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22 Aug 2022
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
दिवस 43: सद्गुण के सिद्धांत के विकास पर प्लेटो का क्या प्रभाव रहा है? व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- सद्गुण क्या है, संक्षेप में समझाकर उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- प्लेटो के न्याय के सिद्धांत पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त रूप से निष्कर्ष लिखिये
वह मनोवृत्ति जिसे अभ्यास और प्रयत्न के द्वारा दृढ और मजबूत बनाया जा सकता है, सद्गुण कहलाता है।
प्लेटो ने पहली बार पूर्णतावाद ( Perfectionism ) का विचार प्रस्तुत किया जिसके अनुसार मनुष्य को संतुलित और सामंजस्यपूर्ण जीवन जीना चाहिये । उसका दावा है कि न्याय , संयम , साहस और सौंदर्य जैसे गुणों का आदर्श रूप प्रत्यय जगत में प्रत्यय के रूप में विद्यमान है । प्रत्ययों का ज्ञान बुद्धि के चरम स्तर पर होता है । केवल बुद्धिमान व्यक्ति कठोर साधना के द्वारा प्रत्ययों को जान पाते हैं किंतु प्रत्यय का ज्ञान प्राप्त करते ही व्यक्ति खुद उस सद्गुण से युक्त हो जाता है । साहस सद्गुण को जान लेना ही साहसी हो जाना है । विभिन्न प्रत्ययों में समन्वय स्थापित करने वाला शुभ का प्रत्यय है जो संपूर्ण नैतिकता का मूल आधार है।
सुकरात की तरह प्लेटो ने चार सद्गुणों को नैतिक आचरण का आधार माना है- विवेक , संयम , साहस तथा न्याय। पहले तीन सद्गुणों का सही अनुपात तथा सामंजस्य होने पर न्याय का सद्गुण, जो कि सर्वोच्च सद्गुण है, उत्पन्न होता है । इस संबंध की व्याख्या प्लेटो ने व्यक्ति व राज्य दोनों स्तरों पर की है। व्यक्ति के स्तर पर उसका मत है कि जो व्यक्ति अपने साहस और संयम को विवेक के अधीन रखता है उसमें न्याय सद्गुण उत्पन्न हो जाता है। ऐसा व्यक्ति विवेकपूर्ण आचरण करता है, साहस द्वारा बाधाओं पर विजय प्राप्त करता है और संयम द्वारा वासनाओं पर नियंत्रण रखता है ।
राज्य के स्तर पर तीन वर्ग हैं- प्रशासक वर्ग जो विवेक का प्रतिनिधि है , सैनिक वर्ग जो साहस का प्रतिनिधि है और व्यापारी वर्ग जो वासना तथा संयम का प्रतिनिधि है। अगर तीनों वर्ग एक दूसरे के काम में हस्तक्षेप न करें और सैनिक तथा व्यापारी वर्ग प्रशासक वर्ग के निर्देशों के अधीन रहें तो राज्य न्यायपूर्ण होता है। चूँकि सैनिक वर्ग के लोग क्रोध में तथा व्यापारी वर्ग के लोग लोभ में अंधे हो सकते हैं इसलिये उन पर 'दार्शनिक राजा' अर्थात् विवेकशील प्रशासक का नियंत्रण आवश्यक है ।