मलेशिया और तुर्की के सन्दर्भ में भारतीय व्यापार कूटनीति | 06 Feb 2020

संदर्भ

हाल ही में भारत ने मलेशिया और तुर्की से आयात होने वाले कई उत्पादों में भारी कटौती करने के संकेत दिये हैं। इसके तहत भारत ने मलेशिया से आयातित ताड़ (Palm) उत्पादों पर आयात शुल्क/कर को बढ़ाते हुए, वहाँ से आयात होने वाली कई अन्य वस्तुओं जैसे- माइक्रोप्रोसेसर, एल्युमिनियम,पेट्रोलियम आदि पर भी कुछ सीमा तक प्रतिबंध लगाने के संकेत दिये हैं। इसके साथ ही भारत, तुर्की से होने वाले तेल और स्टील उत्पादों के आयात पर भी सख्ती करने की तैयारी कर रहा है। ध्यातव्य है कि पिछले दिनों तुर्की और मलेशिया ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए भारत का विरोध किया था। भारत ने इसकी आलोचना करते हुए दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बयानों को ‘तथ्यों के आधार पर गलत’ बताते हुए उन्हें भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का सुझाव दिया था।

भारत और मलेशिया:

  • ऐतिहासिक रूप से भारत और मलेशिया के संबंधों में कोई तनाव नहीं रहा है बल्कि मलेशिया, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership-RCEP) समूह के उन देशों में शामिल है जिनसे भारत के बहुत अच्छे संबंध रहे हैं।
  • भारत अपनी “एक्ट ईस्ट नीति (Act East Policy)” के तहत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से संबंधों को और बेहतर बनाने के लिये प्रयासरत रहा है। भारत और मलेशिया के बीच वार्षिक व्यापार लगभग 16 बिलियन अमेरिकी डालर का है, भारत प्रतिवर्ष लगभग 6.4 बिलियन डालर के उत्पाद मलेशिया को निर्यात करता है।
  • जबकि भारत में मलेशिया से आयातित उत्पादों की कीमत लगभग 10.8 बिलियन डालर है, मलेशिया से आयातित उत्पादों में एक बड़ा हिस्सा ताड़ (Palm) के तेल का है।
  • ताड़ (Palm) उत्पादन में मलेशिया विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है, विश्व के कुल ताड़ (Palm) उत्पादन का 85% हिस्सा मात्र दो देशों मलेशिया और इंडोनेशिया से आता है।

भारत के लिये पाम तेल का महत्त्व:

  • देश में पिछले कुछ वर्षों में खाद्य तेल (Edible Oil) की मांग में काफी वृद्धि देखी गई है और वर्तमान में भारत अपनी कुल ज़रूरत का 70% खाद्य तेल (Edible Oil) अन्य देशों से आयात करता है। गौरतलब है कि वर्ष 2001-02 में यह आयात कुल मांग का 44% ही था।
  • पाम तेल प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाला सबसे सस्ते खाद्य तेलों में से एक है और यह अधिक तापमान पर भी स्थिर रहता है जिसके कारण इसे कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इसके साथ ही भारत में प्रयोग होने वाले कुल खाद्य तेल में दो-तिहाई (2/3) हिस्सा पाम तेल का है।
  • भारत और मलेशिया के बीच फरवरी 2011 में हुए द्विपक्षीय व्यापारिक समझौते (Malaysia-India Comprehensive Economic Cooperation Agreement-MICECA) के तहत भारत को दिसंबर 2019 तक कच्चे पाम तेल (Crude Palm Oil-CPO) पर निर्यात शुल्क को 40% से घटाकर 37.5% और दिसंबर 2018 तक परिशोधित (Refined, Bleached and Deodorized-RBD) पाम तेल पर निर्यात शुल्क को 54% से घटाकर 45% करना था।
  • इस समझौते के अंतर्गत वर्ष 2018 में मलेशिया में उत्पादित कुल पाम तेल का 25.8% भारत को निर्यात किया गया।
  • भारत में तेल परिशोधकों के समूह का नेतृत्व करने वाली संस्था साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Solvent Extractor's Association of India-SEA), स्थानीय उद्योगों के हितों की रक्षा के लिये लंबे समय से कच्चे पाम तेल के आयात पर सख्ती की मांग करता रहा है।
  • सितंबर 2019 में भारत सरकार ने स्थानीय उद्योगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मलेशिया से आयातित पाम तेल पर 5% सेफगार्ड ड्यूटी लगाई थी।

भारत और मलेशिया के बीच तनाव के कारण:

  • मलेशिया लगातार भारत के कई आतंरिक मुद्दों जैसे-अनुच्छेद 370 और नागरिक संशोधन विधेयक आदि का विरोध करता रहा है, इसके साथ ही कई वैश्विक मैचों (जैसे-संयुक्त राष्ट्र महासभा) पर भी मलेशिया ने इन मुद्दों को लेकर पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए भारत के खिलाफ वक्तव्य दिए।
  • साथ ही भारत के अनुरोध के बाद भी मलेशिया ने इस्लामी धर्मोपदेशक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण मामले में कोई सहयोग नहीं किया। ध्यातव्य है कि जाकिर नाइक पर भारत में आर्थिक गड़बड़ी के साथ कई अन्य गंभीर मामले दर्ज़ हैं।
  • विशेषज्ञों के अनुसार मलेशिया के प्रधानमंत्री का यह व्यवहार राजनीति से प्रेरित है। इसके साथ ही इन बयानों से उनका उद्देश्य स्थानीय इस्लामिक दलों का समर्थन जीतना और विश्व के अन्य मुस्लिम देशों के बीच एक मज़बूत ‘इस्लाम समर्थक’ नेता के रूप अपनी छवि बनाना है।

भारत की प्रतिक्रिया:

  • भारत ने मलेशिया से आने वाले पाम तेल पर आयात शुल्क को 37% से बढ़ाकर 44% कर दिया है।
  • सरकार द्वारा ‘इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology)’ को आयातित माइक्रोप्रोसेसर के लिये तकनीकी मानक (Technical Standards) जारी करने तथा मलेशिया जैसे देशों से माइक्रोप्रोसेसर के अप्रतिबंधित आयात पर अंकुश लगाने के निर्देश दिये गए।
  • भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया के तहत सीमा शुल्क विभाग (Customs Department) को मलेशिया से आयात होने वाले माइक्रोप्रोसेसर की गहन जाँच करने के निर्देश दिये हैं।
  • इसी के तहत खनन सचिव को एक आयात निगरानी प्रणाली (Import Monitoring System) का गठन करने के लिए कहा गया हैं, इसका उद्देश्य उन उत्पादों के आयात पर रोक लगाना है जिनसे भारत के घरेलू उद्योगों को हानि हो रही हो।
  • इसके साथ ही भारत, मलेशिया से आने वाले कई अन्य उत्पादों जैसे-एल्युलुमिनियम, पेट्रोलियम, एल.एन.जी आदि के आय़ात संबंधी नियमों को सख्त बनाने पर विचार कर रहा है।

भारत और तुर्की:

  • तुर्की और पाकिस्तान के ऐतिहासिक संबंधों के बावजूद भारत सदैव सकारात्मक व्यापारिक संबंधों और अन्य क्षेत्रों में भी आपसी सहयोग का पक्षधर रहा है। गौरतलब है कि तुर्की और पाकिस्तान, सेंटो (The Central Treaty Organization-CENTO) के सदस्य रहे हैं, इसके अतिरिक्त दोनों देश संयुक्त सैन्य और नौसैनिक अभ्यास जैसी कई अन्य गतिविधियों का हिस्सा हैं।
  • भारत और तुर्की अंतर्राष्ट्रीय समूह G20 का हिस्सा हैं, इसके साथ ही भारत और तुर्की के बीच प्रौद्योगिकी, रक्षा, यातायात एवं अंतरिक्ष के साथ कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग के लिए समझौते हुए हैं।
  • वर्ष 2017-18 में भारत और तुर्की के बीच लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार हुआ, तुर्की उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है जिनके साथ भारत का व्यापार घाटा धनात्मक रहता है।

भारत और तुर्की के बीच तनाव:

  • हालिया घटनाक्रम के बाद भारत सरकार ने तुर्की से तेल और स्टील के आयात को कम करने के संकेत दिये हैं।
  • इससे पहले कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की के राष्ट्रपति के बयान पर विरोध जताते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने अपनी अंकारा (तुर्की की राजधानी) यात्रा स्थगित कर दी थी।
  • तुर्की ने ‘फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (Financial Action Task Force-FATF) द्वारा पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट में डालने का विरोध किया था। ध्यातव्य है कि FATF ने पाकिस्तान पर आतंकवादी समूहों की फंडिंग पर रोक न लगा पाने के मामले में कार्रवाई करते हुए कई प्रतिबंध लगाए थे।

भारतीय प्रतिबंधों का प्रभाव:

  • नए नियमों के तहत मलेशिया से आयात होने वाले परिशोधित तेल को ‘प्रतिबंधित (Ristricted) श्रेणी’ में रखा गया है। इसके साथ ही पाम तेल के आयात के लिये आयातकों को ‘विदेश व्यापार महानिदेशालय Directorate General of Foreign Trade (DGFT)’ से लाइसेंस लेना पड़ेगा।
  • पाम तेल के आयात पर भारतीय प्रतिबंधों से मलेशियाई अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। ध्यातव्य है कि मलेशिया के सकल घरेलू उत्पाद का 2.8% भाग पाम तेल पर निर्भर है और देश के कुल निर्यात में पाम उत्पादों की भागीदारी 4.5% है।
  • वर्ष 2019 में मलेशिया के कुल पाम उत्पाद का 23% (लगभग 4.4 मिलियन टन) भारत को निर्यात किया गया और वित्तीय वर्ष 2019 में इस व्यापार में मलेशिया को लगभग 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर का फायदा हुआ था।
  • भारतीय आयात में कटौती के बाद मलेशिया के पाम तेल बाज़ार में 10% की गिरावट देखी गई थी।
  • तुर्की के साथ व्यापार में भारत को बढ़त प्राप्त है ऐसे में अधिक प्रतिबंधों से भारतीय हितों को ही नुकसान होगा।
  • हालिया घटनाक्रम के बाद तुर्की की कंपनी अनादोलू शिपयार्ड (Anadolu Shipyard) पर भारत में रक्षा-संबंधी व्यवसाय करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और इसके साथ ही भविष्य में अन्य व्यापारिक अनुबंधों/समझौतों पर भी सख्ती देखी जा सकती है।

प्रतिबंधों का भारतीय किसानों और व्यापारियों पर प्रभाव:

  • पाम तेल के परिशोधन के बाद इसकी कीमत में लगभग 4% की बढ़ोतरी हो जाती है, अतः परिशोधित तेल के आयात पर प्रतिबंधों से स्थानीय रिफाइनरियों को लाभ मिलेगा।
  • इन प्रतिबंधों से कृषि के लिए कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं दिखाई देता परंतु आयात पर प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप स्थानीय पाम उत्पादों की मांग बढ़ेगी और किसानों को पाम का उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा।

निष्कर्ष :

  • भारत ने व्यापारिक प्रतिबंधों के रूप में अपनी सामरिक शक्ति का प्रयोग कर देश के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे देशों को कड़ा संदेश दिया है।
  • सरकार के इस निर्णय के बाद भारत की संप्रभुता और वैश्विक स्तर पर भारत के पक्ष को मज़बूती प्रदान करने में मदद मिलेगी परंतु सरकार को राजनीतिक हथियार के रूप में व्यापारिक प्रतिबंधों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिये क्योंकि इससे आर्थिक नुकसान के साथ व्यापारिक समूहों में भारत की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

अभ्यास प्रश्न: भारत द्वारा मलेशिया एवं तुर्की पर लगाए गए हालिया व्यापार प्रतिबंधों से इन देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?