दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- परिशुद्ध कृषि को परिभाषित कीजिये और इसके महत्त्व और प्रौद्योगिकी के उपयोग पर चर्चा कीजिये।
- कृषि में परिशुद्ध कृषि को अपनाने की आवश्यकता की व्याख्या कीजिये।
- उपयुक्त रूप से निष्कर्ष निकालिये।
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परिशुद्ध कृषि में उपज को अधिकतम बनाने हेतु उचित समय पर सटीक और उपयुक्त मात्रा में जल, उर्वरक, कीटनाशक आदि आगतों का अनुप्रयोग किया जाता है अर्थात सही समय और सही स्थान पर खेत में सही मात्रा में कृषि निविष्टियों का इस्तेमाल करना ही परिशुद्ध कृषि है परिशुद्ध कृषि को उपग्रह कृषि और साइट-विशिष्ट फसल प्रबंधन के रूप में भी जाना जाता है।
परिशुद्ध कृषि के लाभ:
- कृषि उत्पादकता को बढ़ाती है।
- मृदा के क्षरण को रोकती है।
- फसल उत्पादन में रासायनिक अनुप्रयोग को कम करती है।
- जल संसाधनों का कुशल उपयोग।
- गुणवत्ता, मात्रा और उत्पादन की कम लागत के लिये आधुनिक कृषि पद्धतियों का प्रसार करती है।
- किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बदलाव लाती है।
परिशुद्ध कृषि में प्रयुक्त प्रौद्योगिकी:
- ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) रिसीवर
- डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (DGPS)
- भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS)
- रिमोट सेंसिंग
- परिवर्तनीय दर आवेदक
- उपज मॉनिटर के साथ हार्वेस्टर का मिलान
परिशुद्ध कृषि की कमियाँ:
- उच्च लागत
- तकनीकी विशेषज्ञता ज्ञान और प्रौद्योगिकी का अभाव
- छोटी जोत के लिये लागू नहीं या मुश्किल/महंगा।
भारतीय किसानों को परिशुद्ध कृषि करने की आवश्यकता
- वर्ष 2050 तक 480 मिलियन टन की विशाल खाद्यान्न आवश्यकता को पूरा करने के लिये तथा जलवायु परिवर्तन जैसी विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिये भारतीय कृषि में आधुनिक तकनीक का परिचय और अंगीकरण अपरिहार्य है।
- वैश्विक खाद्य प्रणाली विकट चुनौतियों का सामना कर रही है और यह अगले 40 वर्षों में और बढ़ेगी। कुल उत्पादकता में गिरावट, प्राकृतिक संसाधनों में गिरावट, स्थिर कृषि आय, पर्यावरण-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की कमी, घटती और खंडित भूमि जोत, कृषि पर व्यापार उदारीकरण, गैर-कृषि क्षेत्र में रोज़गार के सीमित अवसर और वैश्विक जलवायु परिवर्तन कृषि विकास तथा वृद्धि की प्रमुख चिंताएँ बन गई हैं। इसलिये नई उभरी हुई प्रौद्योगिकी को अपनाने को भविष्य में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिये एक कुंजी के रूप में देखा जाता है।
- यह उम्मीद की जाती है कि किसी देश की विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक स्थिति की आवश्यकता के आधार पर संतुलित सॉफ्ट और हार्ड प्रेसिजन एग्रीकल्चर (PA) प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग PA को विकासशील देशों के लिये भी उपयुक्त बना देगा।
- 'सॉफ्ट' PA मुख्य रूप से फसल और मिट्टी के दृश्य अवलोकन और अनुभव तथा अंतर्ज्ञान के आधार पर प्रबंधन निर्णय पर निर्भर करता है, न कि सांख्यिकीय और वैज्ञानिक विश्लेषण पर।
- 'हार्ड' PA GPS, रिमोट सेंसिंग और VRT (वैरिएबल रेट टेक्नोलॉजी) जैसी सभी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करता है। VRT में मिट्टी या फसल में भिन्नता के आधार पर उर्वरक या अन्य कृषि आदानों की मात्रा में परिवर्तन करने की क्षमता है।
- परिशुद्ध कृषि में फसलों की स्थिति, मिट्टी और परिवेशी वायु के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक जानकारी जैसे हाइपर-स्थानीय मौसम की भविष्यवाणी, श्रम लागत तथा उपकरण उपलब्धता के बारे में रीयल-टाइम डेटा तक पहुँच शामिल है। प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर किसानों को फसल रोटेशन, इष्टतम रोपण समय, कटाई के समय और मिट्टी प्रबंधन के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये डेटा का उपयोग करता है।
- खेतों में संवेदक, मृदा और आसपास की हवा की नमी तथा तापमान को मापते हैं। उपग्रह और रोबोटिक ड्रोन किसानों को व्यक्तिगत पौधों की वास्तविक समय की छवियां प्रदान करते हैं। उन छवियों से जानकारी को सेंसर तथा अन्य डेटा के साथ एकीकृत किया जा सकता है ताकि तत्काल और भविष्य के निर्णयों के लिये मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सके, जैसे कि किस खेत में पानी देना है और किसी विशेष फसल को कब या कहाँ लगाना है।
- कृषि नियंत्रण केंद्र अन्य डेटा के साथ सेंसर डेटा और इमेजिंग इनपुट को एकीकृत करते हैं, जिससे किसानों को उन क्षेत्रों की पहचान करने की क्षमता मिलती है जिन्हें उपचार की आवश्यकता होती है तथा यह इसे लागू करने के लिये जल, उर्वरक और कीटनाशकों की इष्टतम मात्रा निर्धारित करते हैं। इससे किसान को संसाधनों की बर्बादी से बचने और अपवाह को रोकने में मदद मिलती है, साथ ही लागत कम करने और खेत के पर्यावरणीय प्रभाव को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
- आज मोबाइल ऐप, स्मार्ट सेंसर, ड्रोन और क्लाउड कंप्यूटिंग कृषि सहकारी समितियों और यहाँ तक कि छोटे परिवार के खेतों के लिये सटीक कृषि संभव बनाता है, भले ही वे IT बुनियादी ढाँचे और संसाधनों का समर्थन न कर सकें।
भारत सहित कई विकासशील देशों में परिशुद्ध कृषि किसानों को बेहतर उपज प्रदान कर सकती है। आज की तत्काल आवश्यकता के आलोक में 'हरित क्रांति' को 'सदाबहार क्रांति' बनाने के लिये नए तकनीकी इनपुट का उपयोग करने हेतु हर संभव प्रयास होना चाहिये।