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  • 16 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    दिवस 37: हाल ही में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 को प्लास्टिक अपशिष्ट के खतरे से निपटने के लिये लाया गया था, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से निपटने हेतु किये गए अन्य हालिया उपायों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • प्लास्टिक अपशिष्ट और प्लास्टिक की समस्याओं को संक्षेप में समझाइये।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022 के मुख्य प्रावधान लिखिये।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट से निपटने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाए गए अन्य उपायों का उल्लेख कीजिये।
    • प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने में किन समस्यों का सामना करना पड़ा।
    • कुछ उपाय सुझाकर निष्कर्ष निकालिये।

    प्लास्टिक कचरा अपनी जैव अनिम्नीकरणीय प्रकृति के कारण सैकड़ों या (हजारों) वर्षों तक पर्यावरण में बना रहता है। प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण में प्लास्टिक कचरे के संचय के कारण होता है। इसे दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है- जैसे कि प्राथमिक वर्ग में सिगरेट बट्स और बोतल कैप इत्यादि तथा द्वितीयक वर्ग की प्लास्टिक प्राथमिक वर्ग के प्लास्टिक के क्षरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। वर्तमान समय में प्लास्टिक हमारे समक्ष उत्पन्न सबसे अधिक दबाव वाले पर्यावरणीय मुद्दों में से एक बन गया है। भारत सालाना लगभग 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है और प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा उत्पादन पिछले पांँच वर्षों में लगभग दोगुना हो गया है।

    प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रबंधन में चुनौतियाँ:

    • प्लास्टिक अपशिष्ट का अव्यवस्थित प्रबंधन (प्लास्टिक को खुले तौर पर फेंक दिया जाता है): माइक्रोप्लास्टिक/माइक्रोबीड्स के रूप में प्लास्टिक अंतर्देशीय जलमार्गों, अपशिष्ट जल के बहिर्वाह और वायु या ज्वार द्वारा परिवहन के माध्यम से पर्यावरण में प्रवेश करते हैं तथा एक बार समुद्र में प्रवेश करने के बाद इन अपशिष्टों को फिल्टर नहीं किया जा सकता है। प्लास्टिक समुद्री धाराओं के साथ प्रवाहित होने के परिणामस्वरूप ही ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच नामक एक द्वीप का निर्माण इन अपशिष्टों के कारण हुआ है।
    • अप्रमाणिक बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक: उत्पादकों द्वारा किये गए दावों को सत्यापित करने के लिये ठोस परीक्षण और प्रमाणन के अभाव में नकली बायोडिग्रेडेबल व कंपोस्टेबल प्लास्टिक बाज़ार में प्रवेश कर रहे हैं।
    • ऑनलाइन या ई-कॉमर्स कंपनियाँ: पारंपरिक रूप से हम खुदरा बाज़ार में प्लास्टिक का उपयोग करते हैं लेकिन ऑनलाइन रिटेल एवं खाद्य वितरण एप की लोकप्रियता ने प्लास्टिक अपशिष्ट की वृद्धि में योगदान दिया है भले ही यह बड़े शहरों तक सीमित है।
    • स्थलीय प्लास्टिक: 80% प्लास्टिक प्रदूषण भूमि-आधारित स्रोतों से उत्पन्न होता है और शेष समुद्र-आधारित स्रोतों (मछली पकड़ने के जाल, मछली पकड़ने की रस्सी) से उत्पन्न होता है।

    प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के प्रावधान (संशोधन) नियम, 2022

    • प्लास्टिक की श्रेणियों की संख्या 7 (PWM 2016) से घटाकर 4 कर दी गई है।
    • प्लास्टिक की पैकेजिंग: पैकेजिंग हेतु प्लास्टिक सामग्री के उपयोग को कम करने के दिशा-निर्देशों में कठोर प्लास्टिक पैकेजिंग सामग्री का पुन: उपयोग अनिवार्य किया गया है।
    • विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व प्रमाणपत्र: ये दिशा-निर्देश अधिशेष विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व प्रमाणपत्रों की बिक्री एवं खरीद की अनुमति देते हैं। इससे प्लास्टिक कचरा प्रबंधन हेतु एक बाज़ार तंत्र विकसित होगा।
    • केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल: सरकार ने 31 मार्च, 2022 तक प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे के उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों, प्लास्टिक कचरा प्रसंस्करणकर्त्ताओं हेतु वार्षिक रिटर्न दाखिल करने के साथ-साथ पंजीकरण के लिये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करने का भी आह्वान किया था।
    • पर्यावरण मुआवज़ा: पर्यावरण की गुणवत्ता की रक्षा एवं सुधार तथा पर्यावरण प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने एवं कम करने के उद्देश्य से उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड मालिकों से लक्ष्यों को पूरा न करने के संबंध में प्रदूषक भुगतान सिद्धांत’ के आधार पर पर्यावरणीय मुआवज़ा लिया जाएगा।
    • उपरोक्त दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के लिये ज़िम्मेदार पक्षों को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत दंडित किया जाएगा। EPA के तहत किसी भी अपराध का दंड पाँच साल तक की कैद या एक लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकता है। इसके अलावा प्लास्टिक अपशिष्ट पर नगरपालिका कानून हैं, जो अपने स्वयं के दंड को भी रेखांकित करते हैं।

    प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से निपटने में भारत सरकार द्वारा किए गए उपाय

    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (PWMR), 2016: यह पूरे देश में पर्यावरण के अनुकूल तरीके से प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिये वैधानिक ढाँचा प्रदान करता है।
    • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021: मंत्रालय ने 12 अगस्त, 2021 को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया है, जिसमें 1 जुलाई, 2022 से कम उपयोगिता और अधिक अपशिष्ट की क्षमता वाले एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित किया गया है।
    • एकल उपयोग प्लास्टिक के उन्मूलन और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पर राष्ट्रीय डैशबोर्ड: भारत ने जून 2022 में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर सिंगल यूज प्लास्टिक पर एक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान शुरू किया । नागरिकों को अपने क्षेत्र में सिंगल यूज प्लास्टिक की बिक्री/उपयोग/विनिर्माण को नियंत्रित करने और प्लास्टिक के खतरे से निपटने हेतु सशक्त बनाने के लिये ‘सिंगल यूज प्लास्टिक शिकायत निवारण’ के लिये एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया।
    • इंडिया प्लास्टिक पैक्ट: यह एशिया में अपनी तरह का पहला प्रयास है। प्लास्टिक पैक्ट सामग्री की मूल्य शृंखला के भीतर प्लास्टिक को कम करने, पुन: उपयोग करने और पुनर्चक्रण करने के लिये हितधारकों को एक साथ लाने का एक महत्त्वाकांक्षी और सहयोगी पहल है।
    • बेहतर पर्यावरण के लिये जीवन शैली में स्थायी रूप से अपनाए जा सकने वाले छोटे बदलावों के बारे में जनता के बीच जागरूकता प्रसार के उद्देश्य से ‘प्रकृति’ शुभंकर को लॉन्च किया गया है और प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण हेतु आगे आने और अधिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संस्थान तथा राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम द्वारा अपशिष्ट प्लास्टिक से ग्राफीन का औद्योगिक उत्पादन हेतु प्रयास किया गया।
    • ‘प्रोजेक्ट रिप्लान’: खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) द्वारा प्रोजेक्ट रिप्लान (REPLAN: REducing PLastic in Nature) लॉन्च किया गया है जिसका उद्देश्य अधिक संवहनीय विकल्प प्रदान कर प्लास्टिक थैलियों की खपत को कम करना है।

    व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु शिक्षा एवं आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण से होने वाले नुकसान के विषय में जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है। इससे ‘यूज़ एंड थ्रो’ प्लास्टिक के विकल्प तलाशने और उत्पादकों, कचरा बीनने वालों तथा व्यवसाय से जुड़े अन्य समूहों के लिये वैकल्पिक आजीविका सुनिश्चित करने से संबंधित समस्या का समाधान हो सकेगा। सरकार को न केवल दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने हेतु जुर्माना लगाना चाहिये, बल्कि कचरा फैलाने वाले उत्पादकों को अधिक टिकाऊ उत्पादों के साथ स्विच करने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिये। उचित निगरानी के साथ-साथ उत्तरदायी उपभोक्तावाद को बढ़ावा देना बहुत आवश्यक है। नागरिकों को भी व्यवहार में बदलाव लाना होगा और कचरा न फैलाकर तथा अपशिष्ट पृथक्करण एवं अपशिष्ट प्रबंधन में मदद करके योगदान देना होगा।

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