दिवस 2: परीक्षण कीजिये कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) से पूर्व गठित विभिन्न संगठनों ने कैसे राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय संघर्ष में अपना योगदान दिया ? (250 शब्द)
12 Jul 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- संक्षेप में भारत में INC से पूर्व गठित संगठनों की प्रकृति के बारे में बताइये।
- कुछ INC से पूर्व गठित संगठनों और उनकी नीतियो के बारे में बताइये जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय संघर्ष एवं राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये
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भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (आईएनसी) से पूर्व गठित अधिकांश संगठनों में स्थानीय और क्षेत्रीय चरित्र दिखाई देता है।
- इनमें से अधिकांश संगठनों ने सूक्ष्म स्तर के सुधारों की मांग की थी जैसे:
- प्रशासनिक सुधार
- प्रशासन के साथ भारतीयों का सहयोग
- शिक्षा का प्रसार
इनमें से कुछ संगठन इस प्रकार हैं जिनका भारत के वैचारिक और राजनीतिक राष्ट्र निर्माण में प्रमुख योगदान रहा है:
- ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन 1851: ज़मींदारी एसोसिएशन और बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी के विलय से इसका गठन हुआ। इसकी मांगों में प्रमुख रूप से शामिल थे:
- एक लोकप्रिय चरित्र की अलग विधायिका।
- अलग-अलग कार्यकारी और न्यायिक कार्य।
- अधिकारियों के वेतन में कटौती और विभिन्न कर्तव्य।
- संगठन ने अपनी वृहद स्तर की मांग से मध्यम वर्ग के बुद्धिजीवियों के बीच राजनीतिक जागरूकता लेन का कार्य किया।
- ईस्ट इंडिया एसोसिएशन 1866: यह लंदन में दादाभाई नौरोजी द्वारा भारत के कल्याण के लिये इंग्लैंड की जनता को प्रभावित करने के उद्देश्य से गठित किया गया था। यह पहला संगठन था जिसने भारत के हित के लिये विदेशी भूमि में अनुनय का उपयोग किया था।
- इंडियन लीग 1875: इसकी शुरुआत शिशिर कुमार घोष ने की थी। इसका योगदान "लोगों के बीच राष्ट्रवाद की भावना को उत्तेजित करना" और "राजनीतिक शिक्षा को प्रोत्साहित करना" था।
- इंडिया एसोसिएशन ऑफ कलकत्ता (उर्फ इंडियन नेशनल एसोसिएशन): इसका नेतृत्व सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस ने किया था।
- राजनीतिक सवाल पर एक मज़बूत सार्वजनिक राय बनाने में योगदान दिया
- एक साझा राजनीतिक कार्यक्रम में भारतीय लोगों को एकजुट करना।
- पूर्व-INC संगठन ने विभिन्न अभियानों का आयोजन किया जैसे:
- शस्त्र अधिनियम 1878 का विरोध
- वर्नाक्यूलर प्रेस अधिनियम 1878 का विरोध
- अंतर्देशीय उत्प्रवास अधिनियम का विरोध
- इल्बर्ट बिल का समर्थन
- सिविल सेवाओं में उपस्थित होने के लिये अधिकतम आयु में कमी के विरुद्ध
- पूर्व-INC संगठनों का योगदान:
- मध्यम वर्ग के बुद्धिजीवियों के बीच राजनीतिक और आर्थिक जागरूकता लाना
- जनता के प्रति अभिजात वर्ग के बीच अपनेपन की भावना लाना
- प्रमुख कार्यकारी, न्यायिक और विधायी सुधार के लिये आवाज़ उठाई
- सामान्य प्रशासनिक और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिये अभियान
- इन संगठनों ने संघर्ष का एक लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण रूप प्रदान किया था जिसने बाद के वर्षों में जन आंदोलन का नेतृत्व किया।
हालाँकि इन संगठनों में अमीर और कुलीन व्यक्तियों का प्रभुत्व था, लेकिन उन्होंने राजनीतिक रूप से प्रशिक्षित एवं लोकतांत्रिक रूप से प्रबंधित मध्यम वर्ग के बुद्धिजीवियों का निर्माण किया जो गांधी तथा अन्य लोगों के नेतृत्व में जन आंदोलन लाने में सहायक रहा।