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Mains Marathon

  • 30 Aug 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस 51: सिविल सेवकों की ज़िम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए, "ईमानदारी" और "दृढ़ विश्वास के साहस" के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय में, "ईमानदारी" और "दृढ़ विश्वास" के दो गुणों के बारे में संक्षेप में बताइये।
    • वर्णन कीजिये कि यह सिविल सेवाओं से कैसे संबंधित है।
    • निष्पक्ष निष्कर्ष दीजिये।

    ईमानदारी: ईमानदारी से तात्पर्य उस नैतिक व्यवहार से है जो कि पूरी निष्पक्षता, जवाबदेही पारदर्शिता एवं सत्यनिष्ठा के साथ किसी व्यक्ति को अपने कर्तव्य के पालन हेतु प्रेरित करता है तथा सार्वजनिक मूल्यों को बनाए रखता है। लोक सेवा में ईमानदारी का अर्थ व्यापक है जिसमें न्यायनिष्ठा, सत्यनिष्ठा तथा स्पष्टवादिता जैसे सद्गुणों को शामिल किया जाता है। यह लोक सेवकों को भ्रष्ट व स्वकेंद्रित होने से बचाता है तथा जनोन्मुखी शासन की अवधारणा का विकास करता है।

    दृढ़ विश्वास का साहस: किसी की मान्यताओं या विचारधाराओं के अनुसार कार्य करने या व्यवहार करने का विश्वास विशेष रूप से ऐसी स्थिति में जब उन मान्यताओं के साथ विरोध, आलोचना या अभियोजन की स्थिति हो, इन कठिन क्षणों के दौरान दृढ़ विश्वास का साहस एक लोक सेवक को किसी बाहरी दबाव का शिकार होने के बजाय सार्वजनिक हितों को चुनने में मदद करता है।

    ईमानदारी की प्रासंगिकता:

    • सामाजिक न्याय की प्राप्ति तथा प्रशासन में दक्षता के लिये शासन व्यवस्था में ईमानदारी अनिवार्य होती है। जानकार मानते हैं कि शासन में ईमानदारी की उपस्थिति के लिये प्रभावी कानून, नियम, विनियम आदि की आवश्यकता होती है।
    • साथ ही यह भी आवश्यक है कि इनका अनुपालन प्रभावी तरीके से कराया जाए। पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व जैसे गुण शासन में ईमानदारी को बढ़ाने में सहायक माने जाते हैं।
    • ‘सूचना का अधिकार अधिनियम’ जैसे कदमों द्वारा पारदर्शिता तथा ‘सिटीज़न चार्टर’ व ‘सर्वोत्तम मॉडल’ जैसे कदमों ने उत्तरदायित्व की भावना को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • जहाँ एक ओर ईमानदारी आंतरिक रूप से अनुशासन से संबंधित होती है वहीं भारत में लोक जीवन से अनुशासन दिन-प्रतिदिन कम होता जा रहा है।
    • पश्चिमी देशों में व्यक्ति उच्च पदों पर पहुँचने के साथ ही कानून के प्रति सम्मान का भाव विकसित कर लेते हैं और शासन वर्ग भी कानूनों का पालन ईमानदारी व अनुशासन के साथ करता है।
    • परंतु भारत में अधिक-से-अधिक शक्ति का संकेन्द्रण इस तथ्य का सूचक होती है कि वह किस सीमा तक कानून से परे जाकर कम कर सकता है।

    दृढ़ विश्वास के साहस की प्रासंगिकता:

    • लोक सेवा में, विभिन्न परिस्थितियों का सामना करते हुए व्यक भय, जुनून, लालच आदि से परिपूर्ण हो सकता है क्योंकि शीर्ष पर निर्णय कई हितों को प्रभावित करेगा, निहित या गैर-निहित। इन कठिन क्षणों के दौरान दृढ़ विश्वास का साहस एक सिविल सेवक को विभिन्न प्रलोभनों और जोखिमों के बावजूद, अपने विश्वासों, मूल्यों और कर्तव्य में दृढ़ रहते हुए सर्वोत्तम कार्रवाई पर बने रहने में मदद करता है। इसलिये, यह गुण सार्वजनिक सेवा में महत्त्व रखता है।
    • ऐसे कई उदाहरण हैं जब प्रमुख सार्वजनिक अधिकारी संवैधानिक मूल्यों और राष्ट्रीय एकता की अनिवार्यता की रक्षा करने में विफल रहे क्योंकि वे एक अड़ियल राज्य सरकार के हाथों पीड़ित होने से डरते थे। अधिकारियों में मनमानी राजनीतिकरण के हमलों का सामना करने के लिये यदि दृढ़ विश्वास का साहस होगा तो वे उत्पीड़न के डर के बिना जनहित की रक्षा करने में सक्षम होंगे।
    • साहसिक निर्णय लेने में मदद करता है: उदाहरण के लिये - सूचना का खुलासा करने के लिये व्हिसलब्लोअर को दृढ़ विश्वास के साहस की आवश्यकता होती है।
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