भारत-विश्व
इंडियाज़ वर्ल्ड : भारत-दक्षिण अफ्रीका के बीच नए संबंध
- 06 Feb 2019
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संदर्भ
भारत और दक्षिण अफ्रीका ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के बीच वार्ता के बाद कई प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये तीन वर्षीय रणनीतिक कार्यक्रम पर मुहर लगाई।
- मीडिया के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के उद्देश्य से द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की।
- रामफोसा ने कहा कि उनका देश तीन वर्षीय रणनीतिक विनिमय कार्यक्रम (Three Years Strategic Exchange Programme) के कार्यान्वयन के माध्यम से भारत के साथ "परिणाम उन्मुख" साझेदारी चाहता था।
- रणनीतिक कार्यक्रम सुरक्षा, व्यापार तथा निवेश, नीली अर्थव्यवस्था, पर्यटन, आईटी और कृषि सहित कई क्षेत्रों में सहयोग करेगा।
- रामफोसा गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि थे। यह एक साल के भीतर पीएम मोदी और राष्ट्रपति रामफोसा के बीच चौथी मुलाकात थी।
पृष्ठभूमि
- ऐतिहासिक रूप से भारत और अफ्रीका के बीच घनिष्ठ राजनीतिक-सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। हालाँकि, भारत द्वारा अफगानिस्तान के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने पर गंभीरता से प्रयास 1990 के दशक में शुरू किया गया।
- 2008 में इंडिया-अफ्रीका फोरम समिट के गठन के साथ यह बात स्पष्ट हो गई कि तेज़ी से बदलती क्षेत्रीय और वैश्विक आर्थिक, सुरक्षा एवं अन्य आपसी हितों की वज़ह से दोनों पक्ष आपसी संबंधों को एक नई दिशा देना चाहते हैं।
- भारत में जब अक्तूबर 2015 में तीसरे इंडिया-अफ्रीका फोरम समिट की बैठक हुई, तब इसमें पहली बार अफ्रीका के 40 देशों और सरकार के प्रमुखों ने भाग लिया।
- लगभग 1.5 मिलियन भारतीय मूल के लोग दक्षिण अफ्रीका में रहते हैं और वे दोनों देशों के बीच एक चिरस्थायी कड़ी बने हुए हैं। 150 से अधिक भारतीय कंपनियों ने दक्षिण अफ्रीका में निवेश किया है तथा 20,000 से अधिक स्थानीय लोगों को रोज़गार दिया है।
दक्षिण अफ़्रीकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के मायने
- प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही राष्ट्रपति रामफोसा ने 25 जनवरी, 2019 को भारत-दक्षिण अफ्रीका व्यापार मंच को संबोधित किया, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ाना था।
- दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने IBSA मंच (India-South Africa Business Forum) की 15वीं वर्षगाँठ के अवसर पर IBSA की रूपरेखा के तहत भारतीय विश्व मामले परिषद (Indian Council of World Affairs) द्वारा आयोजित ‘गांधी-मंडेला स्वतंत्रता व्याख्यान’ (Gandhi-Mandela Freedom Lecture) को भी संबोधित किया।
- राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और नरेंद्र मोदी के बीच हुई वार्ता में कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। इसके तहत रक्षा, समुद्री सुरक्षा, व्यापार और निवेश संबंधी कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए।
- भारत, दक्षिण अफ्रीका के शीर्ष पाँच व्यापारिक साझेदारों में से एक है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2017-18 के 9.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 10.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
- दोनों देशों के बीच व्यावसायिक प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण आदि क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग है। दोनों देश वैश्विक मुद्दों पर समान दृष्टिकोण रखते हैं और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों UN, BRICS, G-20, कॉमन वेल्थ, IORA और IBSA में सहयोग करते हैं।
- निश्चित रूप से आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र भारत-अफ्रीका के मज़बूत संबंध का एक प्रमुख आधार रहा है।
- भारत और अफ्रीका के बीच व्यापार 71 मिलियन डॉलर से ज़्यादा पहुँचने के साथ, दोनों पक्षों ने आपसी व्यापार को 2020 तक 500 मिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। भारत अफ्रीका में निवेश करनेवाला भारत पाँचवा सबसे बड़ा देश है।
द्विपक्षीय संबंध
- दक्षिण अफ्रीका में 1994 में रंगभेद समाप्त होने के बाद भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच द्विपक्षीय और राजनयिक संबंधों का महत्व काफी बढ़ गया है।
- रंगभेद आंदोलन के प्रणेता दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला को क्रमशः 1990 और 2000 में भारत रत्न और महात्मा गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- दोनों देशों का खेल के क्षेत्र में समान रुख है तथा खेल संबंधों को बढ़ावा दिया जाता रहा है। भारतीय क्रिकेट टीम और दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम अक्सर किसी भी देश द्वारा आयोजित टूर्नामेंटों में भाग लेती हैं।
- दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मार्च 1997 में लाल किला घोषणा के माध्यम से स्थापित किया गया था और अक्तूबर 2006 में तशवेन घोषणा (tshwane declaration) में इसकी पुन: पुष्टि की गई। यह एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में प्रतिष्ठित है जिसने अतीत में दक्षिण अफ्रीका और भारत को राष्ट्रीय पहचान प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- घोषणा में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु दोनों देशों द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
भारत के लिये दक्षिण अफ्रीका का महत्त्व
- भारत के साथ निकटता के कारण दक्षिण अफ्रीका भारत की सुरक्षा, विशेषकर हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका क्षेत्र के लिये महत्त्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में कट्टरता, पाइरेसी, संगठित अपराध का खतरा हमेशा बना रहता है।
- अफ्रीका हमारे ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने में हमारी मदद कर सकता है, जो हमारी एकीकृत ऊर्जा नीति के घोषित उद्देश्यों में से एक है।
- अफ्रीका में सोने और हीरे सहित मूल्यवान खनिजों, धातुओं का समृद्ध भंडार भी है। अफ्रीका भारतीय निवेश के लिये बेहतर स्थान प्रदान करता है।
- अफ्रीका भारत की सॉफ्ट और हार्ड पावर दोनों को प्रदर्शित करने हेतु इसे स्थान प्रदान करता है।
- यूनाइटेड नेशन पीस कीपिंग ऑपरेशन के माध्यम से अफ्रीकी देशों की शांति और स्थिरता में भारत सक्रिय रूप से शामिल रहा है।
व्यापारिक संबंध
- दोनों देशों के बीच व्यापार विकास की काफी संभावनाएँ हैं, जिनमें वाहन तथा इसके घटक, परिवहन उपकरण, ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान, जूते, डाई, रसायन, वस्त्र, चावल और रत्न एवं आभूषण, आदि शामिल हैं।
- दक्षिण अफ्रीका से भारत सोना, भाप कोयला (steam coal), तांबा अयस्क, फॉस्फोरिक एसिड, मैंगनीज़ अयस्क, एल्युमीनियम इग्नोट तथा अन्य खनिजों का आयात करता है।
- दशकों से टाटा (ऑटोमोबाइल, आईटी, हॉस्पिटैलिटी तथा फेरोक्रोम प्लांट), यूबी ग्रुप (होटल, पेय), महिंद्रा (ऑटोमोबाइल) और कई भारतीय दवा कंपनियों- रैनबैक्सी, सिप्ला, आदि द्वारा यहाँ निवेश किया गया है साथ ही आईटी कंपनियों ने दक्षिण अफ्रीका को अपना पसंदीदा गंतव्य माना है।
- भारत-SACU (Southern African Custom Union) व्यापार समझौता प्रक्रिया के तहत 2010 से अब तक पाँच दौर की वार्ता हो चुकी है।
- भारत वर्षों से ACSA (मुंबई हवाई अड्डे का उन्नयन), SAB मिलर (पेय पदार्थ), SANLAM और ओल्ड म्युचुअल (बीमा), ALTECH (सेट टॉप बॉक्स), Adcock Ingram (फार्मास्यूटिकल्स), रैंड मर्चेंट बैंक (बैंकिंग) के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीकी निवेश भी बढ़ा रहा है।
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, एक्जिम बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सहित भारतीय वाणिज्यिक बैंकों की उपस्थिति ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच स्वस्थ संपर्क बनाने में भी मदद की है।
आगे की राह
- अफ्रीका को यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के बढ़ते संरक्षणवाद पर विचार करते हुए भारत के साथ निर्यात पर ध्यान देना चाहिये।
- रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल से उम्मीद की जा सकती है क्योंकि अफगानिस्तान को रक्षा उपकरणों की अधिक आवश्यकता है और दोनों देश IOR में प्रमुख सुरक्षा प्रदाता हो सकते हैं।
- हमें प्रवासी और ऐतिहासिक आउटरीच से परे भी देखना चाहिये और भविष्य के दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। इस दृष्टिकोण को चाइनीज़ लेंस से नहीं देखा जाना चाहिये।
- भारत की अफ्रीका रणनीति स्पष्ट होती जा रही है, इसे प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किये जाने की ज़रूरत है।
- भारत अफ्रीका नई रणनीतिक साझेदारी का उद्देश्य भारत का अफ्रीका के साथ कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, शिक्षा तथा कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल, सूचना प्रौद्योगिकी, आईटी सक्षम सेवा क्षेत्रों में दक्षिण-दक्षिण सहयोग तथा व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना है।
निष्कर्ष
भारत और दक्षिण अफ्रीका के पास अफ्रीकी महाद्वीप में अपनी मज़बूत उपस्थिति बढ़ाने के अपार अवसर हैं। इस प्रकार दोनों देश अधिक-से-अधिक लाभ उठा सकते हैं जिससे सभी अफ्रीकी देशों को भी लाभ होगा।
यदि दक्षिण अफ्रीका के साथ भारत अपनी गतिशीलता बनाए रखता है तो उसे ब्रिक्स देशों के बीच एक मज़बूत लीडर के रूप में खुद को स्थापित करने का यह बेहतर अवसर है। दक्षिण अफ्रीका के साथ द्विपक्षीय संबंधों के अलावा, भारत को IBSA (भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका) और IORA (इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन) जैसे समूहों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिये जो भारत को अफ्रीकी महाद्वीप के तटीय देशों में मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराने में मदद करेंगे।