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18 Aug 2022
सामान्य अध्ययन पेपर 3
विज्ञान-प्रौद्योगिकी
दिवस 39: पाँचवीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क (5G) मोबाइल नेटवर्क का अगला स्तर है जो चौथी औद्योगिक क्रांति, सेवा वितरण की गुणवत्ता, नवाचार को आकार देगा। भारतीय संदर्भ में इसका समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- 5G का वर्णन करते हुए संक्षेप में परिचय दीजिये।
- 5जी के लाभों पर चर्चा कीजिये।
- 5जी से जुड़े मुद्दों को भारतीय संदर्भ में स्पष्ट कीजिये।
- समस्याओं के समाधान के लिये कुछ उपाय सुझाइये।
5G 5वीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है। यह 1G, 2G, 3G और 4G नेटवर्क के बाद एक नया वैश्विक वायरलेस मानक है। यह एक नए प्रकार के नेटवर्क को सक्षम बनाता है जिसे मशीनों, वस्तुओं और उपकरणों सहित लगभग सब कुछ एक साथ जोड़ने के लिये डिज़ाइन किया गया है। 5G में 4G नेटवर्क की तुलना में 100 गुना तेज गति से डेटा देने का वादा किया गया है। महत्त्वपूर्ण रूप से इसे 10ms से कम की नेटवर्क विलंबता के साथ लगभग तुरंत डेटा संचारित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। इसमें वर्तमान पीढ़ी के नेटवर्क की तुलना में एक समय में अधिक एक साथ कनेक्शन को संभालने के लिये एक उन्नत प्रवाह क्षमता भी होगा। भारत में एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, रिलायंस जियो आदि जैसे नेटवर्क ऑपरेटरों ने पहले से ही नियोजित परीक्षणों के लिये एरिक्सन, हुआवेई और सैमसंग जैसे विक्रेताओं के साथ भागीदारी की है।
5वीं पीढ़ी (5G) प्रौद्योगिकी के लाभ:
- हाई स्पीड प्रौद्योगिकी: 5G के हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में इंटरनेट की गति परीक्षण स्तर पर 20 Gbps (गीगाबिट प्रति सेकंड) तक उच्च पाई गई। इसकी तुलना में 4G की अधिकतम इंटरनेट डेटा गति 1 Gbps दर्ज की गई थी। 5G लेटेंसी या विलंबता (नेटवर्क द्वारा प्रतिक्रिया देने में लगने वाला समय) को भी कम करेगा।
- ‘मशीन-टू-मशीन इंटरेक्शन’: 5G मशीन-टू-मशीन संचार की सुविधा प्रदान करने वाली पहली प्रौद्योगिकी होगी, जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) की नींव है। IoT, क्लाउड, बिग डेटा, AI और एज कंप्यूटिंग के साथ 5G चौथी औद्योगिक क्रांति का एक महत्त्वपूर्ण प्रवर्तक सिद्ध हो सकता है।
- अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: सरकार द्वारा नियुक्त पैनल (वर्ष 2018) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 5G वर्ष 2035 तक भारत में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का संचयी आर्थिक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है। यह मशीनों और विभिन्न क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाकर भारत को व्यापक रूप से आर्थिक बढ़ावा देगा जो फिर दक्षता में वृद्धि करेगा। उत्पादन में भी वृद्धि होगी जिससे भारी राजस्व संग्रह प्राप्त होगा।
- सहयोगी नेटवर्क परिनियोजन: 5G के कारण ऐसा पहली बार होगा कि नेटवर्क परिनियोजन के लिये व्यावसायिक कार्यक्षेत्र और प्रौद्योगिकी कार्यक्षेत्र एक साथ कार्य करेंगे।
- क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करना: 5G में नेटवर्क की सीमाओं के बजाय क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में बैंडविड्थ (Band Width) से अधिक नेटवर्क की सीमा की आवश्यकता होती है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र शहरी क्षेत्रों की तरह घनी आबादी वाले और औद्योगीकृत नहीं हैं। आवश्यक क्षेत्रों में अधिक छोटी इकाइयों को तैनात करके इसकी भरपाई की जाएगी।
संबंधित मुद्दे
- भारत देर से इस तकनीक को अपनाने वालों देशों में से एक: भारत, बांग्लादेश और इंडोनेशिया सहित एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों में 5G तकनीक को अपनाने में देरी हो रही है, इसलिये इस सेवा से नगण्य राजस्व प्राप्त होगा।
- कम सरकारी सब्सिडी: मौजूदा राजकोषीय घाटे के बीच स्पेक्ट्रम नीलामी के लिये सरकारों द्वारा निर्धारित उच्च आरक्षित कीमतों के इतिहास को देखते हुए सरकारी सब्सिडी की उम्मीद कम है।
- डिजिटल डिवाइड: 5G अल्पावधि में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल डिवाइड को समाप्त नहीं कर पाएगा, बल्कि इसे बढ़ाएगा क्योंकि शहरी क्षेत्रों में भी व्यावसायिक मामलों में 5G की पहुँच पर्याप्त नहीं है। इसलिये ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह आसानी से उपलब्ध नहीं होगा।
- 5G एक विशिष्ट सेवा: 3G और 4G के विपरीत 5G एक विशिष्ट सेवा होगी, जबकि 3G एवं 4G की सेवाएँ व्यापक हैं। 5G तकनीक का रोलआउट 4G से अलग होगा; इसे केवल विशिष्ट क्षेत्रों और उपयोगों हेतु ही लाया जाएगा।
- पूर्व में उपलब्ध तकनीकों की अपर्याप्त पहुँच: अभी भी ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ 4G नेटवर्क नहीं है जिससे इंटरनेट सेवाओं में बार-बार व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। नया 5G तकनीक शुरू करने से पहले मौजूदा 4G नेटवर्क के सेवा मानकों की गुणवत्ता को पूरा करना महत्त्वपूर्ण है।
- आवश्यक आधारभूत संरचनाओं को सक्षम करना: 5G के लिये संचार प्रणाली के बुनियादी संरचनाओं में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता होगी। 5G का उपयोग करके डेटा ट्रांसफर करने का प्रमुख दोष यह है कि यह अधिक दूरी तक डेटा को ट्रांसफर नहीं कर सकता है। इसलिये 5G तकनीक में कुछ सुधार की ज़रूरत है।
- उपभोक्ताओं पर वित्तीय दायित्व: 4G से 5G प्रौद्योगिकी में परिवर्तन के लिये नवीनतम सेलुलर प्रौद्योगिकी को अपग्रेड करना होगा, जिसका वित्तीय दायित्व उपभोक्ताओं पर होगा।
आगे की राह
- ग्रामीण-शहरी अंतर को पाटना: 5G को विभिन्न बैंड स्पेक्ट्रम पर और कम बैंड स्पेक्ट्रम पर भी उपयोग किया जा सकता है। इसकी सीमा बहुत लंबी है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सहायक है।
- सरकार द्वारा सहायता: सरकार दूरसंचार कंपनियों को ऐसे नेटवर्क शुरू करने में सहायता करेगी जो जनता के लिये टिकाऊ और किफायती हों।
- स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण के मुद्दे से निपटना: क्षेत्र में वित्तीय तनाव और सेवाओं की सामर्थ्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य निर्धारण पर काम करना होगा।
- भारत में विनिर्माण क्षेत्र को सक्षम बनाना: जैसे-जैसे भारत में 5G का विस्तार शुरू होगा, भारत को अपने घरेलू दूरसंचार विनिर्माण बाज़ार को मज़बूत करना होगा ताकि देश में न केवल 5G के उपयोगकर्त्ता हों, बल्कि इन प्रौद्योगिकियों के निर्माता और प्रदाता भी हों जो अपनी वैश्विक पहचान बनाने में सक्षम हों।
- उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण से व्यवहार्य प्रौद्योगिकी: व्यापक 5G परिनियोजन के लिये इसे वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने की आवश्यकता है अन्यथा ग्रामीण एकीकरण या ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों के मध्य डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना एक सपना बना रहेगा।
- साथ ही 5G तकनीक को दूरसंचार ऑपरेटरों के लिये भी व्यवहार्य होना चाहिये।