दिवस 30: "अधिकारियों की कमियों की जाँच करने और प्रशासनिक दक्षता सुनिश्चित करने के लिये लेटरल सिस्टम अस्तित्व में आया।" इस संदर्भ में, पार्श्व प्रणाली की प्रभावकारिता का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
09 Aug 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- लेटरल एंट्री का संक्षिप्त विवरण देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- लेटरल एंट्री के लाभों की चर्चा कीजिये।
- लेटरल एंट्री के दोषों की विवेचना कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।
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लेटरल एंट्री शब्द सरकारी संगठनों में विशेष रूप से निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति से संबंधित है।
लेटरल एंट्री के लाभ;
- विशिष्ट ज्ञान की आवश्यकता: शासन अधिक से अधिक जटिल होता जा रहा है जिसके लिये विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिये हमारे जीवन में डेटा प्रभुत्व की बढ़ती पैठ।
- कमी को पूरी करना: कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 1500 आईएएस अधिकारियों की कमी है। लेटरल एंट्री इस कमी को पूरा करने में मदद कर सकती है।
- कार्य संस्कृति में बदलाव लाना: लेटरल एंट्री के माध्यम से सरकारी क्षेत्र की कार्य-संस्कृति के अंतर्गत नौकरशाही संस्कृति में परिवर्तन लाने में मदद मिलेगी। नौकरशाही संस्कृति की आलोचना लालफीताशाही, ‘रूल-बुक’ नौकरशाही और यथास्थितिवाद के लिये की जाती है।
- लेटरल एंट्री से सरकारी क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, दक्षता और प्रभावशीलता के मूल्यों में वृद्धि के साथ -साथ सरकारी क्षेत्र में प्रदर्शनकारी संस्कृति के निर्माण में मदद मिलेगी।
- सहभागितापूर्ण शासन: वर्तमान में शासन व्यवस्था अधिक सहभागी और बहुआयामी प्रयास बन कर उभर रही है। इस संदर्भ में लेटरल एंट्री निजी और गैर-लाभकारी क्षेत्र के हितधारकों को शासन प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान करती है।
- संगठन संस्कृति: लेटरल एंट्री से सरकारी क्षेत्र में अर्थव्यवस्था, दक्षता और प्रभावशीलता के मूल्यों में वृद्धि के साथ -साथ सरकारी क्षेत्र में प्रदर्शनकारी संस्कृति के निर्माण में मदद मिलेगी।
लेटरल एंट्री के विरोध में तर्क:
- प्रक्रिया की आवश्यकता: इस योजना की सफल बनाने के लिये सही लोगों का चयन इस तरह से करना होगा जो स्पष्ट रूप से पारदर्शी हो। यूपीएससी की संवैधानिक भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि यह चयन की पूरी प्रक्रिया को वैधता प्रदान करता है।
- संगठनात्मक मूल्यों में अंतर: सरकार और निजी क्षेत्र के बीच मूल्य प्रणाली काफी भिन्न हैं। यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण करना है कि आने वाले लोग पूरी तरह से अलग कार्यप्रणाली के साथ तालमेल बिठाने का कौशल रखने में सक्षम हों। ऐसा इसलिये है क्योंकि सरकार अपनी सीमाएँ अधिरोपित करती है।
- लाभ का उद्देश्य बनाम सार्वजनिक सेवा: सरकार का निजी क्षेत्र से संबंधित दृष्टिकोण लाभ आधारित है परंतु इसके अन्य उद्देश्य सार्वजनिक सेवाओं से संबंधित हैं। यह भी एक आधारभूत संक्रमणीय अवस्था है, जिसमें एक निजी क्षेत्र के व्यक्ति को सरकारी कार्य के दौरान रहना पड़ता है।
- आंतरिक प्रतिरोध: लेटरल एंट्री को सेवाकालीन सिविल सेवकों और उनके संघों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
- हितों के टकराव का मुद्दा: निजी क्षेत्र से आंदोलन संभावित हितों के टकराव के मुद्दों को उठाता है। इस मुद्दे के लिए निजी क्षेत्रों के प्रवेशकों के लिए कड़े आचार संहिता की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हितों का टकराव सार्वजनिक भलाई के लिए हानिकारक नहीं है।
- संकीर्ण दायरे: केवल शीर्ष स्तर पर नीति निर्माण पदों पर लेटरल एंट्री का क्षेत्र स्तर के कार्यान्वयन पर बहुत कम प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि केंद्र सरकार से ग्रामीण गाँव तक की कमान की शृंखला में कई लिंक दिये गए हैं।
- विशिष्ट मानदंडों का अभाव: विज्ञापन में निर्धारित मानदंड व्यापक-आधारित थे और इसलिए विज्ञापन किए गये क्षेत्रों में प्रतिष्ठित लोगों या क्षेत्र विशेषज्ञों को आकर्षित करने के लिये एक संकीर्ण गवाक्ष प्रदान करने में विफल रहे।
आगे की राह:
- उद्देश्य संबंधी मानदंड निर्धारित करना: प्रत्येक मंत्रालय में कई संयुक्त सचिव होते हैं जो विभिन्न विभागों को संभालते हैं। यदि पार्श्व प्रवेशकों को एक महत्त्वहीन पोर्टफोलियो सौंपा गया, तो संभावना है कि वे इससे प्रेरित नहीं होंगे।
- इस प्रकार कुशलता, गुण और एक विशेष भूमिका का लाभ उठाने के लिये निष्पक्ष रूप से निर्णय लिये जाने चाहिये।
- आयु संबंधी शर्तों में ढील: संयुक्त सचिव स्तर पर बाहर से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को आकर्षित करने के लिये लेटरल एंट्री संबंधी शर्तों को शिथिल करने की आवश्यकता है ताकि 35 वर्ष की आयु के व्यक्ति पात्र हो सकें।
- यदि अर्थशास्त्रियों की पिछली पीढ़ी में लेटरल एंट्री व्यवस्था को देखा जाए तो इसमें बहुत अधिक लचीलापन था।
- पारदर्शी प्रक्रिया की आवश्यकता: इस योजना की सफलता के लिये उचित तरीके से सही लोगों का चयन करने हेतु पारदर्शिता का होना आवश्यक है।
- संघ लोक सेवा आयोग की संवैधानिक भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिये क्योंकि यह चयन की पूरी प्रक्रिया को वैधता प्रदान करेगा।
- पार्श्व प्रवेशकों का प्रशिक्षण: निजी क्षेत्र से सिविल सेवाओं में प्रवेश करने वालों के लिये एक गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया जाना आवश्यक है जो उन्हें सरकार में काम की जटिल प्रकृति को समझने में मदद करेगा।
किसी भी क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा हेतु लेटरल एंट्री एक अच्छा उपाय है। लेकिन लेटरल एंट्री संबंधी शर्तों, नौकरी के असाइनमेंट, कर्मियों की संख्या और व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव हेतु एक कार्यबल के गठन के लिये प्रशिक्षण पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। इसके अलावा स्थायी प्रणाली में सुधार (विशेष रूप से इसका वरिष्ठता सिद्धांत) समग्र प्रशासनिक सुधारों हेतु एक आवश्यक शर्त है।