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  • 03 Sep 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधन

    दिवस 55: कृषि-पर्यटन को पर्यटन और कृषि का चौराहा माना जा सकता है। दिये गए कथन की व्याख्या कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण

    • कृषि पर्यटन का वर्णन कीजिये।
    • कृषि पर्यटन के क्षेत्र की विवेचना कीजिये।
    • कृषि पर्यटन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    संवहनीय व्यवसायों और विकास प्रतिमान में तीन कारक अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं—‘प्लेनेट’ यानी हमारी पृथ्वी, ‘पीपुल’ यानी लोग और ‘प्रॉफिट’ यानी कारोबारी मुनाफा। संवहनीयता के लिये कृषि और ग्रामीण पारितंत्र सेवाएँ, विशेष रूप से कृषि-पर्यटन (Agri-Tourism) अधिक मूल्यह्रास या मूल्य क्षरण के बिना ‘ग्रीनफील्ड’ (वाणिज्यिक विकास या दोहन के लिये अभी तक अप्रयुक्त या अविकसित स्थल/क्षेत्र) बनी हुई हैं।

    कृषि-पर्यटन को वाणिज्यिक उद्यम के एक प्रकार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो कृषि उत्पादन और/या प्रसंस्करण को पर्यटन के साथ जोड़ता है, जहाँ आगंतुकों को मनोरंजन देने और/या शिक्षित करने के उद्देश्य से एक फार्म, रैंच या अन्य कृषि व्यवसाय स्थलों की ओर आकर्षित किया जाता है और इस प्रकार आय का सृजन किया जाता है। कृषि-पर्यटन को पर्यटन और कृषि का चौराहा कहा जा सकता है।

    यह एक गैर-शहरी आतिथ्य उत्पाद (Non-Urban Hospitality Product) है जो प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के साथ कृषि जीवन शैली, संस्कृति और विरासत की पूर्ति करता है। कृषि-पर्यटन ने पर्यटन उद्योग में पर्याप्त आकर्षण प्राप्त किया है

    कृषि-पर्यटन उद्योग का विकास दर परिदृश्य

    • कृषि-पर्यटन पर्यटन उद्योग का एक अलग और उभरता हुआ बाज़ार खंड है। वर्ष 2019 में वैश्विक स्तर पर कृषि-पर्यटन बाज़ार का मूल्य46 बिलियन डॉलर था और वर्ष 2020-27 के बीच 13.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ वर्ष 2027 तक इसके 62.98 बिलियन डॉलर तक पहुँच जाने की उम्मीद है।
    • भारत में कृषि-पर्यटन की नींव सर्वप्रथम महाराष्ट्र के बारामती में स्थित कृषि पर्यटन विकास निगम (Agri Tourism Development Corporation- ATDC) एटीडीसी) के गठन के साथ पड़ी थी।
      • ATDC की स्थापना वर्ष 2004 में कृषक समुदाय के एक उद्यमी पांडुरंग तवारे ने की थी।
    • वर्तमान में कृषि-पर्यटन से भारत का राजस्व 20% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है।

    कृषि-पर्यटन का महत्त्व क्यों बढ़ रहा है?

    • पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन: जलवायु परिवर्तन की तेज़ गति और पर्यटन प्रेरित प्रदूषण स्तर एवं ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन के परिणामस्वरूप पर्यटन आकर्षण के रूप में प्राकृतिक एवं ग्रामीण स्थलों की मांग बढ़ रही है और यह कृषि-पर्यटन जैसे पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन अनुभवों को मुख्यधारा व्यवसाय बना सकता है।
    • ग्रामीण ‘पतन’ को संबोधित करने की क्षमता: बढ़ती हुई इनपुट लागत, अस्थिर रिटर्न, जलवायु प्रतिकूलता, भूमि विखंडन आदि के कारण भारतीय कृषि तनाव में है।
      • यद्यपि यह अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है, किसान वैकल्पिक आजीविका और आय विविधीकरण की तलाश में अन्य उद्योगों की ओर पलायन कर रहे हैं।
      • कृषि-पर्यटन ग्रामीण पतन के ‘होलोइंग आउट इफ़ेक्ट’ (Hollowing Out Effect) को दूर कर सकता है और कृषि एवं पारिस्थितिकी तंत्र आधारित सेवाओं में किसानों के भरोसे को पुनर्बहाल कर सकता है।
    • किसानों को कई गुना लाभ: कृषि-पर्यटन किसानों के आय समर्थन में मदद करता है।
      • यह कृषि के प्रति किसानों के दृष्टिकोण या प्राथमिकताओं को बदलने के लिये एक प्रोत्साहक और एक अवरोधक दोनों के ही रूप में कार्य करता है।
      • यह किसानों को उस भूमि का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करता है जिसे अन्यथा परती या बंजर छोड़ दिया जाएगा।
        • इसके विपरीत, यह कृषि-पर्यटन में लगे किसान को उपलब्ध कृषि भूमि के एक हिस्से पर खेती करने से रोकता भी है और खेती के बजाय इसका उपयोग पर्यटन गतिविधियों के लिये करने हेतु प्रोत्साहित करता है।
    • समुदायों के लिये लाभ: सामुदायिक दृष्टिकोण से कृषि पर्यटन निम्नलिखित विषयों में एक साधन की तरह कार्य कर सकता है:
      • पर्यटकों के माध्यम से स्थानीय व्यवसायों और सेवाओं के लिये अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करना
      • निवासियों और आगंतुकों के लिये सामुदायिक सुविधाओं का उन्नयन/पुनरुद्धार करना
      • पर्यटकों और निवासियों के लिये ग्रामीण भूदृश्य और प्राकृतिक वातावरण की सुरक्षा बढ़ाना
      • स्थानीय परंपराओं, कला और शिल्प को संरक्षित एवं पुनर्जीवित करने में मदद करना
      • अंतर-क्षेत्रीय, अंतर-सांस्कृतिक संचार और समझ को बढ़ावा देना।
      • पर्यटन संचालकों के लिये लाभ: पर्यटन उद्योग के दृष्टिकोण से कृषि पर्यटन निम्नलिखित रूप में में योगदान कर सकता है:
      • आगंतुकों के लिये उपलब्ध पर्यटन उत्पादों और सेवाओं के मिश्रण में विविधता लाना
      • आकर्षक ग्रामीण क्षेत्रों की ओर पर्यटन प्रवाह की वृद्धि करना
      • परंपरागत रूप से ऑफ-पीक व्यावसायिक अवधि के दौरान पर्यटन मौसम का विस्तार करना
      • प्रमुख पर्यटन बाज़ारों में ग्रामीण क्षेत्रों की विशिष्ट स्थिति का निर्माण
      • स्थानीय व्यवसायों के लिये अधिकाधिक बाह्य मुद्राओं का प्रवेश।
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