नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Mains Marathon

  • 15 Jul 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    दिवस 5: पूर्वी पाकिस्तान में भाषाई मांग/विरोध ने बांग्लादेश के निर्माण का नेतृत्त्व किया। बांग्लादेश के उद्भव में भारत की भूमिका के संदर्भ में इस वक्तव्य का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण :

    • 1971 की बांग्लादेश मुक्ति के पीछे के सामाजिक और सांस्कृतिक कारकों का वर्णन करके उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में भारत की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
    • अपने उत्तर को उपयुक्त निष्कर्ष के साथ समाप्त कीजिये।

    पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान भौगोलिक, सांस्कृतिक और वैचारिक रूप से अलग थे। पूर्वी पाकिस्तान के लिये एक स्वतंत्रता आंदोलन बंगाल की जातीय चिंताओं, बंगाली भाषा का उपयोग करने के अधिकार और स्थानीय राजनीतिक नियंत्रण और स्व-शासन की इच्छा के आधार पर आगे बढ़ा।

    बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध के कारण

    • सामाजिक शोषण: पाकिस्तान के गठन के बाद से पश्चिमी हिस्से ने पूर्वी पाकिस्तान को हीन बताया, क्योंकि यह पूर्वी विंग के मुसलमानों को हिंदू आबादी के साथ उनके सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का कारण मानता था, जो पूर्व में शक्तिशाली, समृद्ध और प्रभुत्वशाली थे।
    • भाषाई कारण: पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान को असहज स्थिति में रखने वाला भाषा संबंधी मुद्दा भी था। 1948 में मोहम्मद अली जिन्ना ने ढाका में कहा कि पाकिस्तान के लिये उर्दू आधिकारिक भाषा होगी। इसने पूर्वी पाकिस्तान में व्यापक आक्रोश पैदा किया।
    • राजनीतिक भेदभाव: सरकार का मुख्यालय पश्चिमी विंग में स्थापित किया गया था। इसके अलावा, केंद्र सरकार में विभिन्न जातीय समूहों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व समान नहीं था। इसमें पश्चिम-पाकिस्तान के कुलीन समूहों का प्रभुत्व था, मुख्य रूप से पंजाबियों का। अल्पसंख्यक जातीय समूहों, जैसे कि बंगाली आबादी, का सरकार में महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं था
    • अल्पसंख्यक द्वारा नियंत्रित होने का डर: पूर्वी पाकिस्तान में ज्यादातर लोग बंगाली नस्लीय समूह का हिस्सा थे और कुल मिलाकर पाकिस्तान में बहुमत समूह था। हालाँकि वे अक्सर पश्चिम पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समूहों द्वारा हीन भावना का शिकार होते थे। समय के साथ पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले लोगों को पश्चिमी पाकिस्तान में सरकार द्वारा अधिक से अधिक नियंत्रित महसूस किया जाने लगा।
    • आर्थिक शोषण: पश्चिमी पाकिस्तान, पूर्वी पाकिस्तान की तुलना में अधिक संसाधनों का उपयोग कर रहा था। 1948 और 1960 के बीच पूर्वी पाकिस्तान ने पाकिस्तान के कुल निर्यात में 70% का योगदान दिया, जबकि उसे केवल 25% आयातित धन प्राप्त हुआ

    मुक्ति युद्ध का कारण बनने वाले राजनीतिक संकट के बीज 7 दिसंबर, 1970 को लगाए गए थे। अवामी लीग ने पाकिस्तान के चुनावों में एक बड़ी जीत हासिल की। अवामी लीग शेख मुजीबुर रहमान के नेतृृ्त्त्व में एक राजनीतिक दल था, जिसने पूर्वी पाकिस्तान के लिये स्वायत्तता हेतु अभियान चलाया था। हालाँकि, उन्हें जनरल आगा मोहम्मद याह्या खान और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के जुल्फिकार अली भुट्टो के तत्काल विरोध का सामना करना पड़ा, जिन्होंने अवामी लीग को अगली सरकार बनाने से रोकने का प्रयास किया।

    मुक्ति युद्ध (मार्च से दिसंबर 1971)

    बंगालियों ने अपने पास मौजूद प्रत्येक संसाधन के साथ पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध लड़ना शुरू कर दिया। आम बंगालियों, खासकर युवाओं, जिनके पास युद्ध में लड़ने के लिये कोई ज्ञान या प्रशिक्षण नहीं था, ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश बनाने के लिये अपने जीवन और अपने परिवार के सदस्यों के जीवन को खतरे में डाल दिया।

    बंगाली राष्ट्रवादियों ने "मुक्ति वाहिनी" (स्वतंत्रता की शक्ति) नामक एक नौसिखिया सशस्त्र बल को इकट्ठा किया। पूर्वी-पाकिस्तान के बंगाली सैन्य अधिकारियों ने बंगाली राष्ट्रवादियों के सैन्य अभियानों का प्रभार संभाला।

    भारत की भूमिका:

    सैन्य हस्तक्षेप: भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में सीधे हस्तक्षेप किया और निर्णायक रूप से पाकिस्तानी सेना को हराया। 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने 93,000 सैनिकों के साथ ढाका में भारतीय सेना की सहयोगी मुक्ति वाहिनी (Mukti Bahini) सेना के समक्ष बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था।

    बांग्लादेशी गुरिल्ला बलों को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करना: भारत ने बांग्लादेशी गुरिल्ला बलों के लिये संसाधन, प्रशिक्षण और खुफिया सहायता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे “मुक्ति वाहिनी” भी कहा जाता है।

    राजनयिक समर्थन: भारत की सक्रिय कूटनीति ने दुनिया भर में बांग्लादेश के लिये नैतिक समर्थन और सहानुभूति सुनिश्चित की। यह भारत की सक्षम कूटनीति ही थी जिसने जो अमेरिका को रोक सकी, जो उस समय के पाकिस्तान के कट्टर समर्थक थे।।

    शरणार्थियों के पुनर्वास में सहायता: भारत ने उन लाखों शरणार्थियों की मेजबानी करने में पर्याप्त उदारता दिखाई जो पूर्वी पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना कर रहे थे। सीमावर्ती राज्यों ने आने वाले संकटग्रस्त शरणार्थियों को तत्काल राहत सुनिश्चित करने के लिये विशेष व्यवस्था की।

    एक नए राष्ट्र के निर्माण में भारत की भूमिका के लिये अंतिम प्रशंसा यह है कि बांग्लादेश आज एक अपेक्षाकृत समृद्ध देश है, जिसने अल्प विकसित देश की श्रेणी से विकासशील देश के रूप में लगातार प्रगति की है।

    पूर्वी पाकिस्तान की राख से बाग्लादेश का निर्माण संभवतः भारत की अब तक की सबसे अच्छी विदेश नीति की जीत है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow