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22 Jul 2022
सामान्य अध्ययन पेपर 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दिवस12: रूस-यूक्रेन युद्ध न केवल इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुँचा रहा है बल्कि वर्तमान विश्व व्यवस्था पर भी इसका व्यापक प्रभाव हुआ है। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अपने उत्तर की शुरुआत रूस-यूक्रेन युद्ध का संक्षिप्त विवरण देकर कीजिये।
- वर्तमान विश्व व्यवस्था पर रूस-यूक्रेन युद्ध के क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावों पर चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
अभी फिलहाल जब विश्व कोविड-19 महामारी के प्रभाव से उबर रहा है इसी बीच रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर वृहद आर्थिक अनिश्चितता बढ़ी है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पहले बताया था कि रूस-यूक्रेन दोनों प्रमुख उत्पादक देश हैं और वहाँ व्यवधानों के परिणामस्वरूप वैश्विक कीमतों में वृद्धि हुई है, विशेष रूप से तेल तथा प्राकृतिक गैस की कीमतों में। यूक्रेन-रूस से निर्यातित गेहूँ के वैश्विक निर्यात में 30% तक की हिस्सेदारी होने के कारण खाद्य कीमतों में भी उछाल आया है। IMF ने कहा कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी वृद्धि और तेज मुद्रास्फीति के प्रभाव का अनुभव कर रही है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के क्षेत्रीय निहितार्थ:
गरीबी और भुखमरी:
संघर्ष ने यूक्रेन के रोपण और फसल की प्रक्रिया को बाधित कर दिया, विशेष रूप से पूर्वी यूक्रेन में महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों, दुकानों, बुनियादी ढाँचें को नष्ट कर दिया। इससे यूक्रेन में व्यापक भुखमरी और गरीबी की स्थिति पैदा हो गई है।
वस्तु व्यापार :
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण व्यापक आपूर्ति-शृंखला व्यवधानों के कारण दुनिया के अन्य देशों के साथ यूक्रेन और रूस के व्यापार में उल्लेखनीय कमी आई है।
सेवाएँ और यात्रा:
युद्ध से पर्यटन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो पहले से ही चल रहे COVID-19 व्यवधानों से प्रभावित था। भू-राजनीतिक तनावों के और तेज़ होने से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में नए सिरे से गिरावट आ सकती है।
ऋण सेवा और वित्तपोषण:
युद्ध ने यूक्रेन-रूस के कर्ज में इजाफा किया है और इस क्षेत्र की वित्तीय सेवाओं को बाधित किया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के वैश्विक प्रभाव:
भू-राजनीतिक प्रभाव:
युद्ध ने एक बार फिर नाटो की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया है यह शीत युद्ध के युग की तरह गठबंधन और प्रति-सहबंध का कारण बन सकता है तथा इन देशों को अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने हेतु रक्षा व्यय में वृद्धि करने के लिये` प्रेरित कर सकता है क्योंकि अब वे UNO जैसे वैश्विक संस्थानों की विश्वसनीयता पर भरोसा नहीं करते हैं।
इसने विभिन्न ज़रूरतों के लिये पश्चिम पर भारत की निर्भरता के बावजूद भारत और रूस के बीच पुराने मैत्री संबंधों को भी प्रदर्शित किया है।
मानवीय प्रभाव
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यूक्रेन में अब तक ग्यारह मिलियन से अधिक लोग अपने घर छोड़ चुके हैं, जिनमें से 5.3 मिलियन लोग पड़ोसी देशों में चले गए हैं, जबकि 6.5 मिलियन लोग अब युद्ध के जारी रहने के बीच देश में ही आंतरिक रूप से विस्थापित हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी का मानना है कि यूक्रेन के दो-तिहाई बच्चे इससे प्रभावित हुए हैं और उन्हें अपने घरों से भागना पड़ा है।
वैश्विक खाद्य संकट
यूक्रेन दुनिया भर में 400 मिलियन लोगों के लिये भोजन आपूर्ति करता है, जिसमें दुनिया की 50% सूरजमुखी तेल आपूर्ति, अनाज की आपूर्ति का 10% और वैश्विक मकई आपूर्ति का 13% शामिल है। अभी के लिये यूक्रेन में 30% तक फसल को या तो लगाया नहीं जाएगा या रूसी हमले के कारण इस वर्ष काटे नहीं जाएँगे। इसके अलावा काला सागर बंदरगाहों के बंद होने और पश्चिमी सीमा के माध्यम से वस्तुओं के परिवहन की सीमित क्षमता के कारण यूक्रेन से आपूर्ति शृंखला बाधित हुई है।
ऊर्जा चुनौतियाँ
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण में से अल्पावधि के लिये इसके ऊर्जा मूल्य और बाज़ार संरचनाओं पर नकारात्मक प्रभाव होगा। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा ने रूसी तेल और गैस आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया। यूरोपीय संघ वर्ष 2024 तक रूसी गैस और तेल से निर्भरता कम करने की योजना पर भी काम कर रहा है।
विश्व सुरक्षा ढाँचे पर पुनर्विचार
यूक्रेन में रूसी आक्रमण राष्ट्रीय संप्रभुता, लोकतंत्र बनाम निरंकुशता, मानवाधिकारों और वैश्विक विश्व व्यवस्था के बारे में सवाल उठा रहा है। इसका मतलब यह है कि इसके परिणाम जो भी हों, यह विश्व के सुरक्षा ढाँचे के लिये एक महत्त्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
जैसा कि हम जानते हैं कि वर्तमान सुरक्षा संरचना को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित किया गया था, को नष्ट किया जा सकता है। जिसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।
आगे की राह:
रूस-यूक्रेन युद्ध का न केवल इन दोनों देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है बल्कि यह आर्थिक और मानवीय दोनों ही दृष्टि से विश्व के सभी देशों के लिये चिंता का एक विषय है। अत: रूस और यूक्रेन के बीच शीघ्र वार्ता के लिये भारत सहित विश्व के प्रमुख देशों को एक साथ आगे आने की आवश्यकता है ताकि इस विनाशकारी युद्ध को रोका जा सके।