दिवस 2: ब्रिटिश सरकार की नीतियाँ जैसे भारत सरकार अधिनियम 1935 और बाद के कुछ अधिनियमों ने भारत के विभाजन के लिये आग में ईंधन की तरह काम किया। क्या आप इससे सहमत हैं? (250 शब्द)
12 Jul 2022 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास
हल करने का दृष्टिकोण
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भारत में ब्रिटिश सरकार की नीतियाँ जैसे- भारत सरकार अधिनियम 1935, अगस्त प्रस्ताव, क्रिप्स मिशन और कैबिनेट मिशन आदि सभी में भारत के विभाजन की मांग निहित या स्पष्ट थी।
ये नीतियाँ मनोबल बढ़ाने वाली थीं जिसके कारण भारत का अविस्मरणीय और भीषण विभाजन हुआ।
अंग्रेज़ों की नीतियों के वे प्रावधान जिनका भारत के विभाजन में योगदान था:
भारत सरकार अधिनियम 1935: इसका उद्देश्य एक अखिल भारतीय संघ की स्थापना करना था जिसमें राज्यपालों का प्रांत और मुख्य आयुक्तों का प्रांत तथा भारतीय राज्य शामिल हो (जो एकजुट हो सकता है)।
इस अधिनियम ने न केवल विभाजन की संभावना का परिचय दिया बल्कि संघ के नाम पर भारत के बाल्कनीकरण का भी प्रयास किया जिसमें राज्यों को संघ में शामिल होने या बाहर निकलने की स्वतंत्रता थी।
अगस्त प्रस्ताव 1940: "अल्पसंख्यकों की सहमति के बिना भविष्य में कोई संविधान नहीं अपनाया जाएगा" जैसे प्रावधान ने मुस्लिम लीग को अल्पसंख्यकों के लिये अलग राज्य की अपनी मांग का प्रचार करने के लिये एक अनौपचारिक वीटो दिया था।
क्रिप्स मिशन 1942: क्रिप्स मिशन के प्रावधान कि "यदि कोई प्रांत संघ में शामिल होने के लिये तैयार नहीं है तो वह एक अलग संविधान बना सकता है और एक अलग संघ बना सकता है", ने भी भारत के कई संघों में विभाजन की संभावना की ओर इशारा किया।
कैबिनेट मिशन 1946: भारत को सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के तरीके और साधन खोजने के लिये बनाया गया।
हालाँकि मिशन ने जनसंख्या के विभाजन, भाषायी, प्रशासनिक-आर्थिक और सुरक्षा की दृष्टि से पाकिस्तान के निर्माण की मांग को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
लेकिन मिशन में कुछ प्रावधान जो स्पष्ट रूप से भारत के विभाजन और मुस्लिम बहुल राज्य पाकिस्तान के निर्माण की मांग का समर्थन करते हैं जैसे
वेवेल की "ब्रेकडाउन योजना": मई 1946 में वेवेल ने एक योजना प्रस्तुत की जिसमें ब्रिटिश सेना और अधिकारियों की उत्तर पश्चिम और उत्तर पूर्व के मुस्लिम प्रांतों में वापसी तथा शेष देश को कॉन्ग्रेस को सौंपने की परिकल्पना की गई थी।
माउंटबेटन की बाल्कन योजना: मई 1947 में इस योजना के तहत माउंटबेटन ने पंजाब, बंगाल के साथ अलग प्रांतों को सत्ता हस्तांतरण की परिकल्पना की, जिसमें उनके प्रांतों के विभाजन के लिये वोट देने का विकल्प दिया गया था।
माउंटबेटन योजना और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947: इन दो विकल्पों ने पाकिस्तान के निर्माण और भारत के अविस्मरणीय विभाजन को मूर्त रूप दिया।
हालाँकि अंग्रेज़ों ने भारत के विभाजन में योगदान दिया था, लेकिन सामाजिक-धार्मिक आंदोलन जैसे अन्य कारकों के साथ-साथ धार्मिक आधार पर राजनीतिक दलों के गठन एवं उस समय की अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीति ने भारत के विभाजन में समान रूप से योगदान दिया।