दिवस 26: एक सिविल सेवक के लिये अपने कर्त्तव्यों के निर्वहन में आचार संहिता के महत्त्व को स्पष्ट कीजिये। यह भी बताइये कि आचार संहिता, नैतिक संहिता से किस प्रकार भिन्न है। (150 शब्द)
05 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण :
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एक सिविल सेवक एक समकालीन लोकतंत्र में लोगों की सेवा हेतु एक अधिकारी है जिसे स्थापित मानदंडों के आधार पर भर्ती किया जाता है। सिविल सेवक ऐसे अधिकारी होते हैं जिन्हें देश के कानूनों और विनियमों के बारे में पता होना चहिये और उनसे राष्ट्र तथा उसके नागरिकों के सर्वोत्तम हित में काम करने की उम्मीद की जाती है। वे सरकार के संसाधनों के प्रबंधन और उनका कुशलतापूर्वक तथा प्रभावी ढंग से उपयोग सुनिश्चित किये जाने के लिये ज़िम्मेदार हैं। संसदीय प्रणाली के अच्छी तरह से काम करने के लिये सिविल सेवकों को अपनी अखंडता, निडरता और स्वतंत्रता को बनाए रखना चहिये। कनाडाई लोक सेवा के प्रमुख के अनुसार, सार्वजनिक सेवा के सबसे आवश्यक कार्यों में से एक "सत्ता से सच बोलना" है।
सिविल सेवकों के बीच नैतिकता और जवाबदेही की चुनौती आचार संहिता के ढाँचे, संवैधानिक संरक्षण, राजनेता-नौकरशाही गठजोड़ और उनके राजनीतिक उत्पीड़न के बारे में कई सवाल उठाती है। इन कठिनाइयों को दूर करने और सिविल सेवक की अखंडता और अनुशासन को बनाए रखने के लिये, कई सुधार समितियों जैसे संथानम समिति (1964), होता समिति (2004) और सबसे हालिया दूसरी प्रशासनिक सुधार समिति (2005) का गठन किया गया था।
सिविल सेवकों के लिये आचार संहिता:
नैतिक संहिता और आचार संहिता में अंतर
नैतिक संहिता और आचार संहिता को व्यावहारिक दृष्टि से तो पूर्णतः पृथक नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों का संबंध प्रशासन में नैतिकता की स्थापना से है, किन्तु, इन दोनों में सैद्धान्तिक तौर पर निम्नलिखित अन्तर हैं-
वर्ष 1964 में संथानम समिति ने भी सिविल सेवा में नीति संहिता की आवश्यकता को महसूस किया तथा सत्यनिष्ठा एवं कुशलता की मज़बूत परंपराओं के विकास में नैतिक उत्साह की कमी का बाधक माना।
लोक सेवा अधिनियम, 2007 (संशोधन, 2009) में जिन नैतिक मूल्यों पर बल दिया गया है, उन्हें नीति संहिता माना जा सकता है।
प्रस्तावित विधेयक में एक सार्वजनिक सेवा संहिता और एक सार्वजनिक सेवा प्रबंधन संहिता शामिल है, जो अधिक विशिष्ट आवश्यकताएँ सम्मिलित करती है। संहिता के उल्लंघन की स्थिति में दंड का प्रावधान भी होगा। संहिता के कार्यान्वयन और घोषित लक्ष्यों की निगरानी के साथ-साथ दोनों पर सलाह प्रदान करने के लिये एक "लोक सेवा प्राधिकरण" की भी परिकल्पना की गई है।