विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
व्योममित्र
- 28 Jan 2020
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संदर्भ:
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (Indian Space and Reaserch Oganisation- ISRO) ने मानवयुक्त गगनयान मिशन हेतु एक अर्द्ध-मानवीय (Half-Humanoid) रोबोट ‘व्योममित्र’ को लॉन्च किया है। 22 जनवरी को बंगलूरू में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (IAA) और एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (ASI) के पहले सम्मलेन में इसरो द्वारा निर्मित इस अर्द्ध-मानवीय महिला रोबोट ने अपना परिचय दिया। ज्ञातव्य है कि यह सम्मलेन 24 जनवरी को संपन्न हुआ, जिसका विषय ‘मानवयुक्त अंतरिक्षयान एवं खोज: वर्तमान चुनौतियाँ तथा भविष्य के घटनाक्रम’ (Human Spaceflight and Exploration – Present Challenges and Future Trends) था।
दिसंबर 2021 के अपने बहुप्रत्याशित कार्यक्रम ‘गगनयान मिशन’ से पहले इसरो प्रायोगिक रूप से दो मानवरहित गगनयान अंतरिक्ष में भेजेगा। इसरो इन दो मानवरहित कार्यक्रमों में चालक दल के सदस्यों के स्थान पर अर्द्ध-मानव (Half-Humanoid) व्योममित्र को अंतरिक्ष में भेजेगा। यह महिला रोबोट अंतरिक्ष में इंसानों की तरह काम करेगी और जीवन प्रणाली की संरचना पर नज़र रखेगी।
व्योममित्र
- ‘व्योममित्र’ शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों ‘व्योम’ और ‘मित्र’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ क्रमश: अंतरिक्ष एवं मित्र है।
- इसरो द्वारा विकसित अर्द्ध-मानव (Half-Humanoid) का यह प्रोटोटाइप (Prototype) एक महिला रोबोट है।
- इसे हाफ-ह्यूमनॉइड (Half-Humanoid) इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि इसके पैर नहीं हैं, यह सिर्फ आगे (Forward) और अगल-बगल (Sides) में झुक सकती है।
- व्योममित्र रोबोट को मानवीय गतिविधियों को समझने और उन पर प्रतिक्रिया देने के लिये सेंसर, कैमरा, स्पीकर, माइक्रोफोन और एक्चुएटर्स जैसी तकनीकी से सुसज्जित किया गया है।
- व्योममित्र के कैमरा, स्पीकर और माइक्रोफोन रोबोट में लगे सेंसर से नियंत्रित होते हैं।
- एक्चुएटर एक तरह की मोटर होती है, जो रोबोट को झुकने, हाथ व उँगलियों को चलाने में मदद करती है।
- सेंसर, कैमरा और माइक्रोफोन इस रोबोट को मानवीय गतिविधियों तथा अपने आस-पास के वातावरण को समझने में मदद करते हैं।
- व्योममित्र इन यंत्रों से प्राप्त सूचनाओं का आकलन/अध्ययन करने तथा तत्पश्चात् इन सूचनाओं पर अपने स्पीकर और एक्चुएटर्स के माध्यम से बहुत ही कम समय में सटीक प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।
ह्यूमनॉइड (Humanoid) मनुष्य की तरह दिखने वाला (मानव सदृश) एक रोबोट होता है, जिसमें इंसान की तरह ही चलने-फिरने के साथ मानवीय हाव-भाव समझने की क्षमता होती है।
- सामान्यतया एक ह्यूमनॉइड में मानव की तरह ही एक सिर, धड़ और हाथ-पैर होते हैं।
- यह इंसानों की तरह चलने-फिरने के साथ ही अन्य कई मानवीय गतिविधियों को सफलतापूर्वक दोहरा सकता है।
- ये रोबोट निर्माता द्वारा प्रदत्त जानकारी के आधार पर प्रश्नों के जवाब दे सकते हैं परंतु इनके पास स्वयं निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती है।
- ये रोबोट कृत्रिम बुद्धिमत्ता, एल्गोरिदम डिज़ाइन से लैस होते हैं।
- ह्यूमनॉइड बनाने के लिये मानव शरीर की संरचना और व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
- ये ह्यूमनॉइड हार्डवेयर, बायोमेकैनिक्स और सॉफ्टवेयर के तालमेल से काम करते हैं।
अंतरिक्ष अभियान में व्योममित्र की उपयोगिता:
इसरो की योजना के अनुसार, दिसंबर 2021 के ऐतिहासिक ‘गगनयान’ अभियान से पहले दो प्रायोगिक प्रक्षेपण किये जाएंगे। इन प्रक्षेपणों के माध्यम से मुख्य अभियान की सभी गतिविधियों, अभियान में शामिल व्यक्तियों और उपकरणों पर अंतरिक्ष के प्रभाव के आँकड़े जुटाए जाएंगे।
अंतरिक्ष अभियान के दौरान लगभग सभी कार्य क्रू-मॉड्यूल (Crew Module) के अंदर ही होते हैं और अधिकतर गतिविधियों में पैरों की आवश्यकता नहीं होती है, इसीलिये इस रोबोट को अर्द्ध-मानव (Half-Humanoid) की तरह बनाया गया है
- ‘व्योममित्र’ अभियान के दौरान अंतरिक्षयान के अंदर निम्नलिखित गतिविधियाँ करने में सक्षम है:
- व्योममित्र अपने अभियान के दौरान अंतरिक्ष के वातावरण और गगनयान के यंत्रों की निगरानी करेगी तथा इससे संबंधित सटीक जानकारी नियंत्रण केंद्र से साझा करेगी।
- व्योममित्र लोगों से बात कर सकती है और उन्हें पहचान भी सकती है अर्थात अभियान के दौरान यह अंतरिक्ष यात्रियों को पहचानने, उनसे बात करने के साथ ही उनके प्रश्नों के उत्तर दे सकती है।
- यह महिला रोबोट अभियान के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की तरह उनके कामकाज जैसे- पैनल ऑपरेशन, स्विच ऑपरेशन, क्रू-मॉड्यूल पैरामीटर्स, चेतावनी देने और पर्यावरण नियंत्रण तथा जीवन रक्षक प्रणाली (Environmental Control and Life Support System-ECLSS) से संबंधित गतिविधियाँ आदि की नकल कर सकती है।
- इसके अतिरिक्त यह रोबोट वायुमंडलीय दबाव, ऑक्सीजन की जाँच करना और कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) सिलेंडर बदलने से लेकर विषम परिस्थितियों में आपातकालीन प्रक्रियाओं का पालन कर अभियान को सुरक्षित रोकने में भी सक्षम है।
- यह रोबोट अंतरिक्ष में विकिरण के उच्च स्तर या अधिक तापमान वाले असामान्य वातावरण में भी कार्य करने और बिना थके लगातार अनुसंधान करने में सक्षम है।
- यह अंतरिक्ष में कुछ परीक्षण करेगी और इसरो के नियंत्रण कक्ष से लगातार संपर्क में रहेगी।
गगनयान अभियान में व्योममित्र की उपयोगिता
गगनयान अभियान के लिये महिला रोबोट ‘व्योममित्र’ की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इसरो के निदेशक के अनुसार, गगनयान अभियान का उद्देश्य अंतरिक्ष में भारत का पहला मानवयान भेजना ही नहीं बल्कि निरंतर मानव गतिविधियों के लिये एक नया अंतरिक्ष केंद्र स्थापित करना भी है।
गगनयान अभियान के लिये अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने महत्त्वपूर्ण प्रोद्योगिकी विकसित कर ली है।
इसमें निचली कक्षा में 10 टन भार क्षमता वाला संचालनात्मक प्रक्षेपक (Launcher) का विकास भी शामिल है। इस योजना के अंतर्गत इसरो द्वारा मानव जीवन विज्ञान और जीवन रक्षा प्रणाली (Life Support System) जैसी तकनीकों का विकास भी किया जा रहा है।
इसरो ने गगनयान अभियान के लिये कई राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं (जैसे- DRDO और CSIR आदि), विभिन्न अकादमिक संस्थाओं और भारतीय वायुसेना को पक्षकार बनाया है। वायुसेना के टेस्ट पायलटों में से अंतरिक्ष यात्रियों का चयन भी कर लिया गया है, वे रूस में इस महीने के आखिर में प्रशिक्षण शुरू करेंगे। गगनयान अभियान पर 10 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होंगे, अभियान के निर्धारित लक्ष्यों के तहत भारत अपने कम-से-कम तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 5-7 दिनों के लिये अंतरिक्ष में भेजेगा जहाँ वे अलग-अलग माइक्रो ग्रैविटी टेस्ट को अंजाम देंगे।
गगनयान मिशन
- गगनयान का प्रक्षेपण इसरो के सबसे शक्तिशाली राॅकेट GSLV Mark-III द्वारा किया जायेगा, यह अंतरिक्षयान तीन यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है।
- इस योजना के तहत एक नियोजित अंतरिक्षयान को अपग्रेड किये गए संस्करण की डाॅकिंग क्षमता से लैस किया जाएगा।
- अपने पहले मानवयुक्त अभियान में गगनयान में 3.7 टन के कैप्सूल में तीन लोगों के दल को ले जाने की क्षमता होगी।
- इस अभियान में यान 7 दिनों के लिये 400 किमी. की ऊँचाई पर अंतरिक्ष में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।
- अंतरिक्ष कैप्सूल में जीवन नियंत्रण और पर्यावरण नियंत्रण जैसी प्रणालियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- इसरो के बंगलूरू स्थित ट्रेकिंग कमांड सेंटर से गगनयान की 24 घंटे निगरानी की जाएगी।
- इसरो के अनुसार, गगनयान रूस, चीन और नासा के ओरियन यान और अपोलो कैप्सूल से छोटा परंतु अमेरिका के जैमिनी यान से थोड़ा बड़ा होगा।
- इस अभियान से जुड़ी ज़रूरी महत्त्वपूर्ण तकनीकों का विकास हो चुका है।
- भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को व्योमनॉट्स नाम देने की योजना बना रहा है।
- इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना की एक और खास बात यह है कि इस पूरे अभियान की कमान एक महिला के हाथ में होगी, इसरो के इस अभियान का नेतृत्व वैज्ञानिक वी.आर. ललिताम्बिका (V.R. Lalithambika) करेंगी।
- भारत के पहले मानवीय अंतरिक्ष मिशन के लिये इसरो के वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं, इसरो निदेशक के. शिवन के अनुसार, गगनयान मिशन चुनौतीपूर्ण है लेकिन इसरो इस लक्ष्य को भी हासिल करने की क्षमता रखता है।
- गगनयान से जुड़े शुरुआती अध्ययन और तकनीकी के विकास का काम वर्ष 2006 में ही ऑर्बिटल विकल (Orbital Vikal) नाम से शुरू हो गया था।
- इसके डिज़ाइन को मार्च 2008 में पूरा कर भारत सरकार के पास फंडिंग के लिये पेश किया गया था।
अन्य देशों में ह्यूमनॉइड (Humanoid) का प्रयोग:
अंतरिक्ष अभियानों में पहले ह्यूमनॉइड रोबोट का इस्तेमाल केवल अनुसंधानों के लिये किया जाता था परंतु पिछले कुछ समय से इन्हें इंसानों के सहायक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
अब तक कई देशों ने ह्यूमनॉइड बनाएं हैं:
- अगस्त 2019 में रूस ने मानवरहित राकेट के माध्यम से रोबोट फेडोर को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा था।
- फेडोर ने रूसी अंतरिक्ष यात्रियों की मदद की थी, इस रोबोट की लंबाई 5 फीट 11 इंच और वज़न 160 किग्रा. था।
- वर्ष 2018 में साइमन (Cimon) नामक एक रोबोट को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा गया था यह रोबोट अमेरिकी कंपनी एयरबस द्वारा बनाया गया था।
- इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने वर्ष 2011 में रोबोनाॅट-2 को अंतरिक्ष में भेजा था।
- वर्ष 2013 में जापान ने किरोबो (Kirobo) नामक एक छोटे रोबोट को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजा था, 13 इंच के इस रोबोट को अंतरिक्ष यात्री कोचि वकाटा (Koichi Wakata) के सहयोगी के रूप में अंतरिक्ष में भेजा गया था।
निष्कर्ष: इसरो ने वर्ष 1969 में अपनी स्थापना के बाद से ही अपने हर प्रयास के साथ सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और रोबोटिक्स में भी पिछले कुछ वर्षों में इसरो ने कई सफल परिणाम दिये हैं। व्योममित्र की अंतरिक्ष में मनुष्यों की तरह परिस्थितियों को समझने और कार्य करने की क्षमता मानवीय मिशन से पहले के प्रयोगों के लिये महत्त्वपूर्ण साबित होगी। मानव मिशन के दौरान भी यह चालक दल के सदस्यों के लिये एक सहयात्री के रूप में मददगार साबित हो सकती है। इस तकनीकी के सफल प्रयोग से न सिर्फ भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में शीर्ष के देशों की सूची में शामिल होगा बल्कि यह उपलब्धि इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धा में भारत को एक मज़बूत बढ़त प्रदान करेगी।
अभ्यास प्रश्न: अंतरिक्ष मिशनों में ह्यूमनॉइड के प्रयोग के लाभ एवं प्रस्तुत चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।