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दिवस 2: स्वतंत्रता संग्राम में डॉ. अम्बेडकर और महात्मा गांधी के दृष्टिकोण में अंतर पर प्रकाश डालिये। (250 शब्द)

12 Jul 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण

  • इन दो महान व्यक्तित्वों के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखकर परिचय दीजिये।
  • गांधी और डॉ. अम्बेडकर के बीच वैचारिक मतभेदों पर चर्चा कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

एक आधुनिक, एकजुट लोकतांत्रिक और संवैधानिक भारत की स्थापना में गांधी तथा अंबेडकर का भारतीय इतिहास में एक अनूठा स्थान है।

गांधी जी को उनके योगदान के लिये राष्ट्रपिता कहा जाता है और डॉ. अम्बेडकर को भारत के संविधान के प्रधान वास्तुकार या आधुनिक मनु के रूप में नामित किया गया है।

गांधी और डॉ. अम्बेडकर दोनों के कई मूल्य एवं विचार समान थे।

दोनों के बीच समानताएँ इस प्रकार हैं:

  • दोनों का प्रयास हिंदू धर्म में कुप्रथाओं को दूर करना था।
  • दोनों धर्म की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं।
  • दोनों द्वारा स्वीकार किये गए सामाजिक परिवर्तन के एजेंट के रूप में धर्म को चुना गया।
  • दोनों का मानना था कि जबरन व्यक्तियों को धर्म या समाज से अलग नहीं किया जा सकता है।
  • दोनों ऐसी सरकार का समर्थन करते थे जिसके पास सीमित अधिकार हों तथा दोनों ही एक संप्रभु राज्य की परिकल्पना करते थे।
  • दोनों का मानना था कि लोगों को लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीकों के माध्यम से परिवर्तन का प्रयास करना चाहिये।

दोनों के बीच अंतर इस प्रकार है:

विषय

गांधी जी

डॉ भीमराव अम्बेडकर

स्वतंत्रता

यह कभी उदारता से दी नहीं जाती बल्कि इसे लोगों द्वारा सत्ता से छीनना पड़ता है ।

शाही शासक द्वारा स्वतंत्रता प्रदान करने की उम्मीद।

प्रजातंत्र

उनके मन में संसदीय लोकतंत्र के लिये बहुत कम सम्मान था और वे जन-लोकतंत्र के पक्ष में नहीं थे; उनका मानना था कि इससे नेताओं का प्रभुत्व बढ़ सकता है।

उन्होंने संसदीय प्रणाली और जन लोकतंत्र का समर्थन किया था क्योंकि इससे उत्पीड़ित लोगों की प्रगति के साथ सरकार पर दबाव डालना संभव था।

वैचारिक कठोरता

वे अहिंसा पर अत्यधिक बल देते थे।

एक राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में उनके कुछ कठोर सिद्धांत थे।

राजनीति

उन्होंने भारतीय एकता के उदाहरण और उसके प्रभाव के बारे बताया है तथा अपनी पुस्तक हिंद स्वराज में भारत की सांस्कृतिक एकता को उजागर किया है ।

उन्होंने भारत में होने वाले विभेद के प्रभाव को उजागर किया है।

गाँव

ग्राम स्वराज राम राज्य के समान है। वह पंचायती राज व्यवस्था के प्रशंसक थे।

उन्होंने समानता, बंधुत्व और स्वतंत्रता से वंचित भारतीय गाँवों की यथास्थिति प्रकृति का समर्थन किया था।

वंचित वर्ग

उन्होंने दलित वर्ग को हरिजन बताते हुए कहा कि धर्म मनुष्य और ईश्वर के बीच होना चाहिये।

उन्होंने कहा कि धर्म मनुष्य और मनुष्य के बीच होना चाहिए।

जाति व्यवस्था

वह जाति व्यवस्था और वर्ण व्यवस्था के समर्थक थे, लेकिन अंतर-जाति सद्भाव और अंतरंगता पर ध्यान केंद्रित करने के साथ।

उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथों में वेदों की निंदा की।

अस्पृश्यता

अस्पृश्यता कई समस्याओं में से एक है जिसका हिंदू धर्म सामना कर रहा है।

उन्होंने अस्पृश्यता को एकमात्र समस्या के रूप में देखा।

हिंसा

गांधी जी साध्य और साधन दोनों की पवित्रता पर विश्वास करते थे और इसलिये हिंसा जैसे साधनों का प्रयोग अनुचित मानते थे चाहे उसका परिणाम कितना ही अच्छा क्यों ना हो

उनके अनुसार एक साध्य के रूप में पूर्ण अहिंसा और एक साधन के रूप में सापेक्ष हिंसा सही है तथा साध्य की शुद्धता साधनों को सही ठहरा सकती है।

भाषा

उन्होंने स्थानीय भाषाओं का उपयोग किया और धार्मिक विचारों, विचारों एवं उद्धरणों का भी उपयोग किया है।

वह अंग्रेज़ी में बोलते थे और अपने भाषण में धार्मिक चीज़ों का उपयोग नहीं करते थे।

शिकायत निवारण

असहयोग से कानून की अवज्ञा करना ही सत्याग्रह है।

राजनीतिक प्रक्रियाओं में कानून और संवैधानिकता का अवलोकन।

हालाँकि गांधी जी और डॉ. अम्बेडकर दोनों के विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग विचार थे।

लेकिन इन मतभेदों ने लोकतांत्रिक प्रणाली के विकास का नेतृत्व किया जहाँ सभी के विचारों का सम्मान किया गया और एक सफल लोकतांत्रिक भारत का निर्माण किया गया।