शासन व्यवस्था
द बिग पिक्चर/देश-देशांतर: 16वाँ प्रवासी भारतीय दिवस; प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन
- 10 Jan 2018
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संदर्भ
इस वर्ष 16वें भारतीय प्रवासी दिवस का आयोजन 6-7 जनवरी को सिंगापुर में किया गया। इसके बाद प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन का आयोजन 9 जनवरी को नई दिल्ली में किया गया।
पृष्ठभूमि
देश के विकास में प्रवासी भारतीयों अर्थात् एनआरआई के योगदान के महत्त्व को मान्यता देने और देश से जुड़ने का मंच प्रदान करने के लिये भारत सरकार प्रतिवर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन करती है। भारत सरकार ने इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 2003 में की थी, क्योंकि वर्ष 1915 में इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आए थे।
- प्रवासी भारतीयों को भारत से जोड़ने का काम पहले भी हुआ है, लेकिन इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका उल्लेखनीय है। वह जिस भी देश में जाते हैं वहाँ के प्रवासी भारतीयों के बीच अवश्य जाते हैं। इससे जो अपनेपन की भावना जन्मती है उससे प्रवासी भारतीय भारत की ओर आकर्षित होते हैं।
- भारतीय ‘ब्रेन-ड्रेन’ को ‘ब्रेन-गेन’ में बदलने के लिये भारत सरकार विदेश में बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश में जाने वाले कामगारों के लिये 'अधिकतम सुविधा' और ‘न्यूनतम असुविधा‘ सुनिश्चित करना चाहती है।
- हाल ही में जारी वेल्थइनसाइट रिपोर्ट-2016 जारी की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में लगभग 1.6 करोड़ अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indians-NRI) हैं। इनमें से कइयों ने विदेशों में अप्रतिम उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
- कुछ समय पहले तक ऐसा माना जाता था कि विश्व के लगभग 160 देशों में भारतीय रहते हैं, पर अभी यह संख्या बदल गई है। यदि किसी देश में भारतीय नहीं रहते हैं तो वह अपवाद ही होगा।
भारतीय प्रवासी दिवस मनाने का उद्देश्य
(टीम दृष्टि इनपुट) |
आसियान-भारत प्रवासी भारतीय दिवस
इस वर्ष प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर 7 जनवरी को सिंगापुर में आसियान-भारत प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया। आसियान के साथ भारत की वार्ता भागीदारी सामरिक भागीदारी में बदल गई है और भारतीय समुदाय आसियान देशों के साथ संबंधों को और मजबूत करने का एक मंच उपलब्ध कराता है। इस सम्मेलन में भारत ने कहा कि आसियान क्षेत्र के साथ उसका संपर्क परस्पर सिद्धांतों की स्पष्टता में निहित है और भारत यह मानता है कि जब सभी देश अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हैं और सार्वभौम समानता एवं परस्पर सम्मान के आधार पर आचरण करते हैं, तब सभी स्वयं को सुरक्षित महसूस करते हैं और हमारी अर्थव्यवस्थाएं समृद्ध होती हैं।
चीन कहीं पीछे है इस मामले में अधिकांशतः चीन के प्रवासी कुछ देशों तक सीमित हैं। चीन ने जिन देशों की आर्थिक सहायता की है, वहां कुछ चीनी लोग जाकर बस जाते हैं और काम करते हैं। लेकिन भारतीय प्रवासियों में जो प्रवीणता, कार्यकुशलता और विश्वास देखने को मिलता है, वैसा चीन के साथ नहीं है। हम ऊपर बता चुके हैं कि 30 देशों में 285 से ज्यादा सांसद भारतीय मूल के हैं, ऐसा चीन के बारे में नहीं कहा जा सकता। अमेरिका का उदाहरण लीजिये...वहाँ मीडिया में भारतीय हैं, तो कला के क्षेत्र में भी। हॉलीवुड की फिल्मों में भारतीय दिखाई देते हैं, तो टीवी धारावाहिकों के क्षेत्र में भी इनकी उपस्थिति है। विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में भारतीयों की व्यापक उपस्थिति है, लेकिन चीन के साथ ऐसा नहीं है। उनके लोग निवेश के क्षेत्र में ज़रूर दिखाई देते हैं, लेकिन समावेशी होने के कारण भारतीय प्रवासी हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना लेते हैं। भारतीय लोग अन्य देशों की संस्कृति में घुल-मिल जाते हैं, समस्याएँ वहाँ होती हैं जहाँ लोग अन्य संस्कृतियों के साथ तालमेल स्थापित नहीं कर पाते। (टीम दृष्टि इनपुट) |
प्रथम पीआईओ संसदीय सम्मेलन
- प्रवासी भारतीय दिवस का महत्त्व इस वर्ष इसलिये और बढ़ गया क्योंकि प्रवासी भारतीय केंद्र में 9 जनवरी को प्रथम प्रवासी सांसद सम्मेलन [First PIO (Persons of Indian Origin) Parliamentarian Conference] का आयोजन किया गया।
- सम्मेलन में 23 देशों से आए 124 सांसदों और 17 मेयरों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया।
- इनमें गयाना, त्रिनिडाड और टोबैगो, यूके, कनाडा, अमेरिका, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड और मॉरीशस से आए सांसद शामिल थे।
- अनुमानतः 30 देशों में 285 से ज्यादा सांसद भारतीय मूल के हैं। इस सम्मेलन में सांसदों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वे इस मुकाम तक कैसे पहुँचे।
- यह विश्व राजनीति में भारत के लिये महत्त्वपूर्ण घटना है, जो किसी अन्य देश के प्रवासियों के संदर्भ में अभी तक देखने को नहीं मिली है।
क्या कहती है वैश्विक प्रवासन रिपोर्ट?
यह रिपोर्ट पिछले वर्ष के अंत में यूनाइटेड नेशंस के इंटरनेशनल आर्गेनाइजे़शन फॉर माइग्रेशन (International Organization for Migration-IOM) द्वारा वैश्विक प्रवासन रिपोर्ट, 2018 के नाम से जारी की गई। यह इस श्रृंखला की नौवीं रिपोर्ट है। वर्ष 2000 से यह संगठन विश्वभर में प्रवासन को लेकर जागरूकता उत्पन्न करने की दिशा में काम कर रहा है और इसी क्रम में विश्व प्रवासन रिपोर्ट तैयार करता है।
रिपोर्ट में भारत
(टीम दृष्टि इनपुट) |
विश्व में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा घर भेजते हैं भारतीय
विश्व बैंक के अनुसार, विश्व के विभिन्न देशों में बसे भारतीय सबसे अधिक विदेशी मुद्रा स्वदेश भेजते हैं। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2016 उन्होंने 62 अरब डॉलर भारत भेजे, जो देश की कुल जीडीपी का लगभग 3.3% है। हालाँकि यह राशि वर्ष 2015 के 68.7 अरब डॉलर से कम है, लेकिन इसके बावजूद भारत चीन को पछाड़कर कई साल से शीर्ष पर बना हुआ है। इसी अवधि में चीन के लोगों ने 61 अरब डॉलर अपने देश भेजे, जो उसकी कुल जीडीपी का 0.6% है।
प्रवासी कौशल विकास योजना
- भारत सरकार प्रवासी भारतीयों को अपनी सबसे बड़ी पूंजी मानते हुए इनकी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और इसके लिये अनेक नीतियाँ बनाई गई हैं और पहल की गई हैं।
- प्रवासन की प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित, व्यवस्थित, कानून-सम्मत और मानवीय बनाने के लिये संस्थागत ढाँचे में सुधार की प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है।
- प्रवासन चक्र के विभिन्न चरणों, जैसे विदेश जाने से पहले, गंतव्य देश में पहुंचने और वहाँ से वापसी के समय प्रवासी कामगारों को मदद देने वाले तंत्र को सुदृढ़ करने; प्रवासी भारतीय श्रमिकों के कौशल में सुधार और उनके व्यावसायिक कौशल के प्रमाणन के लिये नई पहल की गई है। इसके तहत भारत सरकार ने देश से बाहर भारतीयों को बेहतर मौके उपलब्ध कराने के लिये कौशल विकास कार्यक्रम (Skill Development Programme) की शुरुआत की है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम इस कार्यक्रम को लागू करने का काम कर रहा है।
- विदेश जाकर नौकरी करने वालों के लिये देशभर में भारतीय अंतरराष्ट्रीय कौशल केंद्र स्थापित किये गए हैं, जहाँ उन्नत प्रशिक्षण तथा विदेशी भाषा के पाठ्यक्रम संचालित किये जाते हैं। भारतीय मूल के लोग दुनिया के हर देश में मौजूद हैं। पहले ये बिना किसी विशेष प्रशिक्षण के विदेश जाने की तैयारी में रहते थे और इसके अभाव में विदेशों में भारतीयों के शोषण की शिकायतें सामने आती थीं। अब जब प्रशिक्षित भारतीय विदेश पहुंचेंगे तो उनके सामने सम्मानजनक रोज़गार का संकट नहीं रहेगा।
भारतीय समुदाय कल्याण कोष के संशोधित दिशा-निर्देश भारतीय समुदाय कल्याण कोष की स्थापना 2009 में प्रवासी भारतीयों को अत्यंत संकट एवं आपात स्थिति में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। बदलती परिस्थितियों में इसे और प्रभावी बनाने के लिये इसके दिशा-निर्देशों में 2017 में व्यापक बदलाव किये गए। नए दिशा-निर्देशों में प्रवासी भारतीयों को संकट की स्थिति में सहायता उपलब्ध कराना, उनके लिये सामुदायिक कल्याण कार्य तथा दूतावास सेवाओं को बेहतर बनाने जैसी तीन प्रमुख बातें शामिल की गई हैं। दिशा-निर्देशों में ये बदलाव विदेशों में बसे भारतीयों के लिये ज़रूरत पड़ने पर जल्दी मदद पहुंचाने के लिये भारतीय दूतावासों की सेवाओं को ज्यादा लचीला और प्रभावी बनाने के लिये किये गए हैं। इन दिशा-निर्देशों ने बाहर जाने वाले प्रवासी भारतीय श्रमिकों में यह आत्मविश्वास पैदा किया है कि संकटपूर्ण स्थिति में उन्हें अपने देश से मदद मिल सकेगी। (टीम दृष्टि इनपुट) |
निष्कर्ष: वर्तमान में भारतीय प्रवासियों की विविधता पहले से कहीं अधिक है। आयरलैंड जैसे देश के प्रधानमंत्री आज भारतीय मूल के हैं, तो पुर्तगाल के प्रधानमंत्री भी भारतीय मूल के हैं। कनाडा की सरकार में भारतीय मूल के कई मंत्री हैं, तो कई देशों की संसदों में भारतीय मूल के लोग बतौर सांसद प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनके अलावा लाखों लोग विश्व के लगभग प्रत्येक देश में विविध कार्यों में संलग्न हैं। इन सबके मद्देनज़र भारत सरकार यह मानती और प्रयास करती है कि प्रवासी प्रशिक्षित, सुरक्षित और विश्वास के साथ प्रवास करें। भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीय भी हमारे साथ हैं। विदेशों में भारतीयों को केवल उनकी संख्या की वजह से नहीं जाना जाता है बल्कि उनके योगदान के लिये उन्हें सम्मानित किया जाता है। प्रवासी भारतीय जहाँ भी रहते हैं, वे उसे ही अपनी कर्मभूमि मानते हैं और वहाँ विकास कार्य में योगदान देते हैं। गिरमिटिया लोगों के वंशज भारतीयों की समस्या कुछ अलग है तो एनआरआई प्रवासी भारतीयों की अलग। प्रवासी भारतीयों का तीसरा समूह खाड़ी देशों में कामगार के रूप में है। इस तरह भारत सरकार तीन प्रकार के प्रवासियों को अलग-अलग तरह से संतुष्ट एवं समायोजित करने के प्रयास करती है। यदि भारत सरकार और प्रवासी भारतीयों के बीच आपसी समन्वय और विश्वास और अधिक बढ़ सके तो इससे दोनों को लाभ होगा।