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12 Aug 2022
सामान्य अध्ययन पेपर 2
सामाजिक न्याय
दिवस 32: "आने वाले वर्षों में भारत की जनसंख्या में बुजुर्गों (वृद्धजन) की हिस्सेदारी बढ़ने का अनुमान है, जो भारत के लिये एक चिंता का विषय है।" इस संदर्भ में बुजुर्गों के सामने आने वाले चुनौतियों पर चर्चा कीजिये साथ ही आगे का रास्ता सुझाइये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में वृद्धावस्था और बुजुर्गों की स्थिति के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए अपना उत्तर समाप्त कीजिये।
उत्तर:
- आयु में वृद्धि एक सतत्, अपरिवर्तनीय, सार्वभौमिक प्रक्रिया है, जो गर्भाधान से शुरू होकर व्यक्ति की मृत्यु तक होती है।
- हालाँकि जिस आयु में किसी के उत्पादक योगदान में गिरावट आती है तथा वह आर्थिक रूप से निर्भर हो जाता है, उसे सामान्यत: जीवन के वृद्ध चरण की शुरुआत के रूप में माना जा सकता है।
- राष्ट्रीय बुजुर्ग नीति, 60+ आयु वर्ग के लोगों को बुजुर्ग के रूप में परिभाषित करती है।
- संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या आयु बढ़ने की रिपोर्ट में कहा गया है देश में कुल आबादी के प्रतिशत के रूप में बुजुर्गों की हिस्सेदारी वर्ष 2001 में लगभग 8 प्रतिशत थी, जो बढ़कर वर्ष 2026 तक लगभग 12.5 प्रतिशत हो जाएगी तथा वर्ष 2050 तक 20 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है।
बुजुर्गों या वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याएँ
- सामाजिक
- वर्तमान में पारंपरिक मूल्य व संस्थान रूपांतरण की प्रक्रिया में हैं, जिसके परिणामस्वरूप अंतर-पीढ़ी के संबंध कमज़ोर हो रहे हैं जो पारंपरिक परिवार की पहचान थे।
- औद्योगीकरण, शहरीकरण, तकनीकी और तकनीकी परिवर्तन, शिक्षा और वैश्वीकरण के प्रभाव में भारतीय समाज तेज़ी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है।
- बच्चों द्वारा अपने वृद्ध माता-पिता के प्रति लापरवाही।
- सेवानिवृत्ति के कारण निराशा।
- बुजुर्गों में शक्तिहीनता, अकेलापन, बेकार और अलगाव की भावना।
- पीढ़ीगत अंतराल।
- वित्तीय
- बुनियादी आवश्यकता के लिये वृद्धों की सेवानिवृत्ति और उनके बच्चे पर निर्भरता।
- उपचार पर बाह्य खर्च में अचानक वृद्धि।
- ग्रामीण क्षेत्र से युवा कामकाजी उम्र के व्यक्तियों के प्रवासन के कारण अकेले रहने या केवल जीवनसाथी के साथ वाले बुजुर्गों तथा या आमतौर पर गरीबी एवं संकट का सामना करने वाले लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- अपर्याप्त आवास सुविधा।
- महिलाओं की अधिक आयु प्रत्याशा:
- जनसंख्या में लोगों की सामान्य आयु के उभरते मुद्दों में से एक "महिलाओं की अधिक आयु प्रत्याशा" है, जिसके परिणामस्वरूप वृद्धावस्था के कुल प्रतिशत में महिलाओं का अनुपात पुरुषों की तुलना में अधिक होता है।
- वित्तीय सुरक्षा:
- भारत में विश्व स्तर पर सबसे कमज़ोर सामाजिक सुरक्षा तंत्र है क्योंकि यह अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 1% पेंशन पर खर्च करता है।
- अर्थव्यवस्था में बुजुर्गों का एकीकरण:
- वर्तमान वृद्ध व्यक्ति की विशिष्ट ज़रूरतों, प्रेरणाओं और वरीयताओं को पूरा करने तथा सक्रिय आयु को बढ़ावा देने के साथ उन्हें समाज में योगदान करने का मौका देने की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य देखभाल और सेवाएँ:
- स्वस्थ आयु में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये अच्छा स्वास्थ्य समाज के मूल में है। जैसे-जैसे भारत में वृद्ध लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ती है, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि लोग अधिक आयु तक जीवित रहें, स्वस्थ जीवन जिएँ, जो वृद्ध व्यक्तियों, उनके परिवारों और समाज के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण है।
आगे की राह:
- जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों को ध्यान में रखते हुए, भारत को अगले कुछ दशकों के लिये बुजुर्गों की प्राथमिकता वाले दृष्टिकोण के साथ अपनी संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल नीति पर फिर से विचार करना चाहिये।
- सरकार की भूमिका: भारत को अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल हेतु खर्च में वृद्धि करने के साथ चिकित्सा देखभाल सुविधाओं और घरेलू स्वास्थ्य देखभाल एवं पुनर्वास सेवाओं के निर्माण में भारी निवेश करने की आवश्यकता है।
- बुजुर्गों का सामाजिक-आर्थिक समावेश: यूरोप जैसे देशों में जहाँ बुजुर्गों की देखभाल करने और उन्हें स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएँ प्रदान करने के लिये एक छोटे समुदाय हैं, भारत दूर-दराज के क्षेत्रों में बुजुर्गों की मदद के लिये इस प्रकार की युवा सेना का निर्माण कर सकता है।
- वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण और देखभाल के लिये हमें पहले से मौजूद सामाजिक समर्थन प्रणालियों/पारंपरिक सामाजिक संस्थानों जैसे- परिवार तथा रिश्तेदारी, पड़ोसियों से बेहतर संबंध, सामुदायिक संबंध व सामुदायिक भागीदारी को पुनर्जीवित करने पर ध्यान देना चाहिये और परिवार के लोगों को बुजुर्गों के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिये।
- स्वास्थ्य संबंधी 'बुजुर्ग-प्रथम' दृष्टिकोण: कोविड-19 टीकाकरण रणनीति में, वरिष्ठ-पहले दृष्टिकोण के साथ 73% से अधिक बुजुर्ग आबादी को कम-से-कम टीकाकरण की एक खुराक प्रदान की गई और लगभग 40% को अक्टूबर 2021 तक दूसरा टीका लगाया गया।