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  • 23 Jul 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस 13: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम (GNCTD) 2021 एक परस्पर विरोधी संघवाद मॉडल का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें केंद्र, राज्य पर हावी है। इस संदर्भ में अधिनियमों के प्रमुख प्रावधानों और उनके द्वारा उठाए गए प्रमुख मुद्दों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने के दृष्टिकोण:

    • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम का उल्लेख करके अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम की विशेषताओं की चर्चा कीजिये।
    • राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 में संशोधन करता है। अधिनियम विधान सभा और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) की सरकार के कामकाज के लिये एक रूपरेखा प्रदान करता है।

    विधेयक विधान सभा और उपराज्यपाल की कुछ शक्तियों और ज़िम्मेदारियों में संशोधन करता है।

    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम (GNCTD) 2021 की विशेषताएँ:

    • विधानसभा द्वारा पारित कानूनों पर प्रतिबंध: विधेयक में प्रावधान है कि विधान सभा द्वारा बनाए गए किसी भी कानून में संदर्भित "सरकार" शब्द का आशय उपराज्यपाल (LG) होगा।
    • विधानसभा की प्रक्रिया के नियम: अधिनियम विधानसभा को विधानसभा में कार्य की प्रक्रिया और संचालन को विनियमित करने के लिये नियम बनाने की अनुमति देता है। विधेयक में प्रावधान है कि ऐसे नियम लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों के अनुरूप होने चाहिये।
    • विधेयकों को स्वीकृति: अधिनियम में उपराज्यपाल को विधान सभा द्वारा पारित कुछ विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिये आरक्षित रखने की आवश्यकता है। ये विधेयक हैं:
      (i) जो दिल्ली के उच्च न्यायालय की शक्तियों को कम कर सकता है।
      (ii) जिसे राष्ट्रपति आरक्षित रखने का निर्देश दे सकते हैं।
      (iii) अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विधानसभा के सदस्यों तथा मंत्रियों के वेतन और भत्तों से निपटने या
      (iv) विधानसभा या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की आधिकारिक भाषाओं से संबंधित है।

    विधेयक में LG को राष्ट्रपति के लिये उन विधेयकों को भी आरक्षित करने की आवश्यकता है जो विधान सभा की शक्तियों के दायरे से बाहर के किसी भी मामले को कवर करते हैं।

    • कार्यकारी कार्यों पर LG की राय: अधिनियम निर्दिष्ट करता है कि सरकार द्वारा सभी कार्यकारी कार्रवाई, चाहे मंत्रियों की सलाह पर या LG के नाम पर की जानी चाहिये। विधेयक में कहा गया है कि कुछ मामलों पर जैसा कि LG द्वारा निर्दिष्ट किया गया है, मंत्री/मंत्रिपरिषद के निर्णयों पर कोई कार्यकारी कार्रवाई करने से पहले उनकी राय ली जानी चाहिये।

    GNCTD 2021 द्वारा उठाए गए मुद्दे:

    • नवीनतम संशोधन दिल्ली सरकार की दक्षता और समयबद्धता को बहुत कम कर देगा, जिससे कि स्थिति में तत्काल कार्रवाई की मांग होने पर भी LG के साथ परामर्श करना अनिवार्य हो जाएगा।
    • गौरतलब है कि उपराज्यपाल एक समय सीमा के भीतर राज्य सरकार को अपनी राय देने हेतु बाध्य नहीं हैं। आलोचकों का तर्क है कि उपराज्यपाल सरकार के प्रशासनिक कार्यों में बाधा डालने के लिये इन बेलगाम शक्तियों का राजनीतिक रूप से दोहन कर सकते हैं और इस प्रकार यदि वह चाहें तो राजनीतिक लहर को सत्ताधारी के खिलाफ मोड़ सकते हैं।
    • सहकारी संघवाद के विरुद्ध : सहकारी संघवाद को कम करने के अलावा अधिनियम 2018 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित मार्गदर्शक सिद्धांतों का भी खंडन करता है।
    • सत्ता का केंद्रीकरण: अधिनियम प्रतिनिधि सरकार से नियुक्त LG को वास्तविक शक्ति हस्तांतरित करने का पक्षधर है।
    • यह SC के फैसले के विरुद्ध है। वर्ष 2002 से पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज मामले में SC ने फैसला सुनाया कि विधायिका के पास अदालत के फैसले को बदलने का अधिकार है। यह केवल अदालत के फैसले के कानूनी आधार को बदल सकता है और एक सामान्य कानून बना सकता है।
    • अधिनियम को सदन की प्रवर समिति को संदर्भित किये बिना पारित किया गया था।

    आगे की राह:

    उचित परामर्श: अधिनियम को बिना किसी उचित परामर्श के पारित किया गया था जो इसके अधिनियमन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। लोकतंत्र में बहस और चर्चा लोकतंत्र का सार है इसलिये इस पर ठीक से चर्चा होनी चाहिये थी।

    लचीलापन सुनिश्चित करना: केंद्र सरकार को खुद को राज्य सरकारों पर थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिये और उन्हें अपने कार्यों में लचीलापन देना चाहिये।

    सर्वोच्च न्यायालय का फैसला: सरकार को इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करना चाहिये।

    • दिल्ली के NCT सरकार बनाम भारत संघ और 2018 में एक अन्य मामले में SC ने कहा कि:
      • सरकार अपने फैसलों पर उपराज्यपाल की सहमति लेने के लिये बाध्य नहीं थी।
      • उनके बीच किसी भी मतभेद को प्रतिनिधि सरकार और सहकारी संघवाद की संवैधानिक प्रधानता को ध्यान में रखते हुए हल किया जाना चाहिये।

    राज्यों को विश्वास में लेना: केंद्र सरकार को किसी निर्णय को अंतिम रूप देने से पहले राज्यों को विश्वास में लेना चाहिये और इस तरह के मुद्दों पर आम सहमति बनानी चाहिये।

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