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Mains Marathon

  • 17 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस 38: भीड़ के प्रदर्शनों और हिंसा से निपटने में भावनात्मक बुद्धिमत्ता के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता शब्द को संक्षेप में परिभाषित करके उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • भीड़ के विरोध और हिंसा से निपटने में EI की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    अपनी भावनाओं को परिस्थिति के अनुसार नियंत्रित व निर्देशित कर, पारस्परिक संबंधों का विवेकानुसार और सामंजस्यपूर्ण तरीके से प्रबंधन करने की क्षमता भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) कहलाती है। यह मूल रूप से अपनी भावनाओं को पहचानने और प्रबंधित करने तथा दूसरे के मनोभावों को समझकर उन पर नियंत्रण करने की क्षमता है। बौद्धिक गुणक या इंटेलिजेंस कोशेंट (Intelligence quotient) कई अलग-अलग मानकीकृत परीक्षणों से प्राप्त एक गणना है जिससे बुद्धि का आकलन किया जाता है।

    भीड़ के विरोध या हिंसा जैसी कठिन परिस्थितियों में, आपको कोई ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जो किसी भी प्रकार की स्थिति से प्रभावित हुए बिना शांत रहने में सक्षम हो। इस मामले में EI की बहुत बड़ी भूमिका है।

    भीड़ के विरोध और हिंसा से निपटने में EI की भूमिका:

    • चीजों को नियंत्रण में रखना: भीड़ का विरोध कुछ ही मिनटों में नियंत्रण से बाहर हो सकता है, यदि आप एक प्रशासक के रूप में चीजों को नियंत्रण में रखने में असमर्थ हैं, तो आप परेशानी से घबरा जाएँगे ।
    • आत्म भावनाओं को नियंत्रित करना: क्रोध और चिंता लगभग कभी भी सहायक भावनाएँ नहीं होती हैं, खासकर जब भीड़ के विरोध से निपटना।
    • आम तौर पर, ये दो भावनाएँ आवेगी व्यवहार की ओर ले जाती हैं, जो भीड़ से निपटने में कारगर नहीं है।
    • भीड़ के साथ बातचीत: भीड़ को नियंत्रित करने के लिये आपको करिश्माई, आत्मविश्वासी और अच्छी अनुनयन क्षमता वाला होना चाहियेै।
    • आपको अपने दिमाग को ठंडा रखने में सक्षम होना चाहिये, तब भी जब आपके आस-पास के सभी लोग पैनिक मोड में हों।
    • सामाजिक ज़िम्मेदारी: प्रशासक के रूप में, सभी हितधारकों की देखभाल करना और सभी को लूप में रखना प्राथमिक ज़िम्मेदारी है।
    • वर्तमान समय में, विशेष रूप से एक बाज़ार संचालित अर्थव्यवस्था में इस तरह के विरोधों की बारंबारता बढ़ गई है जिससे शासन और अधिक जटिल हो रहा है।।

    इस प्रकार, केवल बुद्धिमत्ता गुणक एक प्रशासक के सामने आने वाली अधिकांश समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता है, बेहतर सार्वजनिक सेवा वितरण के साथ-साथ समस्याओं के निवारण के लिये भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग आवश्यक है।

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