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Mains Marathon

  • 27 Jul 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    दिवस 17: सामरिक व सैन्य उद्देश्य हेतु एंटी-सैटेलाइट हथियारों के विकास के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। क्या भारत का एंटी-सैटेलाइट हथियार परीक्षण अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ को बढ़ावा देगा? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • एंटी-सैटेलाइट हथियारों के बारे में संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • एंटी सैटेलाइट हथियारों के सामरिक सैन्य महत्त्व तथा सशस्त्र विकास की संभावनाओं का वर्णन कीजिये।
    • निष्पक्ष निष्कर्ष दीजिये।

    एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (A-SAT):

    • भारत ने डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम द्वीप से एंटी-सैटेलाइट सिस्टम (A-SAT) का परीक्षण किया है, जिसे पहले व्हीलर द्वीप के रूप में जाना जाता था, यह ओडिशा के तट पर स्थित एक द्वीप है।
    • इसे लो अर्थ ऑर्बिट में कार्यशील उपग्रह को सफलतापूर्वक नष्ट करने के लिये ओडिशा में बालासोर रेंज से इंटरसेप्टर मिसाइल के रूप में लॉन्च किया गया है।
    • इस प्रकार यह एंटी-सैटेलाइट मिसाइल क्षमता विकसित करने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन गया है।
    • भारत में एंटी-सैटेलाइट (A-SAT) मिसाइल का विकास डीआरडीओ और इसरो ने मिलकर किया एवं इस मिसाइल परीक्षण को ‘मिशन शक्ति’ का नाम दिया गया है।

    महत्त्व:

    • महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों की एक बड़ी संख्या अब उपग्रह आधारित हैं। इनमें नेविगेशन सिस्टम, संचार नेटवर्क, प्रसारण, बैंकिंग सिस्टम, शेयर बाज़ार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, भूमि और महासागर मानचित्रण तथा निगरानी उपकरण एवं सैन्य अनुप्रयोग शामिल हैं।
    • एक उपग्रह को नष्ट करना इन अनुप्रयोगों को बेकार कर देगा। यह मानव जीवन के लिये कोई खतरा पैदा किये बिना दुश्मन के बुनियादी ढाँचे को पंगु बना सकता है।
    • इसका उद्देश्य अंतरिक्ष संपत्तियों और भारत की समग्र सुरक्षा की क्षमता को मज़बूत करना था।

    ASAT परीक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ:

    • चीन ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि सभी देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेंगे।
    • पाकिस्तान ने कहा है कि अंतरिक्ष मानव जाति की साझा विरासत है और हर देश की ज़िम्मेदारी है कि वह उन कार्यों से बचे जो इस क्षेत्र के सैन्यीकरण का कारण बन सकते हैं।
    • अमेरिका ने कहा है कि वह भारत के साथ अंतरिक्ष और वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग में साझा हितों को आगे बढ़ाना जारी रखेगा, जिसमें अंतरिक्ष में सुरक्षा और सहयोग शामिल है। हालाँकि इसने अंतरिक्ष मलबे के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है।
    • भारत का रुख:
      • विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत बाहरी अंतरिक्ष के हथियारीकरण के खिलाफ है और अंतरिक्ष आधारित परिसंपत्तियों की सुरक्षा को मज़बूत करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करता है।
      • भारत द्वारा हमेशा कहा जाता है कि अंतरिक्ष का उपयोग केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये किया जाना चाहिये।

    बाह्य अंतरिक्ष के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ:

    • संयुक्त राष्ट्र बाह्य अंतरिक्ष संधि 1967: यह केवल बाह्य अंतरिक्ष में सामूहिक विनाश संबंधी हथियारों को प्रतिबंधित करती है, सामान्य हथियारों पर नहीं। भारत ने वर्ष 1982 में इसकी पुष्टि की है।
    • संयुक्त राष्ट्र पारदर्शिता और विश्वास निर्माण उपाय (TCBMs): इसमें संयुक्त राष्ट्र रजिस्टर के साथ अंतरिक्ष वस्तुओं को पंजीकृत करना, पूर्व-लॉन्च अधिसूचनाएँ आदि शामिल हैं। भारत इन विवरणों को संयुक्त राष्ट्र के साथ साझा कर रहा है।
    • अंतर-एजेंसी अंतरिक्ष मलबा समन्वय समिति (आईएडीसी) अंतरिक्ष में मानव निर्मित और प्राकृतिक मलबे के मुद्दों से संबंधित गतिविधियों के विश्वव्यापी समन्वय के लिये एक अतर्राष्ट्रीय सरकारी मंच है।
      • भारत अंतरिक्ष मलबे प्रबंधन के संबंध में IADC-गतिविधियों में भाग लेता है, SOPA (स्पेस ऑब्जेक्ट प्रॉक्सिमिटी अवेयरनेस और टकराव से बचाव (COLA) विश्लेषण का उपक्रम करता है।
    • भारत ने बाह्य अंतरिक्ष पर हथियारों के पहले स्थान पर नहीं रखने पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का समर्थन किया है।

    ASAT मिशन ने अंतरिक्ष में सहयोगी उपक्रमों हेतु भारत के लिये नई अंतरिक्ष गतिशीलता के क्षेत्र में अमेरिका, जापान और फ्राँस जैसी कई अन्य प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों के साथ नए रास्ते खोल दिये हैं। न्यू स्पेस डायनेमिक्स तकनीकी, राजनीतिक और वाणिज्यिक रुझानों सहित विभिन्न प्रवृत्तियों को शामिल करने वाली एक जटिल घटना है जो अंतरिक्ष में निजी अभिनेताओं की भागीदारी के लिये तेज़ी से अधिक प्रमुख भूमिका में योगदान करते है। यह उद्योग के लिये एंड-टू-एंड उत्पादों और सेवाओं की पेशकश करने तथा क्षमता का विस्तार करने के लिये कार्य करेगा। ASAT क्षमता संदर्भ में भारत का प्रदर्शन चीन के एक दशक बाद तथा अमेरिका और रूस के लगभग छह दशक बाद आता है।

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