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27 Jul 2022
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस 17: "भारत अवैध नशीली दवाओं के व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक है।" भारत में विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्याओं के संबंध में इस कथन की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- भारत में नशीली दवाओं के खतरे की वर्तमान स्थिति का परिचय दीजिये।
- नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या के कारणों पर चर्चा कीजिये।
- नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या से निपटने के लिये उपाय सुझाइये।
- आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) द्वारा वर्ष 2019 में जारी 'भारत में पदार्थ के उपयोग का परिमाण रिपोर्ट' के अनुसार सर्वेक्षण के समय (वर्ष 2018 में आयोजित) लगभग 5 करोड़ भारतीयों ने भाँग और ओपिओइड (Opioids) का उपयोग करने की सूचना दी थी। अनुमान है कि लगभग 8.5 लाख लोग ड्रग्स का इंजेक्शन लगाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अनुमानित कुल मामलों में से आधे से अधिक पंजाब, असम, दिल्ली, हरियाणा, मणिपुर, मिज़ोरम, सिक्किम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से हैं। अनुमान के अनुसार, लगभग 60 लाख लोगों को अपनी ओपिओइड उपयोग की समस्याओं के लिये सहायता की आवश्यकता होगी।
भारत और अवैध ड्रग व्यापार
- अवैध ड्रग व्यापार का प्रमुख केंद्र: यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अवैध दवा व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक है, जिसमें पुरानी कैनबिस (Cannabis) से लेकर ट्रामाडोल (Tramadol) जैसी नई दवाओं और मेथमफेटामाइन (Methamphetamine) जैसी अवैध दवाइयाँ शामिल हैं।
- मादक पदार्थों की तस्करी के मार्ग: भारत विश्व के दो प्रमुख अवैध अफीम उत्पादन क्षेत्रों [पश्चिम में स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र (ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान) और पूर्व में स्वर्णिम त्रिभुज (दक्षिण-पूर्व एशिया)] के मध्य स्थित है।
- स्वर्ण त्रिभुज: स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र म्यांमार, लाओस और थाईलैंड के पहाड़ों का एक संयुक्त क्षेत्र है। यह यूरोप और उत्तरी अमेरिका में मादक पदार्थों की आपूर्ति करने के लिये तस्करों द्वारा उपयोग किये जाने वाले सबसे पुराने मार्गों में से एक है।
- स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र : स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र में अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान शामिल हैं। यह अफीम के उत्पादन और उसके वितरण के लिये प्रमुख वैश्विक स्थलों में से एक है। स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र भारत के पश्चिम में स्थित है।
- सीमा क्षेत्र : निचले मेकांग क्षेत्र की सीमाएँ अत्यधिक कमज़ोर हैं इसलिये इन्हें नियंत्रित करना कठिन कार्य है। इस प्रकार COVID-19 महामारी के कारण लागू किये गए लॉकडाउन ने इस क्षेत्र में होने वाली तस्करी में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं की है।
- तस्करी के नए तरीके: तस्करों ने तस्करी के विभिन्न नए तरीकों का उपयोग करना शुरू कर दिया है।
- सीमित नियंत्रण: सरकार का स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र में सीमित नियंत्रण है जिससे इस मार्ग से तस्करी में वृद्धि हुई है।
आगे की राह
- सीमा पार तस्करी पर अंकुश लगाकर, NDPS अधिनियम के तहत कठोर दंड या नशीली दवाओं के प्रवर्तन में सुधार कर आपूर्ति को रोकने के लिये कदम उठाए जाने चाहिये तथा भारत को मांग पक्ष को ध्यान में रखकर समस्या का समाधान करना चाहिये।
- व्यसन को चरित्र दोष के रूप में नहीं बल्कि एक बीमारी के रूप में देखा जाना चाहिये। साथ ही नशीली दवाओं के सेवन से जुड़े कलंक (Stigma) को समाप्त करने की ज़रूरत है। समाज को यह समझने की भी ज़रूरत है कि नशा करने वाले अपराधी नहीं बल्कि पीड़ित होते हैं।
- कुछ दवाएँ जिनमें 50% से अधिक अल्कोहल और ओपिओइड होता है, को शामिल करने की आवश्यकता है। देश में नशीली दवाओं की समस्या पर अंकुश लगाने के लिये पुलिस अधिकारियों व आबकारी एवं नारकोटिक्स विभाग (Excise and Narcotics Department) की ओर से सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।
- शिक्षा पाठ्यक्रम में मादक पदार्थों की लत, इसके प्रभाव और नशामुक्ति पर भी अध्याय शामिल होने चाहिये। उचित परामर्श एक अन्य विकल्प हो सकता है।
मादक पदार्थों की लत और तस्करी किसी राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता को नुकसान पहुँचा सकती है और किसी देश के मानव संसाधन को कम कर सकती है। कोरोनावायरस के आगमन के साथ, भारत में अवैध दवा व्यापार की तीव्रता बढ़ने की उम्मीद है। नशीली दवाओं की तस्करी और इसके परिणामस्वरूप नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिये सरकार को मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है।