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  • 30 Jul 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस 20: मृदा रहित खेती की तकनीक क्या है? वर्णन कीजिये कि यह कैसे बढ़ती हुई जनसंख्या के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • मृदा रहित कृषि तकनीकों और उनके प्रकारों पर चर्चा कीजिये।
    • विभिन्न प्रकार की मृदा रहित कृषि के बारे में उनके लाभों के साथ लिखिये तथा वर्णन कीजिये कि यह किस प्रकार खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    मृदा रहित कृषि आमतौर पर मृदा के बिना पौधों को उगाने की किसी विधि को संदर्भित करती है। मृदा का उपयोग पारंपरिक खेती में एक माध्यम के रूप में फसलों को जड़ के माध्यम से एक आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने के लिये किया जाता है। मृदा रहित कृषि में पौधे के लिये आवश्यक पोषक तत्वों (जिसे वातित पोषक घोल के रूप में भी जाना जाता है) की आपूर्ति जल के माध्यम से की जाती है, जो पानी में घुलनशील होते है। जिसमे ऑक्सीजन का उच्च स्तर, उपयुक्त तापमान और पीएच आदि के साथ-साथ प्रभावी ढंग से पोषक तत्व जड़ तक पहुँचाया जाता है। हाइड्रोपोनिक, एक्वापोनिक और एरोपोनिक वातित पोषक समाधानों की तीन सबसे सामान्य प्रकार की मृदा रहित कृषि है। प्राकृतिक मृदा के बजाय ‘पोरस सब्सट्रेट कल्चर’ का उपयोग करके फसलों की खेती भी एक अन्य प्रकार की मृदा रहित कृषि है।

    मृदा रहित कृषि के प्रकार

    • हाइड्रोपोनिक्स: हाइड्रोपोनिक्स जल आधारित, पोषक तत्त्वों के घोल में पौधों को उगाने की एक विधि है। इस विधि में जड़ प्रणाली को एक अक्रिय माध्यम जैसे पेर्लाइट, मृदा के छर्रों, पीट, काई या वर्मीक्यूलाइट का उपयोग करके उगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य ऑक्सीजन तक पहुँच प्रदान करना है जो उचित विकास के लिये आवश्यक है।
    • लाभ:
      • भूमि और जल की बचत: क्लोज़्ड वाटर लूप सिस्टम वाली हाइड्रोपोनिक खेती की तकनीक भूमि और पानी तक सीमित पहुँच वाले किसानों के लिये एक व्यवहार्य विकल्प है।
      • शहरी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त: शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में जहाँ कृषि योग्य भूमि प्रदूषित है, मृदा रहित प्रणालियों का महत्त्व कई गुना बढ़ जाता है।
      • कम संसाधन खपत: कम और अधिक कुशल रूप से संसाधन की खपत इस वैकल्पिक कृषि तकनीक को विभिन्न हितधारकों द्वारा अपनाए जाने के लिये प्रेरित करती है।
      • उच्च उपज: खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, मृदा रहित प्रणालियों की सब्जी की उपज पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में 20-25% अधिक होती है क्योंकि प्रति वर्ग मीटर पौधों की संख्या अधिक होती है।
    • एरोपोनिक्स: एरोपोनिक्स खेती का एक पर्यावरण के अनुकूल तरीका है जिसमें जड़ें हवा में लटकी रहती हैं और पौधे बिना मृदा के आर्द्र वातावरण में बढ़ते हैं। यह हाइड्रोपोनिक्स का एक प्रकार है जहाँ पौधों के बढ़ने का माध्यम और बहता जल दोनों अनुपस्थित होते हैं। इस विधि में पौधों की जड़ों पर पानी और पोषक तत्त्वों के घोल का छिड़काव किया जाता है। यह तकनीक किसानों को ग्रीनहाउस के अंदर आर्द्रता, तापमान, पीएच स्तर और जल प्रवाह को नियंत्रित करने में सक्षम बनाती है।
    • लाभ:
      • जल, उर्वरक और कीटनाशक के उपयोग में गिरावट: इस तकनीक में पानी के उपयोग में 98% और उर्वरक के उपयोग में 60% की कमी आती है।
      • कीटनाशक पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं क्योंकि मृदा की अनुपस्थिति बीमारियों की संभावना को कम कर देती है।
      • उपज की तेज़ गति: एरोपोनिक रूप से उगाए गए पौधों की वृद्धि तीन गुना तेज़ होती है और पैदावार अधिक सुसंगत होती है।
      • चूँकि पोषक तत्त्वों को पौधों और जड़ों पर छिड़का जाता है, इसलिये जड़ों द्वारा अवशोषित किये जाने के लिये कक्ष में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन और अन्य गैसें होती हैं।
      • एक सीमित स्थान में खेती करने से किसान को कीट और टिड्डियों के हमलों और अचानक तेज़ी से बढ़ती गर्मी पर नियंत्रण करने में मदद मिलती है।
    • एक्वापोनिक्स: एक्वापोनिक्स एक प्रणाली है जो एक बंद प्रणाली के भीतर हाइड्रोपोनिक्स और जलीय कृषि को जोड़ती है। एक्वापोनिक्स प्रक्रिया में तीन जैविक घटक होते हैं: मछलियाँ, पौधे और बैक्टीरिया।
      • यह प्रणाली पौधों और मछलियों के बीच एक सहजीवी संबंध का प्रतिनिधित्व करती है; मछली का मल पौधों के लिये उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है और पौधे मछलियों के लिये पानी को साफ करते हैं।

    लाभ:

    • पर्यावरण के अनुकूल: एक नाइट्रोजन स्रोत (मछली के भोजन) से दो कृषि उत्पाद (मछली और सब्जियाँ) उत्पन्न होते हैं।
    • इस तरह की प्रणाली जलीय कृषि अपशिष्ट को आस-पास के वाटरशेड को प्रदूषित करने से भी रोकती है।
    • जैविक उर्वरक: एक्वापोनिक्स खेती में कीटनाशक या शाकनाशी शामिल नहीं हैं क्योंकि ये रसायन मछली को मार सकते हैं।
    • इस प्रणाली में मछली का मल पौधों के लिये पोषक तत्त्वों से भरपूर उर्वरक है।
    • अत्यधिक जल कुशल: एक्वापोनिक्स के परिणामस्वरूप ज़मीन पर उगाए जाने वाले पौधों (80-90% पानी की बचत) के विपरीत पानी की भारी बचत हो सकती है।
    • स्थान की बचत: एक एक्वापोनिक्स सिस्टम को किसी भी पैमाने पर सेट किया जा सकता है।
    • यह एक्वैरियम जितना छोटा और ग्रीनहाउस वाणिज्यिक फार्म जितना बड़ा हो सकता है।

    मृदा रहित कृषि की आवश्यकता:

    • खाद्य सुरक्षा के लिये मृदा रहित तकनीकों को प्रोत्साहित करना: COVID-19 महामारी और बढ़ती जनसंख्या के रूप में अनिश्चितता के तहत मांगों को पूरा करने के लिये वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु वर्ष 2050 तक खाद्य उत्पादन में 60% की वृद्धि होनी चाहिये।
    • पारंपरिक खेती के लिये संसाधनों की कमी: कृषि की प्राकृतिक आवश्यकताएँ, अर्थात् कृषि योग्य भूमि और पानी, दुनिया भर में तेज़ी से शहरीकरण के साथ समाप्त हो गई हैं।
    • ढ़बती आबादी की आपूर्ति को पूरा करने के लिये न केवल मौजूदा कृषि योग्य भूमि में खाद्य फसलों की उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है, बल्कि वैकल्पिक कृषि तकनीकों को भी प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

    इस प्रकार मृदा रहित कृषि प्राकृतिक संसाधनों को प्रभावित किये बिना उत्पादकता में वृद्धि करके खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगी।

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