दिवस 10: "एक खुला समाज जिसमें सूचना साझा की जाती है, लोकतंत्र के निर्माण के लिये आवश्यक है।" सूचना का अधिकार अधिनियम के आलोक में इस कथन की विवेचना कीजिये।
20 Jul 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण
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सूचना के अधिकार को भागीदारीपूर्ण प्रजातंत्र को सुदृढ़ करने और लोक केंद्रित अधिशासन की शुरुआत करने की एक कुंजी के रूप में देखा जाता है। सूचना की सुलभता गरीब और समाज के कमज़ोर वर्गों को सरकारी नीतियों एवं कार्रवाई के विषय में सूचना की मांग करने तथा उसे प्राप्त करने के लिये सशक्त बना सकती है और इस प्रकार उनका कल्याण हो सकता है।
सूचना का अधिकार का अर्थ सरकार के अभिलेखों को सार्वजनिक संवीक्षा (Public Scrutiny) के लिये खोलना है, जिससे कि नागरिकों को सरकार क्या कार्य करती है तथा कितने प्रभावी ढंग से करती है, इस बारे में जानने का एक साक्त साधन प्राप्त हो सके और इस प्रकार सरकार को अधिक जवाबदेह बनाया जा सके।
सरकारी संगठनों में पारदर्शिता उन्हें और अधिक उद्देश्यपरक ढंग से काम करने के लिये बाध्य करती है, जिससे कि पूर्वानुमान में बढ़ोतरी हो सके। सरकार के कामकाज के बारे में सूचना नागरिकों को प्रभावी ढंग से शासन प्रक्रिया में भाग लेने में भी समर्थ बनाती है। यह एक मूलभूत भावना है, सूचना का अधिकार उत्तम शासन की एक बुनियादी ज़रूरत है।
सार्वजनिक मामलों में पारदर्शिता की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 2005 में ‘सूचना का अधिकार अधिनियम’ (RTI अधिनियम) अधिनियमित किया। यह एक महत्त्वपूर्ण विधान है, जो लोगों को सशक्त बनाता है और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
श्री कुलवाल बनाम जयपुर नगर निगम मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के माध्यम से 1986 में RTI कानून की उत्पत्ति हुई, जिसमें यह निर्देश दिया गया कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्रदान की गई वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता स्पष्ट रूप से सूचना का अधिकार है। सूचना के बिना नागरिकों द्वारा वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया जा सकता है।
लोकतंत्र को मज़बूत करने में सूचना के अधिकार का महत्त्व
RTI की उपलब्धियाँ
सरकार के कार्यालयों और विभागों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार से निपटने के लिये सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 एक मज़बूत उपाय साबित हुआ है। यह कानून स्वतंत्र भारत मे पारित सबसे सशक्त और प्रगतिशील कानूनों में से एक है। भ्रष्टाचार से मुकाबले के लिये एक कारगर उपाय होने के बावजूद यह कानून कई समस्याओं और चुनौतियों का सामना कर रहा है, और इस कानून की प्रभावशीलता बनाए रखने के लिये इन समस्याओं और चुनौतियों को जल्द-से-जल्द संबोधित करना आवश्यक है।