05 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण :
- सिविल सेवाओं में उच्चतम नैतिक मानकों को बनाए रखने के महत्त्व की व्याख्या करते हुए परिचय दीजिये।
- सिविल सेवकों द्वारा ऐसे नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिये चिंता के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा कीजिये।
- ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिये प्रभावी उपाय सुझाइये।
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सिविल सेवक राज्य और लोगों के बीच की धुरी हैं। वे राजनीतिक कार्यपालिका और नागरिकों दोनों के प्रति जवाबदेह होते हैं। सिविल सेवकों के लिये उच्चतम नैतिक मानक को बनाए रखना सर्वोपरि है क्योंकि राज्य मशीनरी उनके कंधों पर टिकी हुई है; उन्हें आदर्शों को बनाए रखना होगा और सिस्टम के भरोसे को बनाए रखने के लिये उदाहरण पेश करना होगा।
सिविल सेवा वह स्टील फ्रेम है जिस पर लोक प्रशासन का भवन आधारित है। यदि इस स्टील फ्रेम को भ्रष्टाचार और निम्न नैतिक मानकों के माध्यम से नष्ट कर दिया जाता है, तो नीतियों और कल्याणकारी उपायों को लागू करने और शिकायतों को दूर करने वाली राज्य मशीनरी ध्वस्त हो जाएगी।
उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने में सिविल सेवकों के समक्ष चुनौतियाँ
- व्यक्तिगत दायित्वों और संगठनों के दायित्वों को संतुलित करना: सिविल सेवक के निजी विश्वासों और प्रशासनिक दायित्व के मध्य संघर्ष को संतुलित करते हुए अपने दायित्व का निर्वहन करना।
- विचारों के टकराव से अनिर्णय की स्थिति: जब एक लोक सेवक को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है कि उसे क्या करना चहिये और वह क्या सोचता है कि क्या होना चहिये।
- सूचना के आदान-प्रदान में दुविधा: ऐसी परिस्थितियों से निपटना जब किसी लोक सेवक को यह तय करना होता है कि क्या उस सूचना को गुप्त रखना है जो शायद वर्तमान सरकार के लिये शर्मनाक हो या जो जनहित में हो।
- जनता के प्रति सेवा-भाव और जवाबदेही: किसी लोक सेवक को सार्वजनिक धन का अनुचित उपयोग, सरकारी तंत्र का व्यक्तिगत प्रयोग, भर्ती अथवा पुरस्कार या लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया में व्यक्तिपरक मानदंडों के संकेत मिलने पर कार्य करने में असुविधा होती है।
- विवेक और प्रचलित राजनीतिक विचारधारा में संघर्ष के मध्य सामंजस्य: यह तय करना चुनौतीपूर्ण है कि एक लोक सेवक को वर्तमान सरकार द्वारा प्रचलित राजनीतिक विचारधारा का समर्थन किस हद तक करना चहिये।
- निजी जीवन और सार्वजनिक जीवन को संतुलित करना: जब कोई व्यक्ति सार्वजनिक सेवा को रोज़गार के रूप में स्वीकार करता है तो यह निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण होता है कि उसे निजी जीवन और मूल्यों को कहाँ तक लागू करना चहिये।
सिविल सेवकों के बीच उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखने के उपाय:
- सरकारी अधिकारियों द्वारा नीति संहिता और आचार संहिता के उल्लंघन की निगरानी के लिये राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर एक समर्पित इकाई स्थापित की जानी चाहिये।
- उचित लेखा परीक्षा के साथ सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति और देनदारियों की अनिवार्य घोषणा।
- स्वतंत्र भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की स्थापना।
- सिविल सेवकों के बीच आम लोक कल्याण के विचारों को शामिल करने के लिये नागरिक सलाहकार बोर्ड।
- सभी सरकारी कार्यक्रमों का अनिवार्य सामाजिक अंकेक्षण, उदाहरण के लिये मेघालय ने सरकारी कार्यक्रमों के सामाजिक अंकेक्षण हेतु एक कानून पारित किया है।
- शासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता भ्रष्टाचार का अभाव है। अन्य आवश्यकताएँ सार्वजनिक जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करने वाले प्रभावी कानून, नियम और विनियम हैं और उन कानूनों का अधिक महत्त्वपूर्ण, प्रभावी और निष्पक्ष कार्यान्वयन आदि हैं।
- सरकार को कानूनों और नीतियों के अलावा सरकारी कर्मचारियों में व्यवहार परिवर्तन लाने पर भी ध्यान देना चाहिये ताकि वे आसानी से जनता की समस्या के प्रति सहानुभूति रख सकें।
- अनिवार्य संगठनात्मक प्रभावशीलता और प्रदर्शन सुनिश्चित करके नैतिक मानकों को बढ़ाने के लिये नागरिक चार्टर को अपनाना। प्रतिबद्धताओं को सार्वजनिक करने से सेवा वितरण मानकों की नैतिकता का पालन सुनिश्चित हो सकता है।
इस प्रकार, उच्च नैतिक मानकों के लिये एक लोक सेवक को पेशेवर ज़िम्मेदारी की आंतरिक भावना विकसित करने की आवश्यकता होती है। सहानुभूति, करुणा, अखंडता और व्यापक रूप से मानवता की सेवा करने की इच्छा जैसे मूल्यों पर ज़ोर दिया जाना चाहिये। ज़िम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करना और बड़े हित के लिये अधिक से अधिक शुभ पर ध्यान केंद्रित करना एक लोक सेवक के कार्यों का मार्गदर्शन कर सकता है और अपने नैतिक दायित्वों को पूरा करने के तरीके में अधिकांश चुनौतियों का समाधान कर सकता है।