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  • 29 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 50: "केंद्रीय सूचना आयोग आरटीआई अधिनियम के तहत सर्वोच्च अपीलीय निकाय है, हालाँकि इसकी अपनी सीमाएँ हैं।" इस संदर्भ में, केंद्रीय सूचना आयोग की शक्तियों और कार्यों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उत्तर की शुरुआत केन्द्रीय सूचना आयोग का संक्षिप्त परिचय देकर कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि यह अपनी शक्तियों और कार्यों के माध्यम से आरटीआई अधिनियम के तहत सर्वोच्च अपीलीय निकाय के रूप में कैसे कार्य करता है।
    • इसकी कुछ सीमाओं की विवेचना कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) एक वैधानिक निकाय है। CIC की स्थापना सूचना का अधिकार अधिनियम (2005) के प्रावधानों के तहत वर्ष 2005 में केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। CIC एक उच्च अधिकार प्राप्त स्वतंत्र निकाय है जो अन्य बातों के साथ-साथ की गई शिकायतों को देखता है और अपीलों का निर्णय करता है। यह केंद्र सरकार और केंद्रशासित प्रदेशों के तहत कार्यालयों, वित्तीय संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों आदि से संबंधित शिकायतों और अपीलों पर विचार करता है।

    केंद्रीय सूचना आयोग की शक्तियाँ और कार्य:

    • आयोग RTI अधिनियम के तहत सर्वोच्च अपीलीय निकाय के रूप में कार्य करता है और इसके पास निम्नलिखित शक्तियाँ और कार्य हैं:
    • ऐसे किसी व्यक्ति की शिकायत प्राप्त करना और उसकी जाँच करना आयोग का कर्तव्य है, जो एक लोक सूचना अधिकारी (PIO) को इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है कि इस अधिनियम के अधीन ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गई है या उसके आवेदन को भेजने की स्वीकृति से इनकार कर दिया गया है, जिन्हें उनके सूचना अनुरोध का उत्तर नहीं मिला है या जो सोचते हैं कि अपेक्षित शुल्क अनुचित है या दी गई सूचना अधूरी, भ्रामक या गलत है और सूचना प्राप्त करने से संबंधित कोई भी अन्य मामला।
    • आयोग उचित आधार होने पर किसी भी मामले में स्वतः संज्ञान (Suo-Moto Power) लेते हुए जाँच का आदेश दे सकता है।
    • आयोग के पास पूछताछ करने हेतु समन भेजने, दस्तावेज़ों की आवश्यकता आदि के संबंध में सिविल कोर्ट की शक्तियाँ होती हैं।
    • किसी शिकायत की जाँच के दौरान सभी सार्वजनिक रिकॉर्ड आयोग को सौंपे जाने चाहिये।
    • आयोग के पास सार्वजनिक प्राधिकरण से अपने निर्णयों के अनुपालन को सुरक्षित करने की शक्ति भी है। इसमें एक लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति के लिये सार्वजनिक प्राधिकरण को निर्देश देना यदि कोई ऐसा अधिकारी नियुक्त न हो; सूचना के अधिकार पर अधिकारियों के लिये प्रशिक्षण प्रावधान की अभिवृद्धि करना; इस अधिनियम के अनुपालन पर सार्वजनिक प्राधिकरण से वार्षिक रिपोर्ट माँगना; आर.टी.आई. अधिनियम के तहत अर्थदंड लगाना आदि शामिल है।
    • जब एक सार्वजनिक प्राधिकरण आर.टी.आई. अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं होता है तो आयोग इस तरह की अनुरूपता को बढ़ावा देने के लिये उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश उस प्राधिकरण को कर सकता है।

    CIC की सीमाएँ:

    • केंद्र सरकार इसके कार्यालय, वेतन एवं भत्ते और सेवा के अन्य नियमों व शर्तों को नियंत्रित करती है।
    • सी.आई.सी. के आदेशों का अनुपालन नहीं होना।
    • केंद्र/राज्य स्तर पर आर.टी.आई. आवेदकों के किसी केंद्रीकृत डेटाबेस का नहीं होना।
    • कार्मिक और ढाँचागत अवरोध।
    • लंबित मामलों की उच्च दर आदि।

    भ्रष्टाचार से मुकाबले के लिये एक कारगर उपाय होने के बावजूद यह कानून कई समस्याओं और चुनौतियों का सामना कर रहा है, और इस कानून की प्रभावशीलता बनाए रखने के लिये इन समस्याओं और चुनौतियों को जल्द-से-जल्द संबोधित करना आवश्यक है।

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