को गुण के साथ जोड़ा, जो अंततः नैतिक आचरण की ओर ले जाता है।

निष्कर्ष

सुकरात ने देखा कि "बिना जाँचा हुआ जीवन जीने के योग्य नहीं है"। इस उद्धरण ने सुकरात की शिक्षाओं के सार और राजनीतिक दर्शन के दायरे पर अपने प्रभाव को सघनता से प्रस्तुत किया।